BT के दरवाज़े पर खड़े हैं ये छोटे ‘गेम चेंजर्स’ – क्या बदल जाएगा ब्रॉडबैंड का खेल?
देखिए न, ब्रिटेन का ब्रॉडबैंड मार्केट अब तक BT का वन-मैन शो रहा है। पर अब? अचानक से कुछ छोटे-मगर-तेज़तर्रार खिलाड़ी मैदान में कूद पड़े हैं। इन्हें Altnets कहते हैं – और ये लोग FTTH टेक्नोलॉजी लेकर आए हैं। स्पीड तो इनकी झटकेबाज़ है, पर सवाल यह है कि क्या ये BT जैसे दिग्गज को पछाड़ पाएंगे? या फिर ये सब बस एक शोर-शराबा बनकर रह जाएगा?
पूरी कहानी समझिए
BT का राज तो जैसे सदियों से चला आ रहा था। उनका नेटवर्क, उनकी पहचान – लोगों को विश्वास था इनपर। पर अब…असल में हुआ ये कि कुछ नए लोगों ने सोचा – “क्यों न हम भी मौका लें?” और ये Altnets वाले सच में ज़ोरदार तरीके से आए हैं। FTTH पर भारी पैसा लगाया, स्पीड का वादा किया, कीमतें कम रखीं। सब कुछ बढ़िया…पर एक छोटी सी दिक्कत है ना?
ये छोटी कंपनियाँ हैं भाई! BT जैसा ब्रांड वैल्यू कहाँ? ग्राहक तो वही पुराना-परिचित नाम ढूंढता है। और हाँ – नेटवर्क बिछाना एक बात है, पर उसे चलाना और मार्केट करना? उसमें तो पैसा ही पैसा लगता है। क्या ये नए खिलाड़ी इस रेस में टिक पाएंगे? मुझे तो थोड़ा शक है।
आज क्या चल रहा है मार्केट में?
Altnets की स्ट्रैटेजी क्लियर है – BT से बेहतर स्पीड, ज़्यादा ट्रांसपेरेंट सर्विस। कुछ तो नो-कॉन्ट्रैक्ट वाले प्लान भी दे रहे हैं – जो आजकल के यूज़र्स को पसंद आएगा ही। पर…पर भईया, BT के पास तो पहले से करोड़ों ग्राहक हैं! और उन्होंने भी हाल में अपग्रेड करना शुरू कर दिया है। गेम बदल रहा है।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं? सुनिए – “अगर ये छोटी कंपनियाँ टिकना चाहती हैं, तो सिर्फ अच्छी सर्विस से काम नहीं चलेगा। मार्केटिंग पर भी पैसा बरसाना होगा।” कुछ तो ये भी कह रहे हैं कि merger या partnership ही एकमात्र रास्ता हो सकता है। साइज मैटर्स, है ना?
कौन क्या बोला?
Altnets वाले तो इनोवेशन की बात करते नहीं थकते। उनका कहना है – “BT का एकाधिकार टूटना चाहिए, यही तो हेल्दी कॉम्पिटिशन है!” वहीं BT वाले? वो मस्त हैं – “हमें कॉम्पिटिशन से कोई डर नहीं। हमारा एक्सपीरियंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर किसी से कम नहीं।”
एक्सपर्ट्स की राय? थोड़ी mixed है। “तकनीकी बढ़त तो Altnets के पास है, पर ग्राहक जीतना आसान नहीं।” और हाँ – आने वाले दिनों में छोटी कंपनियों का consolidation हो सकता है। मतलब? या तो आपस में मिलेंगी, या बड़े शार्क उन्हें निगल जाएंगे।
आगे क्या?
अगले 2-3 साल दिलचस्प होने वाले हैं। Altnets को सिर्फ अच्छी सर्विस से काम नहीं चलेगा – मार्केटिंग, कस्टमर सर्विस, सब पर फोकस करना होगा। BT को भी ढील नहीं देनी होगी। और सरकार? अगर वो छोटे प्लेयर्स को सपोर्ट करे, तो गेम बदल सकता है।
एक बात तय है – ग्राहक को फायदा होने वाला है। बेहतर सर्विस, ज़्यादा विकल्प। बस देखना ये है कि ये नया ड्रामा किस एक्ट की तरफ बढ़ेगा। मेरा ग्यूस? कुछ Altnets टिक जाएंगे, बाकी…खैर, वक्त बताएगा। आप क्या सोचते हैं?
BT का ‘बर्बर’ डिवाइस वाला मामला: जानिए सबकुछ सरल भाषा में
1. ये ‘बर्बर’ डिवाइस आखिर हैं क्या चीज?
देखिए, ये कोई बड़ी मशीनें नहीं हैं। छोटे-छोटे devices जो BT के broadband को जानबूझकर खराब कर रहे हैं। असल में ये illegal तरीके से काम करते हैं – आपकी internet speed को घटाते हैं और पूरे network पर बेवजह का load डालते हैं। कुछ-कुछ वैसे ही जैसे कोई आपके पानी के पाइप में छेद कर दे!
2. भईया, मेरा तो इंटरनेट चल रहा है, फिर मुझे क्यों परवाह करनी चाहिए?
अरे भाई, सोचिए! अगर आपके locality में ये devices active हो गए, तो फिर…? पहले तो connection speed कछुए की चाल चलेगी। फिर बार-बार connection टूटेगा। और सबसे बुरा? Video calls और online meetings में तो बिल्कुल दिक्कत आएगी। BT के मुताबिक पहले से ही कई areas में performance issues आ रहे हैं।
3. सुनो, BT वाले इसका क्या उपाय कर रहे हैं?
अच्छा सवाल पूछा! BT ने अब जाग गया है। पहला कदम – ये devices track कर रहे हैं। दूसरा – legal action की तैयारी। और तीसरा? Network security को और मजबूत बना रहे हैं। पर सच बताऊं? ये लड़ाई थोड़ी मुश्किल है। जैसे चोर पुलिस के आगे-पीछे भागते रहते हैं, वैसे ही…
4. अरे यार! मेरा तो इंटरनेट आजकल बहुत slow चल रहा है। क्या करूं?
तो फिर ये steps try करिए:
– पहला काम – router को एक बार restart कीजिए (हां, वो पुराना तरीका अब भी काम करता है!)
– फिर speed test जरूर करें (Google पर मिल जाएगा)
– अगर फिर भी ठीक नहीं हुआ? तुरंत BT customer care को फोन करिए
और हां… हो सकता है आपके इलाके में भी ये ‘बर्बर’ gang active हो गया हो। सतर्क रहिए!
Source: Financial Times – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com