केंद्र ने बंगाल को दिया ‘ज़ीरो फंड’? BJP और TMC की जंग में नया ट्विस्ट!
अरे भाई, पश्चिम बंगाल की राजनीति में तो जैसे हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है न? अब फिर एक नया विवाद शुरू हो गया है जिसने केंद्र और ममता बनर्जी की सरकार के बीच पहले से चल रही खींचतान को और बढ़ा दिया है। असल में TMC ने बड़ा दावा किया है कि केंद्र सरकार ने राज्य को कई अहम योजनाओं के लिए फंड ही नहीं दिया! मतलब ‘शून्य’! और तो और, उन्होंने इसके सबूत भी पेश कर दिए हैं। लेकिन BJP तो मानने को तैयार ही नहीं – उल्टा TMC पर ‘झूठ फैलाने’ का आरोप लगा रही है। देखिए न, सियासत का ये खेल कितना दिलचस्प है!
पूरा माजरा क्या है? पैसे को लेकर पुरानी टेंशन
यार, केंद्र और बंगाल सरकार के बीच पैसे को लेकर लड़ाई कोई नई बात तो है नहीं। पिछले कुछ सालों से ये सिलसिला चल रहा है। एक तरफ केंद्र पर आरोप लगते हैं कि वो फंड रोक रहा है, तो दूसरी तरफ BJP का कहना है कि राज्य सरकार पैसों का सही इस्तेमाल ही नहीं कर रही। पर इस बार तो मामला और गंभीर हो गया – TMC ने ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बेसिक योजनाओं के लिए भी फंड न मिलने का दावा किया है। अब ये सिर्फ पैसे का झगड़ा नहीं रहा – पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में जुट गई हैं!
हालिया अपडेट: TMC ने दिखाए ‘सबूत’
अब सबसे मजेदार बात ये है कि TMC ने हाल ही में एक प्रेस conference में केंद्र के खिलाफ कागजात पेश कर दिए हैं। ऐसे official documents जिनमें दिख रहा है कि कई योजनाओं के लिए बंगाल को फंड ही नहीं मिला। TMC का कहना है कि ये सबूत उनके दावों को सही साबित करते हैं। लेकिन BJP वालों ने तो इन्हें झूठा बताते हुए TMC पर ही हमला बोल दिया। उनका कहना है कि ये सब ‘झूठ का पुलिंदा’ है और TMC सरकार केंद्र की योजनाओं का श्रेय लेने की फिराक में है। सुवेंदु अधिकारी जैसे BJP नेताओं ने तो सीधे-सीधे TMC को ‘झूठा’ तक कह डाला!
राजनीतिक हलचल: किसकी चलेगी?
देखिए, दोनों पार्टियां अपने-अपने स्टैंड पर अड़ी हुई हैं। TMC का कहना है – “केंद्र जानबूझकर बंगाल के विकास में रोड़े अटका रहा है।” वहीं BJP वाले जोर-शोर से चिल्ला रहे हैं कि “TMC भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और केंद्र की योजनाओं को अपने नाम से चला रही है।” राजनीति के जानकारों का मानना है कि ये सब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले की तैयारी का हिस्सा है। मतलब साफ है – गरमागरम बहस तो अभी और होने वाली है!
अब आगे क्या? कोर्ट तक जाएगा मामला?
अब तो ये लग रहा है कि ये मामला कोर्ट तक भी पहुंच सकता है। राज्य सरकार केंद्र के खिलाफ कानूनी रास्ता अपना सकती है। और तो और, कांग्रेस और वामदल जैसे दल भी इस मुद्दे पर अपनी राय रख सकते हैं। सच कहूं तो अगर ये विवाद बढ़ता है, तो सबसे ज्यादा असर तो बंगाल की आम जनता पर पड़ेगा – खासकर गांवों में और सरकारी योजनाओं पर। अब सबकी नजरें केंद्र सरकार पर टिकी हैं कि वो TMC के इन दावों का क्या जवाब देती है।
एक बात तो तय है – बंगाल की राजनीति में केंद्र और राज्य की लड़ाई कभी खत्म होती ही नहीं। अब देखना ये है कि ये नया विवाद कितना बढ़ता है और आखिरकार इसका असर किस पर पड़ता है – नेताओं पर या जनता पर। क्योंकि अंत में तो जनता ही भुगतती है न? सच कहूं तो!
“केंद्र ने बंगाल को फंड देना बंद किया? BJP vs TMC की जंग में नया विवाद – जानिए पूरा मामला”
1. आखिर क्यों रुका बंगाल का फंड? असली वजह क्या है?
देखिए, केंद्र सरकार का कहना तो ये है कि TMC ने कुछ योजनाओं के utilization certificates (UCs) ठीक से नहीं दिए। मतलब, पैसे का हिसाब नहीं दिया। पर सवाल ये है – क्या सच में documents नहीं थे, या फिर ये सिर्फ एक बहाना है? TMC वालों का तो यही कहना है कि सारे कागज़ात submit किए गए हैं, लेकिन केंद्र सिर्फ राजनीति खेल रहा है। ईमानदारी से कहूं तो, दोनों तरफ के दावे सुनकर कंफ्यूजन होता है!
2. TMC के पास क्या सबूत हैं? क्या वाकई केंद्र गलत है?
TMC ने जो दावा किया है, उसके लिए उन्होंने कुछ दस्तावेज़ दिखाए हैं – फंड की मांग वाले पत्र, implementation reports, वगैरह। पर सच्चाई क्या है? क्या सच में केंद्र deliberately बंगाल को परेशान कर रहा है? या फिर TMC कुछ छुपा रही है? अभी तक तो साफ़ नहीं हुआ। एक तरफ़ तो transparency की बात हो रही है, दूसरी तरफ़ राजनीति के आरोप। बंगाल की जनता फंसी हुई है बीच में!
3. सबसे बड़ा सवाल: आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?
अगर फंड आना बंद हो गया तो? सीधी बात है – welfare schemes धीमी पड़ जाएंगी। स्कूल, अस्पताल, सड़कें – इन सब पर असर पड़ सकता है। ऐसा लगता है जैसे दोनों पार्टियां अपनी-अपनी लड़ाई लड़ रही हैं, और बंगाल के लोगों को कीमत चुकानी पड़ रही है। थोड़ा unfair लगता है, है ना?
4. BJP क्या चाहती है? क्या ये सिर्फ़ political pressure है?
BJP का तो ये कहना है कि वो तो बस accountability चाहती है। उनका आरोप है कि TMC फंड का सही इस्तेमाल नहीं कर रही। पर सवाल ये है – क्या ये सच में financial transparency का मामला है, या फिर 2024 के elections से पहले TMC को घेरने की कोशिश? राजनीति तो है ही, लेकिन कहां तक जायज़ है ये सब? आपको क्या लगता है?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com