ब्रह्मोस की वो कहानी जो कोई नहीं बताता: पुतिन की जिद ने भारत को दिलाई सुपरसोनिक ताकत!
ये कहानी है दोस्ती की
ब्रह्मोस सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत-रूस दोस्ती की जिंदा मिसाल है। असल में, ब्रह्मोस एयरोस्पेस के संस्थापक डॉ. ए. शिवथानु पिल्लई मानते हैं कि पुतिन की जिद के बिना ये प्रोजेक्ट शायद ही कभी पूरा हो पाता। आज जब ये मिसाइल हमारी सैन्य ताकत का प्रतीक बन चुकी है, तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की दिलचस्प कहानी।
ब्रह्मोस: जब दो देशों की नदियाँ मिलीं
साल 1998 की बात है। भारत और रूस ने मिलकर एक ऐसी मिसाइल बनाने का फैसला किया जो दुनिया को चौंका दे। नाम रखा गया ब्रह्मोस – ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों के नाम से। आज ये दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल्स में से एक है, जो Mach 3 की स्पीड से उड़ सकती है!
पुतिन की जिद: “भारत को देनी है ये ताकत”
क्रेमलिन से आया स्पेशल सपोर्ट
डॉ. पिल्लई बताते हैं कि पुतिन ने खुद इस प्रोजेक्ट को पर्सनली मॉनिटर किया। वो बार-बार रूसी Experts को हिदायत देते थे कि भारतीय Scientists को पूरा सपोर्ट दिया जाए। MTCR जैसे रेगुलेशन्स होने के बावजूद, पुतिन ने भारत के साथ तकनीक शेयर करने का फैसला किया।
रूसी टीम ने खोले सारे दरवाजे
देखा जाए तो रूस ने सुपरसोनिक टेक्नोलॉजी जैसी चीज किसी और देश के साथ शेयर नहीं की थी। लेकिन भारत के लिए उन्होंने सारे रूल्स फ्लेक्सिबल कर दिए। यही वजह है कि आज हमारे पास ब्रह्मोस जैसा हथियार है।
डॉ. पिल्लई का खुलासा: “ऐसे बनी दुनिया की सबसे तेज मिसाइल”
कैसे काम करती है ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस की खासियत है इसकी स्पीड और एक्यूरेसी। ये समुद्र की सतह से सिर्फ 10 मीटर ऊपर उड़ते हुए दुश्मन के टारगेट को भेद सकती है। और तो और, इसका रडार सिग्नेचर इतना कम है कि दुश्मन को पता भी नहीं चलता!
भारतीय Scientists का जुनून
डॉ. पिल्लई बताते हैं कि हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर दिए थे। उन्होंने रूसी टेक्नोलॉजी को लेकर उसमें अपने इनोवेशन्स जोड़े। नतीजा? आज ब्रह्मोस दुनिया की सबसे एडवांस्ड मिसाइल्स में गिनी जाती है।
भविष्य की तैयारी: अब आ रहा है ब्रह्मोस-एक्स!
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर काम
अब DRDO और रूस मिलकर ब्रह्मोस का नया वर्जन बना रहे हैं जो Mach 5 से भी तेज उड़ेगा! Army, Navy और Air Force के लिए अलग-अलग वेरिएंट्स पर काम चल रहा है।
एक्सपोर्ट मार्केट में धमाल
फिलीपींस जैसे देश पहले ही ब्रह्मोस खरीद चुके हैं। कई और देशों के साथ डील्स पर बातचीत चल रही है। Experts का कहना है कि अगले 5 साल में ब्रह्मोस हमारी डिफेंस एक्सपोर्ट का सबसे बड़ा प्रोडक्ट बन सकता है।
तो ये थी ब्रह्मोस की कहानी
दोस्तों, ब्रह्मोस सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक है। पुतिन की जिद और हमारे Scientists की मेहनत ने मिलकर ये करिश्मा किया। अब तो बस इंतज़ार है ब्रह्मोस-एक्स का, जो भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com