ब्रायन कोहबर्गर को मिली जमानत: क्या ये फैसला सही है, या फिर एक और न्यायिक गलती?
अमेरिकी कोर्ट का ये ताजा फैसला सुनकर मेरे जैसे कई लोगों के मन में सवाल उठ रहे होंगे। ब्रायन कोहबर्गर, जिस पर कई बेकसूर युवाओं की हत्या का आरोप है, उसे जमानत मिल गई! सच कहूं तो ये खबर पढ़ते ही मेरा दिमाग सुन्न हो गया। सोशल मीडिया पर तो बवाल मचा हुआ है – कुछ लोग इसे न्याय प्रणाली की विफलता बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि ये कानून का सही पालन है। और हैरानी की बात ये कि डोनाल्ड ट्रम्प भी इस मामले में ट्वीट करके भड़क गए हैं। सच में, ये केस अब सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं रहा, बल्कि राजनीति का खिलौना बन चुका है।
पूरा मामला क्या है?
देखिए, ये कोई नया केस नहीं है। सालों से चल रहा है ये सिलसिला। कोहबर्गर पर जो आरोप हैं, वो एक दशक से भी पुराने हैं। पर सच्चाई ये है कि सबूतों की कमी की वजह से ये मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। अब नए सबूत मिले हैं तो पीड़ित परिवारों को लगा था कि शायद अब न्याय मिलेगा। लेकिन… ये नया फैसला! क्या आप मानेंगे कि जिस आदमी पर इतने गंभीर आरोप हैं, उसे जमानत मिल जाए? मुझे तो समझ नहीं आता।
कोर्ट ने क्या कहा?
असल में कोर्ट का तर्क ये है कि नए सबूतों की जांच होनी चाहिए, और तब तक आरोपी को जमानत मिल सकती है। न्यायाधीश साहब ने कहा कि न्याय सिर्फ सजा देने का नाम नहीं है। सही बात है, लेकिन… क्या पीड़ित परिवारों का दर्द इस तर्क से कम हो जाएगा? मेरे ख्याल से नहीं। वैसे भी, जब तक फाइनल फैसला नहीं आता, तब तक ये जमानत का आदेश कितना सही है – ये सवाल तो बना ही रहेगा।
लोग क्या कह रहे हैं?
अरे भई, रिएक्शन्स तो बहुत मजेदार हैं! पीड़ित परिवार तो नाराज हैं ही, वकीलों के बीच भी मतभेद साफ दिख रहा है। कुछ कह रहे हैं कि ये प्रोसेस का हिस्सा है, तो कुछ इसे सिस्टम की बड़ी गलती बता रहे हैं। और फिर ट्रम्प साहब ने तो ट्विटर पर धमाल मचा दिया – उनका ट्वीट पढ़कर लगता है जैसे ये कोई नया राजनीतिक मुद्दा बनने वाला है। सच कहूं तो, इस पूरे मामले में एक बात तो साफ है – न्याय प्रणाली पर लोगों का भरोसा एक बार फिर डगमगाया है।
अब आगे क्या?
तो अब सवाल ये है कि ये केस किधर जाएगा? नए सबूतों की जांच चल रही है, और पीड़ित परिवारों ने हाई कोर्ट में अपील करने की बात कह दी है। मेरा मानना है कि ये केस अब सिर्फ एक आरोपी की कहानी नहीं रहा – ये तो हमारी पूरी न्यायिक व्यवस्था की परीक्षा बन चुका है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इसका असर भविष्य के ऐसे मामलों पर पड़ेगा। पर सच तो ये है कि जब तक फाइनल फैसला नहीं आता, तब तक ये बहस जारी रहेगी। और हम सबकी नजरें इस पर टिकी रहेंगी।
यह भी पढ़ें:
- Kohberger Plea Deal Splits Families Kaylees Dad Boycotts Court
- Cbi Phone Tapping Hc Verdict Legal Blow To Centre
- Odisha Bandh Rahul Gandhi Assam Visit Supreme Court Verdict
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com