चीन-भारत तनाव: अब तिब्बत को लेकर क्यों गरमा रहा है माहौल?
अरे भाई, भारत और चीन वाली यह कहानी तो जैसे सीरियल की तरह चल रही है – नए-नए एपिसोड आते रहते हैं! लेकिन इस बार ट्विस्ट कुछ अलग है। पहली बार तिब्बत मुख्य मुद्दा बना है। सच कहूं तो मुझे लगता है चीन वालों को हमारे PM मोदी का दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देना बिल्कुल पच नहीं रहा। और उनकी प्रतिक्रिया? एकदम ‘टाइपिकल चाइना’ वाली – धमकी भरे बयान और आक्रामक भाषा। पर सवाल यह है कि क्या यह सच में कोई बड़ा खतरा है या फिर सिर्फ ड्रैगन की हॉट एयर?
तिब्बत का मसला: इतिहास की कुछ यादें
देखिए, यह कोई नई बात नहीं। 1950 से ही चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर रखा है। और हमारे देश ने तब से ही तिब्बती शरणार्थियों को shelter दी है। मजे की बात यह कि चीन को यह ‘अपनी सुरक्षा के लिए खतरा’ लगता है। सच कहूं तो? उन्हें हर चीज में खतरा दिखता है! अब तो दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर भी रोज नए ड्रामे हो रहे हैं। चीन चाहता है कि उनकी मर्जी के बिना कोई फैसला न हो, जबकि तिब्बती समुदाय इसे अपना धार्मिक अधिकार मानता है। समझ गए न मामले की जड़?
हाल की घटनाएं: चीन का गुस्सा और हमारा जवाब
अब आते हैं recent events पर। जब हमारे PM ने दलाई लामा को बधाई दी, चीन वाले तो जैसे आग बबूला हो गए! उनके विदेश मंत्रालय ने official statement जारी कर हमें ‘संप्रभुता का सम्मान’ करने की नसीहत दे डाली। Global Times जैसे अखबारों ने तो भारत को ही ‘अस्थिरता फैलाने वाला’ बता दिया। मजेदार बात यह है कि यह सब उनकी पुरानी रणनीति का हिस्सा लगता है – भारत को mentally pressure में लेने की कोशिश।
भारत का स्टैंड: झुकेंगे नहीं!
अच्छी खबर यह कि हमारी सरकार ने चीन के इन बयानों को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के sources के मुताबिक, हमने साफ कह दिया है कि हम किसी के दबाव में नहीं आएंगे। LAC पर tension बनाए रखने की चीन की कोशिशें भी नई नहीं हैं। पर एक बात तो तय है – इस बार भारत की foreign policy पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है। और तिब्बती समुदाय? वे तो हमारे समर्थन से खुश हैं।
आगे क्या? कुछ predictions…
तो अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा? कुछ experts का मानना है चीन economic sanctions या diplomatic isolation की रणनीति अपना सकता है। पर मेरा मानना है कि अमेरिका जैसे देशों का समर्थन हमारे पास है। असल में, यह पूरा मामला दोनों देशों की strategic patience की परीक्षा है। एक तरफ तो चीन अपनी expansionist नीतियों पर अड़ा है, दूसरी तरफ भारत अपने सिद्धांतों पर समझौता नहीं करेगा।
निष्कर्ष? तिब्बत अब इस तनाव का केंद्र बन चुका है। चाहे यह चीन का दबाव बनाने का तरीका हो या कोई real threat, भारत के लिए यह चुनौती तो है ही। पर हमारी history बताती है – हम झुके नहीं हैं, झुकेंगे भी नहीं। बस, अब देखना यह है कि यह सीरियल का अगला एपिसोड कब आता है!
यह भी पढ़ें:
- India Can Handle Pakistan But Real Threat Is China Dragon 10 Fronts
- Assam Meghalaya Border Dispute 12 Sectors 890Km Tension
- Geopolitical Tension
चीन-भारत तनाव और तिब्बत: क्या है पूरा मामला?
अरे भाई, इन दिनों तो चीन-भारत के बीच तिब्बत को लेकर क्या बवाल मचा हुआ है! सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनल्स तक, हर जगह इसी की चर्चा। पर सच क्या है? आइए, बिना किसी जटिल भाषा के समझते हैं।
1. तिब्बत को इस बार इतना बड़ा मुद्दा क्यों बना दिया गया?
देखो, असल बात यह है कि चीन तिब्बत को अपना “core interest” मानता है – जैसे हम कश्मीर को। पर यहां चालाकी यह है कि वो इसे हमारे खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। बॉर्डर डिस्प्यूट्स में pressure बनाने का ये उसका नया तरीका है। सीधे शब्दों में कहें तो – राजनीति का खेल है भाई!
2. क्या सच में तिब्बत से हमें कोई खतरा है, या सिर्फ दिखावा?
ईमानदारी से कहूं तो, यह सिर्फ धमकी नहीं है। समझिए न, तिब्बत हमारी सुरक्षा के लिए उतना ही अहम है जितना कि आपके घर का मेन गेट। चीन की यह long-term strategy है – एक तरफ तो वो हमें घेरना चाहता है, दूसरी तरफ दबाव बनाकर अपनी मर्जी चलाना। खतरनाक? बिल्कुल!
3. भारत ने अब तक इस मामले में क्या किया है?
हमारी सरकार ने बड़ी समझदारी दिखाई है। एक तरफ तो हमने तिब्बत को चीन का हिस्सा माना है (वैसे भी हमें क्या लेना-देना?), लेकिन दूसरी तरफ दलाई लामा को शरण देकर एक clear message दिया है। कहने का मतलब? हम न तो चीन के आगे झुके, न ही उसके खिलाफ जाकर बेवजह का विवाद खड़ा किया। बैलेंस बनाए रखा। स्मार्ट न?
4. क्या तिब्बत की वजह से युद्ध तो नहीं हो जाएगा?
अभी के हालात देखें तो… नहीं, ऐसा कुछ नहीं लगता। पर याद रखिए, चीन से कुछ भी उम्मीद की जा सकती है! वो border talks में इसे pressure tactic की तरह इस्तेमाल करेगा – यह तय है। पर full-scale war? उतना आसान नहीं। फिर भी… सतर्क रहने में ही भलाई है। आखिर, पड़ोसी है न!
तो ये थी पूरी कहानी संक्षेप में। क्या लगता है आपको – चीन की यह चाल काम करेगी? कमेंट में बताइएगा जरूर!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com