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कैंप मिस्टिक त्रासदी: बाढ़ के अंधेरे में सुनी गईं चीखें, पीड़ितों की संख्या बढ़कर 27 हुई

कैंप मिस्टिक त्रासदी: जब रात के अंधेरे ने लील लीं 27 जिंदगियां

बात राजस्थान के बाड़मेर की है, जहां “Camp Mystic” नाम के एक एडवेंचर कैंप में हुई वो भीषण घटना जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। असल में, जो खबर पहले आ रही थी कि बाढ़ सुबह आई, वो गलत निकली। मोबाइल डेटा और बचे हुए लोगों के बयान बता रहे हैं कि आफत रात के ठीक 3 बजे ही टूट पड़ी थी। अब तक 27 लोगों की मौत पक्की हो चुकी है… और सोचिए, इनमें 5 मासूम बच्चे भी शामिल हैं। ये कोई सामान्य प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि इंसानी लापरवाही का नतीजा है। सच कहूं तो दिल दहल जाता है।

अब Camp Mystic के बारे में बताऊं तो… ये बाड़मेर के पास एक नदी किनारे बसा हुआ वो पॉपुलर स्पॉट था जहां लोग ट्रैकिंग, river rafting और कैंपिंग का मजा लेने आते थे। उस रात वहां करीब 80-90 लोग मौजूद थे। हैरानी की बात ये कि मौसम विभाग ने तो पहले ही भारी बारिश की चेतावनी दे दी थी, लेकिन कैंप वालों ने इसे हल्के में लिया। और फिर क्या हुआ? नदी अचानक उफान पर आ गई और सोते हुए लोगों के लिए वो रात कभी न सोने वाली नींद में तब्दील हो गई।

ताजा अपडेट क्या है? मरने वालों की संख्या 27 पहुंच चुकी है। 40 से ज्यादा लोगों को तो बचा लिया गया, लेकिन अभी भी 15 लोग लापता हैं। NDRF और स्थानीय टीमें उन्हें ढूंढने में जुटी हैं। सबसे डरावनी बात ये कि बाढ़ सुबह नहीं, बल्कि रात 3 बजे ही आ गई थी – यानी रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए समय और भी कम मिला। अंधेरे में बचाव कार्य करना… सोचकर ही रूह कांप जाती है।

इस पूरे मामले पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। एक पीड़ित के रिश्तेदार का दर्द सुनिए: “हमें तो कोई वार्निंग ही नहीं मिली। अगर थोड़ी भी सूचना मिल जाती…” पर्यावरणविद् डॉ. राजीव मेहता सही कह रहे हैं – “नदी किनारे ऐसे कैंप बनाने से पहले रिस्क असेसमेंट तो होना ही चाहिए।”

अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या? राज्य सरकार ने जांच के लिए हाई-लेवल कमेटी बना दी है। मगर सिर्फ इसी केस की जांच नहीं होगी, बल्कि पूरे राज्य में ऐसे सभी एडवेंचर कैंप्स की सेफ्टी स्टैंडर्ड्स पर भी नजर डाली जाएगी। मौसम विभाग और प्रशासन के बीच बेहतर कोऑर्डिनेशन पर भी जोर दिया जा रहा है। सच तो ये है कि ये त्रासदी हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि प्रकृति के सामने हम कितने नाजुक हैं… और सतर्कता ही बचाव है।

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Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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