BRICS समिट में मोदी जी का वो बयान जिसने सबका ध्यान खींचा: पहलगाम हमला और आतंकवाद पर साफ़ स्टैंड
अरे भाई, क्या बात है ना? BRICS समिट में मोदी जी ने जो बोला, वो सीधा दिल पर लगा। पहलगाम में हुए उस नापाक हमले को उन्होंने सिर्फ निंदा ही नहीं की, बल्कि इसे “भारत की आत्मा पर हमला” तक कह डाला। और सच कहूँ तो, ये शब्द बिल्कुल सही हैं। आतंकवाद के बारे में उनका स्टैंड क्लियर था – कोई समझौता नहीं, कोई सहनशीलता नहीं। अब सवाल यह है कि क्या दूसरे देश भी इसी तरह की सख़्ती दिखाएंगे?
असल में, इस पूरे मामले को समझने के लिए दो चीज़ें देखनी ज़रूरी हैं। एक तो वो दर्दनाक हमला जिसमें हमारे कई जवान शहीद हो गए – ये खबर सुनकर तो दिल ही दहल जाता है। और दूसरा, ये बयान BRICS जैसे प्लेटफॉर्म पर दिया गया, जहाँ चीन-रूस जैसे देश भी मौजूद थे। देखा जाए तो ये मोदी सरकार की उसी रणनीति का हिस्सा है जहाँ वो हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं। पर क्या ये कोशिशें रंग लाएंगी?
समिट में मोदी जी ने कुछ बेहद अहम बातें कहीं। आतंकवाद को “मानवता का दुश्मन” बताया तो ठीक ही किया, लेकिन असली मसला तो ये है कि दुनिया इसे लेकर अभी भी divided क्यों है? हालांकि पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया, पर इशारे तो साफ़ थे। एक तरह से देखें तो ये स्मार्ट डिप्लोमेसी थी – बिना सीधे नाम लिए मैसेज क्लियर कर दिया।
अब प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हुआ है। BJP वालों का तो कहना ही क्या – पूरा समर्थन। विपक्ष भी हमले की निंदा कर रहा है, लेकिन साथ ही सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल भी उठा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर? वहाँ तो हमेशा की तरह mixed रिएक्शन्स आए। रूस-चीन ने आतंकवाद की निंदा तो की, पर भारत के specific concerns को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। ये तो वही बात हुई ना – सबके अपने-अपने agenda!
आगे क्या होगा? मेरा मानना है कि भारत अपनी इस कोशिश को जारी रखेगा। पहलगाम के बाद से तो घाटी में सुरक्षा बलों की एक्टिविटी और बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर प्रेशर बनाने की कोशिशें भी जारी रहेंगी। पर सच तो ये है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ी चुनौती है – वैश्विक एकजुटता। और ये मैच अभी लंबा चलने वाला है…
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BRICS समिट में मोदी जी का बयान: आतंकवाद पर बड़ी बातें, लेकिन क्या होगा असल में?
1. पहलगाम हमले पर मोदी जी ने BRICS में क्या रखा अपना पक्ष?
देखिए, मोदी जी ने तो एकदम साफ़ शब्दों में पहलगाम हमले को गलत ठहराया। बोले ना – “आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, वो unacceptable है।” और सच कहूँ तो ये बात तो हर भारतीय के दिल की आवाज़ है। लेकिन यहाँ सवाल ये है कि क्या global community सच में एक साथ आ पाएगी? वैसे मोदी जी ने इसकी पूरी कोशिश की है।
2. BRICS देश आतंकवाद पर ले रहे हैं एक सुर? या सिर्फ़ दिखावा?
ऐसा लग रहा था जैसे सभी leaders एक voice में बोल रहे थे। Terrorism के ख़िलाफ़ strong message दिया, ये तो अच्छी बात है। पर ईमानदारी से कहूँ तो – कागज़ों पर agree करना और असलियत में कुछ करना, ये दो अलग बातें हैं ना? सबने कहा कि terrorism को किसी भी हालत में support नहीं मिलना चाहिए। लेकिन… हमेशा एक ‘लेकिन’ तो रहता ही है।
3. पहलगाम के बाद भारत ने क्या कदम उठाए? सिर्फ़ बयानबाजी या कुछ ठोस?
अरे भई, बयानबाजी तो होनी ही थी। पर उससे आगे भी काम हुआ – security forces को high alert पर रखा गया, international community से support माँगा गया। investigation भी fast-track हुई, ये तो अच्छी ख़बर है। पर हम भारतीयों का सवाल तो ये है ना – क्या सच में कुछ बदलेगा? या फिर ये सब सिर्फ़ routine action था?
4. BRICS ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ कोई ठोस योजना बनाई? या फिर सिर्फ़ बातें ही बातें?
सुनिए, जो discuss हुआ वो तो अच्छा लगा – intelligence sharing बढ़ाना, terror funding रोकना, joint operations जैसे points पर बातचीत हुई। पर यार, detailed plan? वो तो अभी तक नहीं दिखा। जैसे हमारे यहाँ कहते हैं न – “बातों से पेट नहीं भरता”। तो अब देखना ये है कि ये सब discuss करने के बाद actual action कब और कैसे होता है।
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com