चीन-भारत रिश्ते: ट्रंप की वापसी और एक नया खेल शुरू?
असल में, एशिया की राजनीति इन दिनों एक रोमांचक मोड़ पर है। साल 2025 में भारत सरकार ने चीनी नागरिकों को पर्यटक visa देने का जो फैसला लिया, वो सिर्फ एक फॉर्मेलिटी नहीं है। देखा जाए तो ये उस बर्फ़ को पिघलाने की कोशिश है जो पिछले कुछ सालों में जम चुकी थी। और है ना दिलचस्प बात? अब RIC (रूस-भारत-चीन) ग्रुप को फिर से जिंदा करने की भी बात चल रही है। सोचिए, क्या ये सच में एशिया के power equations को हिला देगा?
गालवान से गर्मजोशी तक: क्या ये संभव है?
याद कीजिए 2020 को – गालवान घाटी में वो खूनी झड़प, फिर border tensions, trade war… ईमानदारी से कहूं तो रिश्ते बर्फ़ की तरह जम गए थे। लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति का ये मजेदार खेल है ना? आज वही चीन फिर बातचीत की मेज पर है। क्यों? क्योंकि दुनिया बदल रही है। अमेरिका-चीन तनाव, यूक्रेन युद्ध… और अब Trump के वापस आने की संभावना! मजे की बात ये है कि भारत ने हमेशा balanced approach अपनाया। शायद यही वजह है कि आज हम यहां बात कर रहे हैं।
RIC वापसी: क्या ये पश्चिम के लिए सिरदर्द बनेगा?
एक जमाना था जब RIC ग्रुप western dominance के खिलाफ मजबूत आवाज़ हुआ करता था। फिर सब शांत हो गया। लेकिन अब? लगता है तीनों देशों को फिर से एक दूसरे की जरूरत महसूस हो रही है। Energy से लेकर security तक – नए deals की चर्चाएं जोरों पर हैं। और हां, ये पश्चिम को परेशान कर सकता है, खासकर तब जब अमेरिका अपने ही internal issues में उलझा हुआ है। क्या ये मौका है नया alliance बनाने का?
वीजा ढील: सिर्फ पर्यटन नहीं, बड़ा संदेश
अब ये मत सोचिए कि ये सिर्फ tourists के लिए है। असल में तो ये people-to-people contact बढ़ाने की सोची-समझी रणनीति है। एक तरह से mutual trust बनाने की पहली सीढ़ी। भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने तो इसे ‘concrete step’ तक कह डाला। और चीन? वो भी शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की बात कर रहा है। पर सवाल ये है कि क्या ये सब सिर्फ दिखावा है या सच में कुछ बदलने वाला है?
Trump का भूत: क्यों डर रहा है चीन?
यहां एक मजेदार twist है – Donald Trump की वापसी की संभावना। जानते हैं ना कि पिछली बार Trump के समय में अमेरिका-भारत रिश्ते कितने मजबूत हुए थे? चीन उसी history को repeat होते नहीं देखना चाहता। शायद इसीलिए अब भारत के साथ relations सुधारने पर मजबूर हुआ है। राजनीति है भाई, हर चाल के पीछे कोई न कोई calculation तो होता ही है!
आगे का रास्ता: मुश्किलें भी, मौके भी
सच कहूं तो ये शुरुआत अच्छी है, पर रास्ता आसान नहीं होगा। Border issues अभी भी वहीं हैं। और अमेरिका? वो तो भारत-चीन नजदीकी को अपने लिए अच्छा नहीं मानेगा। लेकिन अगर RIC ग्रुप सच में मजबूत होता है… तो क्या पता, हम एशिया में एक नया power center उभरते देखेंगे। एक बात तो तय है – दुनिया की ताकत का केंद्र अब पूर्व की तरफ shift हो रहा है। और भारत? वो इस खेल में key player बनने को तैयार बैठा है।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com