प्रयागराज हिंसा पर चंद्रशेखर आजाद का बयान: “पुलिस ने जांच की या सिर्फ दिखावा?”
अरे भाई, प्रयागराज में हुई हिंसा के बाद तो सियासत गरमा गई है। भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने तो जैसे बवाल ही खड़ा कर दिया है। NDTV को दिए इंटरव्यू में उनका सवाल साफ था – “क्या पुलिस ने सच में जांच की, या सिर्फ दिखाने के लिए?” और फिर उनका ये वाला जुमला तो सोशल मीडिया पर आग लगा देगा: “सरकारी संपत्ति हमारी ही तो है… अपना ही सामान तोड़ेंगे क्या?” सच कहूं तो, ये बयान राजनीति की हवा में घी का काम कर गया।
पूरा माजरा क्या है?
देखिए न, प्रयागराज के कुछ इलाकों में पिछले हफ्ते जो हंगामा हुआ, वो तो आपने TV पर देखा ही होगा। दो गुटों की लड़ाई, पथराव, दुकानें जलीं… पुलिस ने तुरंत 50-60 लोगों को पकड़ लिया और कह दिया “शांति हो गई”। पर असल सवाल ये है कि क्या सच में शांति हुई? आजाद तो कह रहे हैं कि जांच एकतरफा चल रही है। और सच बताऊं? उनकी बात में दम तो लगता है। क्योंकि अब तक जो कुछ हुआ है, उसमें सिर्फ एक ही तरफ के लोग ही जेल क्यों जा रहे हैं?
जांच या जांच का नाटक?
आजाद का ताजा बयान तो और भी मजेदार है। बोले, “अपना ही घर तोड़ेंगे क्या भाई?” सीधी सी बात है न! पर पुलिस वालों का कहना है कि सब निष्पक्ष हो रहा है। अब यहां दो कहानियां चल रही हैं – एक पुलिस की, एक आजाद की। सच किसके पास है? शायद सच वही है जो TV चैनल्स नहीं दिखा रहे। है न मजे की बात?
राजनीति का पेंच
अब तो मामला और भी गड़बड़ हो गया है। भाजपा वाले आजाद को ‘कानून तोड़ने वाला’ बता रहे हैं। समाजवादी पार्टी वाले उनका साथ दे रहे हैं। और बीच में फंसे हैं वो गरीब लोग जिनके घर जले हैं। स्थानीय लोगों की बात सुनिए – वो बस इतना चाहते हैं कि शांति से रहें। पर क्या ये मुमकिन है जब राजनीति इतनी गरम हो?
अब आगे क्या?
पुलिस कह रही है कि और तेजी से जांच करेंगे। पर क्या ये सच में होगा? क्योंकि उत्तर प्रदेश में तो हमेशा से ही… छोड़िए, बात न करें। कुछ लोग कह रहे हैं कि आजाद पर केस हो सकता है। वहीं कुछ संगठन शांति बैठकें कर रहे हैं। पर असल सवाल ये है कि क्या ये सब दिखावा है या सच में कुछ बदलेगा?
एक बात तो तय है – ये मामला अब सिर्फ हिंसा नहीं रहा। ये तो राजनीति का नया खेल बन गया है। और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, ये खेल और गरम होगा। देखते हैं, इस बार जनता किसकी चाल समझती है!
[साइड नोट: ये पूरा मामला उस पुरानी कहावत को सच कर रहा है – “जब हाथी लड़ते हैं, तो घास ही कुचली जाती है।”]
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प्रयागराज हिंसा पर चंद्रशेखर आजाद का यह बयान… सच कहूं तो, मन में कई सवाल पैदा कर देता है। क्या पुलिस ने वाकई निष्पक्ष जांच की? या फिर कहीं कोई दबाव काम कर रहा था? अब देखिए न, जब कोई बड़ा नेता ऐसे सवाल उठाता है तो सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वो पारदर्शिता दिखाए। वरना जनता का भरोसा कैसे बचेगा?
NDTV एक्सक्लूसिव में जो खुलासे हुए, उन्होंने तो एक बार फिर साबित कर दिया कि आम आदमी की आवाज़ दबाने की कोशिशें कभी कामयाब नहीं होतीं। सच सामने आकर ही रहता है, चाहे कितनी भी कोशिश कर लो। लेकिन सवाल यह है कि क्या हमारे सिस्टम में इतनी हिम्मत है कि वो सच को स्वीकार कर सके?
एक तरफ तो नेताओं के बयान, दूसरी तरफ प्रशासन की चुप्पी… ये सब मिलकर क्या संकेत देते हैं? सोचने वाली बात है।
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com