चीन-पाकिस्तान और बांग्लादेश की ये गुप्त मीटिंग: क्या भारत के लिए मुसीबत खड़ी हो रही है?
अरे भाई, कुनमिंग में हाल ही में जो हुआ, वो सच में चिंता वाली बात है। युन्नान प्रांत के इस शहर में बांग्लादेश, चीन और पाकिस्तान के बड़े-बड़े अधिकारी जमा हुए थे – और बातचीत क्या हुई, ये तो पूरा राज ही है। असल में? ये तिकड़म भारत को अलग-थलग करने की प्लानिंग लगती है। हालांकि बांग्लादेश ने joint working group के प्रस्ताव पर थोड़ा हिचकिचाहट दिखाई है, लेकिन यकीन मानिए, ये कोई आम मीटिंग नहीं थी।
पूरा माजरा क्या है?
देखिए, CPEC तो पहले से ही भारत के लिए सिरदर्द बना हुआ है। अब इसमें बांग्लादेश भी शामिल हो जाए, तो? सच कहूं तो पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश ने चीन के साथ इतने प्रोजेक्ट्स पर हाथ मिलाया है कि हमारे लिए चिंता की बात हो गई है। एक तरफ तो हमारे उनके रिश्ते अच्छे हैं, लेकिन दूसरी तरफ ये चीन के साथ गले मिल रहे हैं। और सबसे बड़ी बात – ये मीटिंग ऐसे वक्त में हुई जब भारत-चीन सीमा पर तनाव है और पाकिस्तान वालों का मिजाज तो जगजाहिर है ही।
मीटिंग में क्या-क्या हुआ?
अब जरा इस पर गौर करिए – तीनों देशों ने “त्रिपक्षीय साझेदारी” के नाम पर क्या-क्या प्लान किए। चीन तो अपना पसंदीदा BRI प्रोजेक्ट बांग्लादेश को भी ऑफर करने लगा। और पाकिस्तान? वो तो सेना के स्तर पर सहयोग बढ़ाने की जिद करने लगा! हालांकि बांग्लादेश ने इसमें ब्रेक लगा दिया। शायद उन्हें भी समझ आ गया कि पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत को टेंशन देना उनके लिए भी खतरनाक हो सकता है।
किसने क्या कहा?
दिलचस्प बात ये है कि हर कोई अपने-अपने तरीके से इस मामले को पेश कर रहा है। हमारे विदेश मंत्रालय ने तो बस इतना कहा – “हम सब देख रहे हैं।” बांग्लादेश वाले अपनी पुरानी रट लगा रहे हैं कि वो सबके साथ दोस्ती रखना चाहते हैं। और पाकिस्तान? उनके लिए तो ये “क्षेत्रीय विकास” का मसला है! सच बात तो ये है कि ये सब बयानबाजी से ज्यादा कुछ नहीं।
अब आगे क्या?
तो सवाल ये उठता है कि अब क्या होगा? मेरी नजर में भारत को दो काम तुरंत करने चाहिए:
1. बांग्लादेश को समझाना होगा कि चीन-पाक की इस जोड़ी में फंसना उनके लिए भी ठीक नहीं
2. अपनी सुरक्षा नीतियों पर फिर से गौर करना होगा, खासकर पूर्वी सीमा पर
अगर ये तीनों देश सैन्य सहयोग तक पहुंच गए, तो फिर मुश्किल हो जाएगी।
आखिरी बात
देखिए, ये कुनमिंग मीटिंग कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। ये दक्षिण एशिया के पूरे पावर गेम को बदल सकती है। भारत को अब सोच-समझकर चलना होगा – न सिर्फ डिप्लोमैसी के स्तर पर, बल्कि सेना के स्तर पर भी। एक बात तो तय है – अब हमें और अलर्ट रहना होगा। क्योंकि ये गेम अभी बस शुरू हुआ है…
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1. क्या ये तीनों देश मिलकर भारत के खिलाफ कोई गेम खेल रहे हैं?
देखिए, बात साफ है – चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच जो strategic partnerships और military collaborations बढ़ रहे हैं, वो सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं। असल में, CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) तो जैसे हमारे लिए सीधा चुनौती है, और बांग्लादेश में चीन का बढ़ता influence… उफ्फ! स्थिति गंभीर है, है ना? मतलब साफ है – ये सब हमारी सुरक्षा के लिए अच्छे संकेत नहीं।
2. भारत के लिए सबसे बड़ी टेंशन की बात क्या है?
असल में खतरा ये है कि ये तीनों हमें चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहे हैं। समझिए न, जैसे किसी को चारों तरफ से दबाना चाहते हों। Border tensions तो बढ़ेंगी ही, साथ ही economic pressure का खेल भी चल रहा है। एक तरफ तो हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, लेकिन दूसरी तरफ ये strategic encirclement… सच कहूं तो चिंता की बात है।
3. क्या हम इसका जवाब देने के लिए तैयार हैं?
अच्छा सवाल! देखिए, हमने अपनी military strength तो काफी बढ़ा ली है। QUAD जैसे alliances में शामिल होकर हमने स्मार्ट मूव किया है। पड़ोसियों से relations improve करने की कोशिश भी जारी है। लेकिन… हमेशा एक लेकिन तो होता ही है न? चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। सच बात तो ये है कि इस गेम में हमें और सतर्क रहने की जरूरत है।
4. हम जैसे आम लोगों को क्या करना चाहिए?
सुनिए, सबसे पहले तो aware रहिए। आजकल fake news का जमाना है – कुछ भी शेयर करने से पहले दस बार सोचिए। सरकार की policies को support करना तो जरूरी है, लेकिन अंधभक्ति नहीं। और हां… unity और patriotism का मतलब ये नहीं कि हर विरोधी विचार को गलत ठहरा दिया जाए। थोड़ा बैलेंस बनाकर चलना होगा। क्योंकि अंत में, देश तो हम सबका है ना?
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