चीन का डबल गेम: क्या सच में व्यापार को हथियार बना रहा है भारत के खिलाफ?
अभी कुछ दिन पहले ही चीन ने भारत को होने वाले कुछ अहम निर्यातों पर रोक लगा दी है – rare earth magnets और fertilizers जैसी चीजें। और ये कोई मामूली चीजें नहीं हैं, बल्कि वो सामान हैं जिन पर हमारी सेना से लेकर किसान तक निर्भर हैं। सबसे दिलचस्प (और चिंताजनक) बात ये है कि ये कदम ठीक उस वक्त उठाया गया जब हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन के दौरे पर हैं। क्या ये महज एक संयोग है? शायद नहीं। देखा जाए तो ये चीन की उसी पुरानी चाल का हिस्सा लगता है – एक तरफ बातचीत, दूसरी तरफ दबाव।
पिछले कुछ सालों का हिसाब-किताब
2020 की गलवान घाटी की झड़प के बाद से ही भारत-चीन रिश्तों में तल्खी आई है। पर असल मुद्दा ये है कि चीन हमेशा से ‘दोहरी रणनीति’ अपनाता आया है। एक तरफ तो वो trade के मामले में हमारा सबसे बड़ा पार्टनर है, लेकिन दूसरी तरफ बार-बार हमें आर्थिक रूप से निशाना भी बनाता रहा है। याद है न वो TikTok जैसे ऐप्स पर बैन लगाने का मामला? ये नई चाल उसी सिलसिले की अगली कड़ी लगती है।
अभी की स्थिति: क्या-क्या चल रहा है?
चीन ने मुख्य रूप से दो चीजों पर रोक लगाई है – rare earth magnets और fertilizers। अब इन दोनों का ही अपना-अपना महत्व है। Rare earth magnets तो हमारे defense और टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए जीवनरेखा की तरह हैं। वहीं fertilizers… अरे भई, किसानों के बिना तो देश चल ही नहीं सकता न! पर सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि ये कदम हमारे रक्षा मंत्री के चीन दौरे के दौरान ही उठाया गया। साफ-साफ दिख रहा है कि चीन बातचीत के साथ-साथ आर्थिक दबाव का खेल भी खेल रहा है।
कौन क्या कह रहा है?
हमारे अधिकारियों का कहना है कि ये चीन की पुरानी ‘प्रेशर टैक्टिक्स’ है और हम इससे निपटने को तैयार हैं। एक्सपर्ट्स की राय? भारत को चीन पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाशने होंगे। राजनीतिक विश्लेषक तो यहां तक कह रहे हैं कि चीन अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है। कुछ लोग इसे ‘ट्रेड वॉर’ की शुरुआत भी मान रहे हैं। सच क्या है? शायद वक्त ही बताएगा।
आगे की राह: भारत के पास क्या विकल्प हैं?
अब सवाल ये उठता है कि भारत आगे क्या करे? कुछ संभावित रास्ते:
- नए ट्रेड एग्रीमेंट्स की तलाश
- घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर
- चीन पर निर्भरता कम करने की दीर्घकालिक रणनीति
अगर चीन यही रवैया जारी रखता है, तो दोनों देशों के बीच रिश्ते और खराब हो सकते हैं। और हां, अभी चल रही डिप्लोमैटिक वार्ताओं पर भी इसका असर पड़ सकता है।
अंत में एक बात तो साफ है – भारत को अब बहुत सोच-समझकर चलना होगा। न तो हमें कमजोर दिखना है, न ही रिश्तों को और बिगाड़ना है। शायद ये वो मौका है जब हमें सच में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर बढ़ना होगा। क्या हम तैयार हैं? वक्त बताएगा।
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चीन का डबल गेम: कुछ सवाल जो दिमाग में आते हैं
1. चीन भारत के साथ व्यापार को हथियार क्यों बना रहा है? सच्चाई क्या है?
देखिए, चीन अपने economic ताकत को एक political टूल की तरह इस्तेमाल कर रहा है – जैसे कोई बच्चा खिलौने से खेलने की बजाय उससे मारने लगे। Border issues तो हैं ही, लेकिन असल मकसद है भारत को economically कमजोर करना। एक तरह से ये उनकी ‘नरम युद्ध’ (soft war) की रणनीति है।
2. क्या भारत चीन के इस चालबाजी का जवाब दे पाएगा?
ईमानदारी से कहूं तो हमारे पास विकल्प हैं। Atmanirbhar Bharat जैसे कदम तो अच्छे हैं, पर क्या ये काफी है? अभी भी हमारी manufacturing sector को और मजबूत करने की जरूरत है। वैसे अच्छी बात ये है कि हम दूसरे देशों के साथ trade deals बढ़ा रहे हैं – ये smart move है।
3. चीन के इस रवैये से हमारी economy पर क्या असर पड़ेगा? सोचने वाली बात
Short-term में? हां, कुछ industries को झटका लगेगा। लेकिन long-term में देखें तो ये एक golden opportunity है। जैसे कोई बच्चा गिरकर चलना सीखता है, वैसे ही हमारे local businesses और startups को ये challenge आगे बढ़ने का मौका देगा। पर शर्त यही है कि हम दूसरे देशों के साथ relationships मजबूत करें।
4. क्या चीनी products का boycott करना सच में काम करेगा?
सीधा जवाब – हां, पर पूरी कहानी इतनी सरल नहीं। Consumer level पर boycott से चीन को नुकसान होगा, ये सच है। लेकिन सवाल ये है कि क्या हमारी Indian companies वैसी quality और prices दे पाएंगी? मेरा मानना है कि हां, पर इसके लिए थोड़ा समय और सरकारी सपोर्ट चाहिए। वैसे देखा जाए तो हमारे पास बहुत अच्छे विकल्प आने लगे हैं – बस awareness की कमी है।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com