Site icon surkhiya.com

चंडीगढ़-मनाली NH पर तबाही: NHAI को 200 करोड़ का झटका, जिम्मेदार कौन?

chandigarh manali nh disaster nhai loss 200 crore responsibi 20250802120511990654

चंडीगढ़-मनाली NH पर तबाही: NHAI को 200 करोड़ का झटका, जिम्मेदार कौन?

2025 का मॉनसून… अरे भई, ये तो हिमाचल के लिए किसी बुरे सपने जैसा रहा! मंडी जिले की हालत देखकर लगता है जैसे प्रकृति ने अपना गुस्सा निकाल दिया हो। चंडीगढ़-कीरतपुर-मनाली NH पर हुए भारी भूस्खलन ने न सिर्फ पूरे ट्रैफिक सिस्टम को धराशायी कर दिया, बल्कि 200 करोड़ से ज्यादा का नुकसान भी कर दिया। सच कहूं तो, ये आंकड़ा भी शायद कम है। 1,000 से ज्यादा घर, दर्पनों सड़कें… NHAI वालों की तो नींद ही उड़ गई होगी। और सबसे बड़ा सवाल – आखिर ये सब हुआ क्यों? किसकी लापरवाही की कीमत आम लोगों को चुकानी पड़ रही है?

मामले की पृष्ठभूमि: एक संवेदनशील मार्ग की दुर्दशा

देखिए, ये हाईवे हिमाचल की जान है – पर्यटन से लेकर स्थानीय अर्थव्यवस्था तक सबकुछ इसी पर टिका है। लेकिन पिछले कुछ सालों से मॉनसून आते ही यहां भूस्खलन होना आम बात हो गई है। असल में, NHAI वाले हाईवे को चौड़ा करने में इतने व्यस्त थे कि पर्यावरणविदों की चेतावनियों को अनसुना कर दिया। उनका कहना था न कि पेड़ काटने और बेतरतीब निर्माण से पहाड़ अस्थिर हो जाएंगे। और अब? जो होना था वो हो गया। सच तो ये है कि ये कोई एक दिन की मुसीबत नहीं, बल्कि लंबे समय से की जा रही गलतियों का नतीजा है।

मुख्य अपडेट: हाईवे ठप, जांच शुरू

अभी की स्थिति? बिल्कुल डरावनी। हाईवे का एक बड़ा हिस्सा बंद है, ट्रैफिक पूरी तरह अस्त-व्यस्त। NHAI की शुरुआती रिपोर्ट कहती है कि निर्माण सामग्री में घपला और डिजाइन में गड़बड़ी हो सकती है। वहीं प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है – अब तक 50 से ज्यादा परिवारों को सेफ जगह पहुंचाया जा चुका है। लेकिन मुसीबत अभी टली नहीं है, मौसम विभाग ने अगले दो दिनों में और भारी बारिश की चेतावनी दी है। स्थिति और बिगड़ सकती है, ये सोचकर ही डर लगता है।

प्रतिक्रियाएं: आक्रोश और वादे

अब देखिए, हर कोई अपनी-अपनी रोटी सेक रहा है। NHAI वाले कह रहे हैं – “हम जांच कर रहे हैं, जिम्मेदार पाए जाने पर कार्रवाई होगी।” ये वही पुरानी रट है न? जिला अधिकारी महोदय ने मुआवजे और केंद्रीय सहायता का आश्वासन दिया है। लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहती है। स्थानीय लोग तो बेहद गुस्से में हैं – एक बुजुर्ग ने मुझसे कहा, “ये प्रकृति का कहर नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही का नतीजा है।” पर्यावरणविद् डॉ. मिश्रा की बात सुनिए – “पहाड़ों को काट-छांटकर सड़क बनाने का यही अंजाम होता है।” सच कहूं तो, हर बार यही होता है – नुकसान होता है, बयानबाजी होती है, और फिर सब भूल जाते हैं।

आगे की राह: जांच और पुनर्निर्माण

तो अब सवाल ये है कि आगे क्या? NHAI की टीम जांच करेगी, कुछ लोगों को बलि का बकरा बनाया जाएगा। हाईवे खुलने में कम से कम एक महीना लगेगा – पर्यटन सीजन को भारी नुकसान तो होगा ही। सरकार रिटेनिंग वॉल और बेहतर ड्रेनेज सिस्टम की बात कर रही है। लेकिन क्या ये काफी है? असली सवाल तो ये है कि क्या हम विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बना पाएंगे? या फिर अगले मॉनसून में यही कहानी दोहराई जाएगी? सोचने वाली बात है…

चंडीगढ़-मनाली हाईवे की तबाही: सारे सवाल, सारे जवाब

आखिर क्यों बर्बाद हुआ चंडीगढ़-मनाली NH?

असल में देखा जाए तो भारी बारिश और landslides तो तात्कालिक वजह हैं, लेकिन सच ये भी है कि NHAI की लापरवाही भी कम जिम्मेदार नहीं। मान लीजिए, आपका घर टूट जाए और आप कहें कि ‘बारिश की वजह से ढह गया’ – पर सवाल तो ये उठता है कि पड़ोस के घर क्यों सही हैं? कुछ विशेषज्ञों का तो यहाँ तक कहना है कि construction quality में ही दिक्कत थी। बस, official रिपोर्ट में ‘natural disaster’ लिख दिया गया है।

200 करोड़ का नुकसान? सच में?

अरे भई, ये आँकड़ा तो सिर्फ टूटे हुए bridges और highway के उन हिस्सों का है जो पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। असली मजा तो अभी आना बाकी है! Emergency repairs के नाम पर पूरे रूट पर काम चल रहा है – और हर दिन का खर्चा अलग। NHAI वालों की तो नींद हराम हो गई होगी, है न?

राजनीति घुसी है क्या इसमें?

सुनिए, opposition leaders तो मौका देखते ही आरोप लगाने लगते हैं। negligence के आरोप लगे हैं, लेकिन ईमानदारी से कहूँ तो अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला। हालाँकि… जाँच कमेटी बैठी है, तो कुछ न कुछ तो निकलेगा ही। राजनीति हो या सच्चाई, वक्त बताएगा।

अभी इस रूट पर जाना है? ये जरूर जान लें

NHAI की सलाह तो यही है कि alternate routes ही use करें। वैसे भी, जिन हिस्सों पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, वहाँ तो अभी जंगलराज चल रहा है – JCBs, labourers और धूल-मिट्टी का अंबार! Real-time updates के लिए ‘NH Traffic’ जैसे apps तो हैं ही, लेकिन मेरी सलाह? एक हफ्ते तक तो बिल्कुल न जाएँ। सुरक्षित रहिए, दोस्तों!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version