CBSE का बड़ा फैसला: साल में दो बार 10वीं बोर्ड! छात्रों के लिए राहत या नया सिरदर्द?
अरे भाई, CBSE ने तो बम गिरा दिया! अब 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होगी – यानी 2024-25 से नया नियम। सरकारी भाषा में कहें तो “छात्रों के academic stress को कम करना” है मकसद। पर सच कहूं तो, ये तो वही बात हुई – एक बार पीटने की जगह दो बार पिटाई? चलो, फिर भी कोशिश तो अच्छी है।
ये बदलाव आया क्यों?
देखिए, 12वीं में तो पहले से दो बोर्ड चल रहे थे। लेकिन 10वीं वालों को अब तक एक ही मौका मिलता था – मार्च-अप्रैल की गर्मी में पसीना-पसीना हो जाता था बच्चों का। असल में, ये सब NEP 2020 की देन है। वो जिसमें बोला गया था कि “बच्चों को तनाव से बचाओ”। पर सवाल ये है कि क्या दो परीक्षाएं देकर तनाव कम होगा? हमें तो लगता है घर वाले अब दोहरा दबाव डालेंगे – “पहली बार में ही अच्छे marks ले आओ!”
क्या-क्या बदलेगा?
तो सुनिए ये नया प्लान:
– पहली परीक्षा: नवंबर-दिसंबर (ठंड में)
– दूसरी परीक्षा: फरवरी-मार्च (गर्मी की शुरुआत)
अच्छी बात ये कि दोनों में से बेहतर score माना जाएगा। लेकिन… हमेशा की तरह एक पेंच है – दोनों के लिए अलग-अलग online registration कराना होगा। Syllabus वही रहेगा, लेकिन paper pattern थोड़ा अलग हो सकता है। मतलब तैयारी दोगुनी, मेहनत दोगुनी!
लोग क्या कह रहे हैं?
अब ये जानना दिलचस्प होगा कि इस पर किसकी क्या राय है:
– कुछ students खुश हैं – “दूसरा मौका मिलेगा”
– कुछ परेशान – “पढ़ाई का टाइम ही कहाँ है?”
– Teachers का mixed response – अच्छा कदम तो है, पर syllabus कवर कर पाएंगे?
– Parents की बात अलग – कुछ कह रहे हैं “बच्चे सीरियसली पढ़ेंगे”, तो कुछ “और pressure बढ़ेगा”
आगे क्या होगा?
CBSE जल्द ही पूरी guidelines जारी करेगा। स्कूलों को अपना academic calendar बदलना होगा। और हां, counseling sessions की भी बात चल रही है – जरूरी भी है वैसे। एक बात तो तय है – अगर ये प्रयोग कामयाब रहा, तो 12वीं में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल सकता है।
अंत में बस इतना – ये बदलाव तो हो गया, पर असली असर तो तब पता चलेगा जब बच्चे exam hall में बैठेंगे। फिलहाल तो ये एक बोल्ड मूव ही कहा जाएगा। क्या पता, आने वाले सालों में हम “साल में दो बोर्ड” को ही नॉर्म मानने लगें! क्या कहते हो आप?
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देखिए, CBSE का यह फैसला तो एक तरह से गेम-चेंजर साबित हो सकता है। असल में, बच्चों पर पड़ने वाले exam के तनाव को कम करना ही मुख्य मकसद है। सोचिए न, अगर पहली बार में performance ठीक नहीं रही तो दूसरा मौका मिल जाएगा। एक तरह से ‘second innings’ का ऑप्शन। लेकिन सच कहूं तो यह सिस्टम उन students के लिए वरदान है जो पहली बार में nervous हो जाते हैं।
2. क्या दोनों परीक्षाओं का syllabus अलग-अलग होगा? यहां है पूरी जानकारी
नहीं भई, syllabus तो वही रहेगा। मतलब आपको दो बार अलग-अलग चैप्टर्स नहीं पढ़ने पड़ेंगे। पर यहां सबसे मजेदार बात यह है कि आप चाहें तो दोनों exams दे सकते हैं या सिर्फ एक। और हां, अगर दोनों देंगे तो जिसमें ज्यादा marks आएंगे, वही count होगा। एकदम विनिंग सिचुएशन!
3. क्या सभी CBSE स्कूलों में यह नया सिस्टम लागू होगा? जानिए सच्चाई
हां बिल्कुल! सभी CBSE affiliated schools को इसे फॉलो करना होगा। लेकिन यहां एक अच्छी बात यह है कि schools को थोड़ी flexibility मिलेगी। मतलब वे अपने हिसाब से students को गाइड कर सकते हैं। पर एक बात clear है – कोई भी school इससे बच नहीं पाएगा। है न मजेदार?
4. सबसे बड़ा सवाल: क्या वाकई तनाव कम होगा या और बढ़ जाएगा?
अब यह सवाल तो बहुत ही दिलचस्प है! CBSE तो कह रही है कि तनाव कम होगा क्योंकि दो chances मिलेंगे। लेकिन सच्चाई यह भी है कि कुछ बच्चों पर यह backfire भी कर सकता है। सोचिए न, दो बार पढ़ाई का प्रेशर! मेरी निजी राय? जो students स्मार्टली प्लान करेंगे, उनके लिए यह बेहतरीन opportunity है। वरना… आप समझ ही गए होंगे!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com