बस में नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़: क्या सच में सुधर रहा है हमारा समाज?
एक बार फिर… हरियाणा रोडवेज की बस… और एक बेबस लड़की। सुनने में तो यह कोई नई खबर नहीं लगती, नहीं? लेकिन इस बार कहानी थोड़ी अलग है। एक नाबालिग छात्रा, स्कूल जाने के लिए बस पकड़ती है, और रास्ते में एक अधेड़ उम्र के शख्स की नजर उस पर पड़ जाती है। भीड़ का फायदा उठाकर वो उससे छेड़छाड़ करने लगा। लेकिन यहाँ कहानी में ट्विस्ट आता है – बस के ड्राइवर और कंडक्टर ने तुरंत एक्शन लिया! सच कहूँ तो, ऐसा कम ही देखने को मिलता है।
असल में देखा जाए तो ये कोई स्पेशल बस नहीं थी। वही पुरानी हरियाणा रोडवेज की बसें, जिनमें रोज हजारों students सफर करते हैं। लेकिन इस बार staff ने अपनी जिम्मेदारी समझी। जैसे ही लड़की ने आवाज उठाई, उन्होंने उस गंदे इरादे वाले आदमी को पकड़ा और सीधा police station पहुँचा दिया। सलाम है ऐसे लोगों को!
अब सबसे दिलचस्प बात – थाने में जाकर वो बदमाश माफी माँगने लगा। और लड़की ने? exams के प्रेशर को देखते हुए माफ कर दिया। लेकिन यहाँ police वालों ने बड़ा कूल मूव किया। उन्होंने साफ कहा – “भले ही पीड़िता माफ कर दे, कानून तो अपना काम करेगा ही।” साथ ही transport department वालों ने भी बसों में CCTV cameras बढ़ाने की बात कही है। देखते हैं कब तक होता है ये सब।
लड़की के परिवार की बात सुनिए – “हमारी बेटी बहादुर है, लेकिन exams के इस वक्त में हम लंबी कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकते।” समझ सकते हैं उनका दर्द। वहीं दूसरी तरफ, बस staff का कहना था – “हमारा रूल क्लियर है, किसी भी महिला के साथ गलत हुआ तो हम चुप नहीं बैठेंगे।” काश हर जगह ऐसा ही हो!
तो क्या इस घटना से कुछ सबक मिलता है? एक तरफ तो ये दिखाता है कि अब लोग आवाज उठा रहे हैं। दूसरी तरफ… सच्चाई यही है कि आज भी लड़कियों को बस में सफर करना एक चुनौती है। NGOs वाले awareness campaigns चला रहे हैं, सरकार नए नियम बना रही है… पर क्या ये काफी है? सोचने वाली बात है।
एक बात तो तय है – इस बार सिस्टम ने काम किया। police ने, transport वालों ने, आम लोगों ने। लेकिन असली सवाल ये है कि क्या हम ऐसी घटनाओं को पूरी तरह रोक पाएंगे? वो दिन कब आएगा जब एक लड़की बस में सफर करते वक्त डरेगी नहीं? जवाब शायद हम सभी के हाथ में है।
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ये घटना तो वाकई सोचने पर मजबूर कर देती है – क्या हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ एक दिखावा है? और नैतिकता… हां वो तो जैसे किताबों तक ही सीमित रह गई है। अब देखिए न, आरोपी ने माफी मांग ली, मगर क्या इससे वो गलती सही हो जाएगी? बिल्कुल नहीं!
एक तरफ तो हम ‘बेटी बचाओ’ का नारा लगाते हैं, लेकिन दूसरी तरफ ऐसे मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। सच कहूं तो, सिर्फ कानून और सजा ही काफी नहीं है। जरूरत है जागरूकता की, वो भी जमीनी स्तर पर।
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बस में नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़: जानिए पूरा मामला और आपके सवालों के जवाब
हाल ही में सामने आया ये मामला सचमुच दिल दहला देने वाला है। एक नाबालिग लड़की, जो शायद अपने स्कूल से लौट रही थी, बस में ही किसी बदमाश की हरकत का शिकार बनी। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा होने दिया कैसे जा सकता है? चलिए, इससे जुड़े सभी पहलुओं पर बात करते हैं…
1. आरोपी ने थाने में माफी क्यों मांगी? क्या ये सच्ची पछतावा था?
देखिए, ऐसे लोगों की फितरत ही ऐसी होती है। जब तक पकड़े नहीं जाते, तब तक तो बड़े बहादुर बने रहते हैं। लेकिन जैसे ही पुलिस के सामने पहुंचे, फौरन माफी मांगने लगे। असल में? ये सिर्फ एक चाल है कानूनी पचड़े से बचने की। हालांकि, याद रखिए – माफी मांग लेने से कोई केस खत्म नहीं हो जाता। पुलिस तो अभी investigation कर ही रही है, और उम्मीद है कि सही action लिया जाएगा।
2. पीड़िता कौन है? उसकी उम्र और स्कूल के बारे में क्यों नहीं बताया जा रहा?
ईमानदारी से कहूं तो, यहां सबसे ज्यादा जरूरी है उस बच्ची की privacy को बचाना। वह एक minor है – शायद 14-15 साल की होगी। Exact उम्र बताना ठीक नहीं, क्योंकि आजकल social media पर कुछ भी viral हो जाता है। स्कूल का नाम? वो भी नहीं बताया जा रहा, और यह सही फैसला है। कल्पना कीजिए अगर ये details public हो जाएं, तो उस बच्ची को और उसके परिवार को कितनी परेशानी हो सकती है।
3. कानून इस बारे में क्या कहता है? क्या सच में सख्त सजा मिलेगी?
अब यहां बात गंभीर हो जाती है। भारतीय कानून में ऐसे मामलों को लेकर काफी सख्त प्रावधान हैं। IPC की धारा 354 तो लागू होगी ही, साथ ही POCSO Act भी आएगा। और POCSO के तहत तो बात बिल्कुल हल्की नहीं है – कम से कम 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। लेकिन सच्चाई यह है कि अक्सर ऐसे मामलों में सजा मिलने में सालों लग जाते हैं। क्या यह सही है? बिल्कुल नहीं!
4. क्या बस कंपनी या ड्राइवर पर भी कोई case बनेगा?
यह एक बहुत अच्छा सवाल है। देखा जाए तो, सिर्फ आरोपी को ही नहीं, बल्कि जिन्होंने सुरक्षा में लापरवाही की है, उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। अगर investigation में पता चलता है कि बस में CCTV नहीं था, या फिर staff ने अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभाई, तो उनके खिलाफ भी action होना चाहिए। वैसे भी, अब तो हर बस में महिला सुरक्षा guidelines का पालन करना ही चाहिए। सवाल यह है कि क्या ये सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं?
अंत में, सिर्फ इतना कहूंगा – ऐसे मामले सिर्फ कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि हमारे समाज के लिए एक सवाल हैं। क्या हम अपनी बेटियों को सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं? सोचने वाली बात है…
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com