ब्रह्मोस बनाम पाकिस्तानी ड्रोन: क्यों फेल हो रही है उनकी ‘सस्ती ताकत’?
अरे भाई, एक मजेदार बात सुनो! पाकिस्तान जो अपने कामीकाजी ड्रोन और स्टील्थ फाइटर लेकर घमंड करता था, उसकी हवा निकल गई है। और क्यों? क्योंकि हमारे ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम ने उनके सारे दावों की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। सच कहूँ तो, ये ड्रोन हमारे रडार सिस्टम के सामने बिल्कुल बच्चों के खिलौने लगते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
पूरी कहानी समझिए
देखिए न, पाकिस्तान ने सोचा कि सस्ते ड्रोन (जैसे कि लूटरिंग म्यूनिशन) से हमें परेशान कर लेंगे। इनकी खासियत? धीमी स्पीड और छोटा साइज जो रडार पर कम दिखता है। पर भाई… हमारे पास तो ब्रह्मोस और S-400 जैसे ‘गेम चेंजर’ सिस्टम हैं! ये उन ड्रोन्स को ऐसे पकड़ते हैं जैसे आप मच्छर को ऐंटी-मॉस्किटो कॉइल के सामने।
और हाँ, उनके JF-17 थंडर की बात करें तो… असल में वो ‘स्टील्थ’ नाम का ढोंग भर है। हमारी मल्टी-लेयर डिफेंस के सामने ये सब बेकार साबित हो रहे हैं। क्या आपको लगता है कि पाकिस्तान कोई नई चाल चल पाएगा?
ताज़ा अपडेट: क्या हुआ अभी तक?
हाल ही में हमारी वायुसेना ने ब्रह्मोस की टेस्टिंग की – और बाप रे! क्या प्रेसिजन है! ये मिसाइल इतनी तेज है कि पाकिस्तानी ड्रोन तो क्या, उनके पायलटों की साँसें भी थम जाएँ। सीमा पर तो हमने कई ड्रोन्स को ऐसे मार गिराया, जैसे बच्चे गुब्बारे फोड़ते हैं।
विशेषज्ञों की राय? “ये ड्रोन सिर्फ छोटी-मोटी परेशानी कर सकते हैं, असली युद्ध में इनकी कोई औकात नहीं।” सच बोलूँ तो, ये वैसे ही है जैसे पत्थर मारकर टैंक से लड़ने की कोशिश करना।
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?
हमारे डिफेंस एक्सपर्ट्स तो मजाक ही उड़ा रहे हैं: “पाकिस्तानी ड्रोन? हमारे रडार के सामने ये मच्छरों से ज्यादा कुछ नहीं!” वहीं पाकिस्तानी अधिकारी (जो नाम नहीं बताना चाहते) मानते हैं: “हमारे पास संसाधन कम हैं… पर हम कोशिश तो कर रहे हैं।”
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का सीधा सा संदेश: “पाकिस्तान, अगर तुम्हें खेलना है तो टेक्नोलॉजी अपग्रेड करो। वरना ये ड्रोन वाली नौटंकी ज्यादा दिन नहीं चलेगी।”
अब आगे क्या?
हमारी तरफ से तो क्लियर है – S-400 और स्वदेशी मिसाइल प्रोग्राम को और तेज कर रहे हैं। जबकि पाकिस्तान के सामने बड़ा सवाल यह है कि वो अपने ड्रोन प्रोग्राम को कैसे बचाएँगे? अगर वे जल्दी कुछ नहीं करते, तो उनकी यह ‘ड्रोन डॉक्ट्रिन’ सचमुच डूबती नजर आएगी।
आपको क्या लगता है? क्या पाकिस्तान इस टेक्नोलॉजी गैप को पाट पाएगा? या फिर यह उनकी एक और फेल होती सैन्य रणनीति साबित होगी?
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ब्रह्मोस vs पाकिस्तानी ड्रोन डॉक्ट्रिन: असली सवाल क्या हैं?
ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत और ड्रोन्स का सवाल
देखिए, ब्रह्मोस कोई आम मिसाइल नहीं है – यह तो एक सुपरसोनिक बिजली की तरह है जो Mach 2.8 की रफ्तार से दुश्मन को ढेर कर देती है। अब सोचिए, पाकिस्तानी ड्रोन्स तो धीमी गति वाले और निचली उड़ान भरने वाले होते हैं। ऐसे में ब्रह्मोस के लिए ये टारगेट बिल्कुल बच्चों का खेल हैं। सच कहूं तो, इसकी सटीकता और ताकत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि यह ड्रोन्स को किसी मच्छर की तरह मार गिराती है।
पाकिस्तान की ड्रोन डॉक्ट्रिन: सस्ता लेकिन खतरनाक खेल
अब यहां दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान ने एक सस्ता लेकिन चालाक रणनीति अपनाई है। वो झुंड के झुंड ड्रोन्स (swarm drones) भेजता है – जैसे किसी ने तिलचट्टों की पूरी फौज छोड़ दी हो! मुश्किल यह है कि ये ड्रोन्स रडार पर बहुत कम दिखते हैं और इन्हें पकड़ना लगभग उतना ही मुश्किल है जितना धुएं में से किसी को पकड़ना। ईमानदारी से कहूं तो, यह भारत के लिए सच में चुनौती भरा है।
स्टील्थ फाइटर्स भी क्यों फेल हो जाते हैं?
यहां एक बड़ा विरोधाभास है। J-20 या F-35 जैसे स्टील्थ फाइटर्स तो बड़े-बड़े टारगेट्स के लिए बने हैं – जैसे कोई शेर हाथी का शिकार करने के लिए। लेकिन ड्रोन्स? ये तो चींटियों की तरह हैं! छोटे, फुर्तीले और इतने सस्ते कि हर मारने वाली मिसाइल पर आपका दिल दर्द करने लगे। असल में, इनके लिए तो अलग ही टेक्नोलॉजी चाहिए – एडवांस्ड radar और AI सिस्टम वाली।
भारत के पास क्या है ड्रोन्स के खिलाफ?
अच्छी खबर यह है कि DRDO ने कुछ जबरदस्त सिस्टम्स डेवलप किए हैं। D4 ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम तो एकदम गेम-चेंजर है। और हां, S-400 और आकाश मिसाइलें भी इन ड्रोन्स को मार गिराने में पूरी तरह सक्षम हैं। पर सच पूछो तो, यह एक निरंतर चलने वाली टेक्नोलॉजी रेस है – जैसे चूहा-बिल्ली का खेल।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com