Site icon surkhiya.com

कार पार्किंग को कार्पेट एरिया बताकर भारी टैक्स नोटिस – जानें पूरा मामला

BBMP का वही ढर्रा: पार्किंग को ‘कार्पेट एरिया’ बताकर टैक्स का हथौड़ा!

बेंगलुरु के फ्लैट मालिकों की कमर तोड़ने के लिए BBMP ने फिर से नई तरकीब निकाली है। सोचिए, आपकी कार खड़ी करने की जगह अचानक आपके घर का हिस्सा बन जाए? और उस पर अलग से टैक्स लग जाए? जी हां, यही हो रहा है। BBMP ने 31,000 से ज्यादा फ्लैट मालिकों को ऐसे ही टैक्स नोटिस भेजे हैं जहां पार्किंग स्पेस को भी कार्पेट एरिया में गिना गया है। सच में, यह किसी आर्थिक झटके से कम नहीं।

पूरा माजरा क्या है?

असल में यह सब BBMP के नए E-Khata सिस्टम की देन है। हालांकि, यहाँ एक मजेदार बात – यह नियम पहले से था! बस अब इसे सख्ती से लागू किया जा रहा है। मानो सोते हुए कानून को जगा दिया गया हो। और सबसे ज्यादा मार पड़ी है मिडिल क्लास परिवारों पर, जिनके पास अपार्टमेंट्स में वही एक-दो पार्किंग स्पेस होती है। क्या आपको नहीं लगता कि यह थोड़ा ज्यादती है?

अब तक क्या हुआ?

अंदाजा लगाइए – टैक्स 20-30% तक बढ़ गया है! कुछ मामलों में तो दोगुना। अब नाराज फ्लैट मालिक सड़कों पर उतर आए हैं। उनका सवाल सही है – भई, पार्किंग में तो आप रहते नहीं! वहीं BBMP वालों का तर्क है कि “जमीन तो जमीन है, चाहे उस पर कार खड़ी हो या बिस्तर बिछा हो।” एक तरफ तो लॉजिक सही लगता है, पर क्या यह न्यायसंगत है?

दोनों पक्षों की बात

फ्लैट मालिकों का गुस्सा समझ आता है – “एकदम अचानक, बिना वॉर्निंग के टैक्स बढ़ा दिया!” दूसरी ओर, BBMP का कहना है कि वे तो बस नियमों का पालन कर रहे हैं। पर सवाल यह है कि क्या सभी नियम न्यायपूर्ण होते हैं? और क्या इतनी बड़ी संख्या में लोगों पर एकसाथ यह फैसला थोपना उचित था?

अब आगे क्या?

मामला गरमा रहा है। कानूनी नोटिस, प्रदर्शन, और अब तो सरकार से हस्तक्षेप की मांग तक होने लगी है। BBMP चुप्पी साधे हुए है, पर लगता है जनता के दबाव में उन्हें झुकना पड़ेगा। क्योंकि अंततः, जनता ही तो सरकार है। या कम से कम होनी चाहिए, है न?

एक बात तो तय है – यह मामला बेंगलुरु के नागरिकों और प्रशासन के बीच एक नई लड़ाई का संकेत दे रहा है। और देखते हैं, इस बार जीत किसकी होती है। आपको क्या लगता है – क्या BBMP अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी?

यह भी पढ़ें:

कार पार्किंग को कार्पेट एरिया बताकर टैक्स नोटिस! क्या यह सही है?

हाल ही में कई लोगों को ऐसे टैक्स नोटिस मिल रहे हैं जहां उनकी कार पार्किंग को ‘कार्पेट एरिया’ बताकर ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है। सच कहूं तो, यह थोड़ा अजीब लगता है न? आखिर पार्किंग तो खुली जगह होती है… या फिर क्या हम कुछ मिस कर रहे हैं? चलिए इस पूरे मामले को समझते हैं।

1. भईया, पार्किंग स्पेस पर टैक्स क्यों?

देखिए, कुछ नगर निगम और स्थानीय अधिकारियों ने अपनी मर्जी से यह नियम बना लिया है। उनका कहना है कि पार्किंग स्पेस भी प्रॉपर्टी का हिस्सा है – चाहे वह ओपन एरिया ही क्यों न हो। मतलब? टैक्स बढ़ाने का एक और बहाना! हालांकि यह हर जगह नहीं हो रहा, लेकिन जहां हो रहा है, वहां लोग हैरान हैं।

2. अगर नोटिस आया है तो क्या करें?

पहला तो घबराएं नहीं। आप तीन काम कर सकते हैं:
– सीधे म्युनिसिपल ऑफिस में अपील करें
– अपने प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स को अच्छी तरह चेक करें (खासकर पार्किंग स्पेस से जुड़े नियम)
– किसी अच्छे वकील से सलाह लें

मजे की बात यह कि कई केसों में कोर्ट ने ऐसे टैक्स नोटिस को रद्द भी किया है। तो उम्मीद की किरण तो है!

3. क्या यह नियम पूरे भारत में लागू है?

बिल्कुल नहीं! यह पूरी तरह से आपके शहर और स्थानीय नियमों पर निर्भर करता है। कुछ जगहों पर तो पार्किंग स्पेस को ओपन एरिया माना जाता है – जिस पर टैक्स नहीं लगता। तो सबसे पहले अपने लोकल टैक्स रूल्स चेक करें। वैसे भी, हमारे देश में हर शहर के अपने-अपने नियम होते हैं न?

4. भविष्य में ऐसी दिक्कत से कैसे बचें?

अरे, थोड़ी सावधानी तो बनती है! जब भी प्रॉपर्टी खरीदें:
– बिल्डर से साफ-साफ पूछ लें कि पार्किंग स्पेस के टैक्स रूल्स क्या हैं
– प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स में पार्किंग स्पेस को अलग से मेंशन करवाएं
– अगर पहले से घर है तो डॉक्यूमेंट्स रिव्यू कर लें

एक छोटी सी टिप: कभी-कभी बिल्डर्स खुद ही पार्किंग को बिल्ट-अप एरिया बता देते हैं। सतर्क रहें!

अंत में, यह सच है कि टैक्स बढ़ने से कोई खुश नहीं होता। लेकिन अगर आपको लगता है कि गलत तरीके से टैक्स लगाया जा रहा है, तो डटकर सामने आइए। कागजात सही होंगे तो आप जीत जाएंगे। है न?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version