चीन की नई चाल? ‘मेक इन इंडिया’ पर सीधा वार!
अरे भाई, सुनो! भारत और चीन के बीच का यह तनाव अब नया मोड़ लेता दिख रहा है। पिछले कुछ दिनों से जो खबरें आ रही हैं, उनके मुताबिक चीन ने हमारे manufacturing सेक्टर को टारगेट करने की पूरी प्लानिंग कर ली है। सामान की डिलीवरी रोक दी, इंजीनियर्स वापस बुला लिए – ये सब कोई संयोग तो नहीं, है न? और सबसे दिलचस्प बात यह कि यह सीधे-सीधे मोदी जी के ‘मेक इन इंडिया’ ड्रीम पर चोट करने जैसा है। जिसे हम भारत की औद्योगिक रीढ़ मानते आए हैं।
पीछे का सच: ये तनाव नया नहीं
देखिए, हम और चीन का यह झगड़ा कोई नई बात तो है नहीं। 2020 की गालवान की घटना के बाद से ही रिश्ते खट्टे हो चुके थे। हमने उनके ऐप्स बैन किए, उन्हें नुकसान हुआ – पर एक अजीब सच्चाई यह भी है कि आज भी हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स और manufacturing सेक्टर के लिए चीन ही मुख्य supplier बना हुआ है। है न मजेदार बात? और अब लगता है चीन इसी निर्भरता का फायदा उठाने पर आमादा है।
क्या चल रहा है असल में?
अब यहां समझने वाली बात यह है कि पिछले कुछ हफ्तों से क्या-क्या हो रहा है। एक तो हमारी कंपनियों को चीन से आने वाले components मिलने में जानबूझकर देरी की जा रही है। ऑर्डर पूरा होने के बावजूद सामान नहीं आ रहा – ये कोई छोटी बात तो नहीं। दूसरा, यहां काम कर रहे चीनी टेक्नीशियन्स और इंजीनियर्स को अचानक वापस बुलाया जा रहा है। और सबसे बड़ी मुसीबत यह कि हमारा ऑटो, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर तो चीन के बिना अधूरा है। सरकार ने जांच शुरू कर दी है, पर सवाल यह है कि क्या यह सब कुछ पहले से प्लान किया गया था?
कौन क्या बोला? प्रतिक्रियाओं का दंगल
इस पूरे मामले ने तो दिल्ली से लेकर मुंबई तक हलचल मचा दी है। CII जैसी संस्थाएं इसे ‘अनफेयर प्रैक्टिस’ बता रही हैं। विपक्ष सरकार पर नरमी दिखाने का आरोप लगा रहा है। एक्सपर्ट्स की राय? “भाई, अब वियतनाम, ताइवान जैसे alternatives खोजने का वक्त आ गया है।” सरकार की तरफ से बस इतना कहा गया है कि “हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।” पर क्या यह काफी है?
आगे क्या? दो रास्ते…
अब दो संभावनाएं दिख रही हैं। पहली – हम चीन के खिलाफ और सख्त हो जाएं, शायद नए प्रतिबंध लगाएं। दूसरी – यही संकट हमारे ‘आत्मनिर्भर भारत’ को नई रफ्तार दे दे। पर एक डर यह भी सता रहा है कि कहीं यह trade war में तो नहीं बदल जाएगा? क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था हिल सकती है।
अंत में बस इतना – हां, यह चुनौती बड़ी है। पर क्या आपने कभी सोचा कि शायद यही वह मौका है जब हम सच में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं? बस, अब देखना यह है कि हमारी सरकार और उद्योग जगत इस अवसर को कैसे भुनाता है। क्योंकि जैसा कि कहा जाता है – हर संकट में एक अवसर छिपा होता है। सच ना?
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चीन की नई चाल और मोदी जी के सपनों पर साया – कुछ ज़रूरी सवाल
1. चीन ने असल में किस चीज़ को टारगेट किया है?
देखिए, मोदी जी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘Make in India’ का सपना तो सबको पता है न? अब चीन वाले इसी को निशाना बना रहे हैं। सस्ते माल की डंपिंग से हमारे छोटे-मोटे कारोबारियों की कमर टूट रही है। सच कहूँ तो, ये वैसा ही है जैसे कोई पड़ोसी आपके घर में घुसकर आपकी ही दुकान बंद करवा दे!
2. ये सब होगा तो क्या असर पड़ेगा?
अरे भाई, MSMEs वालों का तो बुरा हाल हो जाएगा – ये तो समझ में आता है। लेकिन सवाल ये है कि जब ये छोटे उद्योग डूबेंगे, तो रोज़गार पर क्या असर पड़ेगा? और फिर अर्थव्यवस्था की हालत… सोचकर ही डर लगता है।
3. सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने तो कुछ अच्छे फैसले लिए हैं। चीनी ऐप्स पर बैन लगाना हो या import duty बढ़ाना – सब ठीक है। पर सबसे बढ़िया बात? ‘वोकल फॉर लोकल’ वाला नारा। असल में यही तो रास्ता है आगे बढ़ने का!
4. हम आम लोग क्या कर सकते हैं?
सीधी सी बात है – चीनी सामान न खरीदें! भारतीय उत्पादों को चुनें। और हाँ, सोशल मीडिया पर #VocalForLocal ट्रेंड करवाने में भी तो मदद कर सकते हैं न? थोड़ा सा प्रयास, बड़ा बदलाव ला सकता है। क्या कहते हो?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com