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“चीन का HQ-16 पाकिस्तान को मिला, लेकिन क्या यह भारत के ब्रह्मोस और S-400 को रोक पाएगा? ऑपरेशन सिंदूर की यादें ताजा!”

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चीन का HQ-16 पाकिस्तान को मिला: पर क्या यह भारत के ब्रह्मोस और S-400 के आगे टिक पाएगा?

अब चीन ने एक और चाल चली है। पाकिस्तान को HQ-16 नाम की सतह-से-हवा मिसाइल (Surface-to-Air Missile – SAM) दी है। ये तो वही बात हुई कि जैसे कोई बच्चे को पटाखे दे दे। असल में, ये चीन की पुरानी आदत है – पाकिस्तान को हथियार बेचना। पर सवाल ये है कि क्या ये नया खिलौना भारत के ब्रह्मोस और S-400 जैसे दैत्यों के सामने टिक पाएगा? खासकर तब, जब 2019 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के चीनी बनावटी रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकनाचूर कर दिया था।

ऑपरेशन सिंदूर: जब चीनी तकनीक की पोल खुल गई

याद है ना वो 2019 का मामला? बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के चार एयरबेस को निशाना बनाया था। और हैरानी की बात ये कि पाकिस्तान के YLC-8E रडार और HQ-16/HQ-9P जैसे सिस्टम ब्रह्मोस और SCALP मिसाइलों के आगे बिल्कुल बेकार साबित हुए। सच कहूं तो, ये चीनी तकनीक का बड़ा भोंडा प्रदर्शन था।

चीन तो पाकिस्तान को हथियार बेचता ही रहेगा – JF-17 Thunder से लेकर अब ये HQ-16 तक। पर सवाल ये है कि क्या ये सच में पाकिस्तान की मदद कर पाएगा? या फिर ये भी पिछले वाले हथियारों की तरह नाकाम साबित होगा?

HQ-16 मिला तो सही, पर क्या फायदा?

तो चीन ने पाकिस्तान को HQ-16 (या जिसे LY-80 भी कहते हैं) दे दिया है। ये 40 किमी तक मार कर सकता है। भारत ने इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। पर साथ ही ये भी कहा है कि हमारे पास तो S-400 और ब्रह्मोस जैसी चीजें हैं – जो HQ-16 से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं।

एक्सपर्ट्स की मानें तो HQ-16 तो बस एक औसत दर्जे का सिस्टम है। S-400 और ब्रह्मोस के सामने ये कुछ खास नहीं कर पाएगा। खासकर तब, जब ऑपरेशन सिंदूर में ये पहले ही फेल हो चुका है। जैसे कि एक भारतीय रक्षा विशेषज्ञ ने कहा – “ये तो बस एक मीडियम रेंज सिस्टम है। S-400 के सामने ये कुछ नहीं कर पाएगा।” सच बात तो ये है।

क्या बढ़ेगा तनाव?

HQ-16 की वजह से भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ सकता है। पर सच तो ये है कि भारत ने पहले ही S-400 तैनात कर लिया है – जो 400 किमी तक मार कर सकता है। और ब्रह्मोस तो पहले से ही पाकिस्तान की नींद उड़ाए हुए है। पाकिस्तानी अधिकारी कह रहे हैं कि “ये सिस्टम हमारी सुरक्षा बढ़ाएगा”। और चीन तो अपने प्रोडक्ट की तारीफ करेगा ही। पर सच्चाई ये है कि 2019 में चीनी तकनीक की असलियत सबने देख ली थी।

तो HQ-16 क्या भारत के लिए कोई बड़ी चुनौती बन पाएगा? मेरी राय में तो नहीं। फिलहाल तो भारत के पास S-400 और ब्रह्मोस जैसे हथियारों की बदौलत बढ़त है। बाकी, आगे क्या होगा – वो तो वक्त ही बताएगा।

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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