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“चीन की मुश्किलें बढ़ीं! भारत के बाद एक और दुश्मन ने खरीदा ‘समुद्री शिकारी’, जिनपिंग की टेंशन बढ़ी”

चीन की मुसीबतें और बढ़ीं! भारत के अलावा अब एक और देश ने ख़रीदा ‘समुद्री शिकारी’, जिनपिंग की चिंता बढ़ी

अरे भाई, एशिया-प्रशांत में चीन का दबदबा बढ़ाने का खेला अब और मुश्किल होता जा रहा है। सुनो ये बात – एक और देश ने अमेरिका के P-8 Poseidon जैसे जबरदस्त maritime patrol aircraft अपनी नौसेना में शामिल कर लिए हैं। और ये कोई मामूली बात नहीं, क्योंकि ये विमान सच में चीन की दादागिरी पर लगाम लगा सकते हैं। साउथ चाइना सी से लेकर हिंद-प्रशांत तक, इनकी नजर चीन की हर शैतानी पर रहेगी। भारत, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश तो पहले से ही इन्हें इस्तेमाल कर रहे थे, अब एक और खिलाड़ी मैदान में आ गया है।

सोचो जरा – पिछले 10 साल से चीन साउथ चाइना सी में क्या-क्या नहीं कर रहा? नौसेना बढ़ाना, कृत्रिम द्वीप बनाना… मानो समंदर पर कब्जा करने की जिद सी पकड़ ली है। लेकिन अब P-8 Poseidon जैसे विमान आ गए हैं तो उसकी हर चाल पर नजर रखना आसान हो गया है। और सिर्फ निगरानी ही नहीं, ये anti-submarine warfare में भी बेहद खतरनाक माने जाते हैं। कुल मिलाकर चीन के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है।

अब सवाल यह है कि ये सब होगा क्या? रक्षा एक्सपर्ट्स की मानें तो इससे क्षेत्र में संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। एक भारतीय विश्लेषक ने तो साफ कहा – “चीन की हरकतों को देखते हुए ये कदम बिल्कुल सही है। P-8 Poseidon जैसे platforms आने से क्षेत्र की सुरक्षा मजबूत होगी।” अमेरिका ने भी इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अच्छा बताया है।

मजे की बात ये कि चीन अभी तक चुप्पी साधे बैठा है। शायद सोच रहा होगा कि क्या बोले। लेकिन उसके अखबार Global Times में छपे लेखों से पता चलता है कि उन्हें ये सब पसंद नहीं आ रहा। ‘क्षेत्रीय सैन्यीकरण’ जैसे शब्दों से पश्चिमी देशों पर निशाना साधा जा रहा है। असल में ये उनकी फ्रस्ट्रेशन ही तो है!

अब आगे क्या? विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपनी रणनीति बदल सकता है। शायद और ज्यादा submarines बनाने पर जोर दे। या फिर दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने वाले देशों के बीच सहयोग और बढ़ेगा। भारत तो पहले ही QUAD जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए इस दिशा में काम कर रहा है।

आखिर में यही कहूंगा – हिंद-प्रशांत क्षेत्र का पावर गेम दिलचस्प होता जा रहा है। एक तरफ चीन अपनी ताकत बढ़ा रहा है, तो दूसरी तरफ दूसरे देश भी पीछे नहीं हट रहे। अब देखना ये है कि चीन इस चुनौती का जवाब कैसे देता है – और आक्रामक होकर या फिर कूटनीति के रास्ते पर चलकर। क्या पता, शायद इस बार उसकी चाल बदल जाए!

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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