“चिराग पासवान ने नड्डा से की मुलाकात! क्या नीतीश सरकार पर लॉ एंड ऑर्डर का उठा सवाल?”

चिराग पासवान ने नड्डा से मुलाकात की… और अब बिहार की सियासत गरमा गई!

दिल्ली में आज एक ऐसी मुलाकात हुई जिसने बिहार की राजनीति को फिर से हिलाकर रख दिया। केंद्रीय मंत्री और LJP (रामविलास) के बड़े नेता चिराग पासवान ने BJP प्रमुख जेपी नड्डा से मिलकर सियासी गलियारों में तूफान ला दिया। असल में, चिराग ने इस मौके पर नीतीश सरकार को सीधे निशाने पर लिया – खासकर बिहार में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर। पटना के एक अस्पताल में हत्या के आरोपी की ही हत्या हो जाने वाला ताजा मामला तो जैसे उनके हाथ में तुरुप का इक्का बन गया। सच कहूं तो, यह सिर्फ एक अपराधिक घटना नहीं रह गई है… अब तो यह पूरी तरह राजनीतिक हथियार बन चुकी है।

पूरा माजरा क्या है? अस्पताल वाली हत्या से लेकर सियासी भूचाल तक

मामला कुछ यूं है – पटना के एक अस्पताल में पुलिस हिरासत का एक आरोपी अचानक मारा गया। है न हैरान कर देने वाली बात? जिसे सुरक्षा के नाम पर ले जाया गया था, वहीं उसकी हत्या! अब आप ही बताइए, इससे बड़ा लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल क्या हो सकता है? चिराग पासवान, जो पहले से ही नीतीश सरकार की खिलाफत करते आए हैं, इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात में इस मामले को उठाना तो जैसे तीर से दो निशाने थे। एक तो सरकार पर वार, दूसरा… अरे भई, LJP और BJP का गठबंधन है न? तो राजनीति के शतरंज में यह चाल कुछ और ही इशारा कर रही है।

चिराग का जोरदार हमला: “बिहार में तो कानून ही गायब!”

नड्डा से मीटिंग के बाद मीडिया को जवाब देते हुए चिराग ने जो बोले, वह तो जैसे बिहार सरकार के लिए झटका था। उनके शब्दों में – “यह कैसा लॉ एंड ऑर्डर? अस्पताल में हत्या? शर्मनाक! सरकार ने तो पूरी तरह हार मान ली है।” सच कहूं तो उनकी बात में दम तो है। जब पुलिस हिरासत में ही कोई सुरक्षित नहीं, तो फिर आम जनता की क्या बिसात? राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह सब BJP की बिहार में दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा लग रहा है। पर सवाल यह है कि क्या यह सचमुच काम करेगा?

राजनीतिक रिएक्शन: हर कोई अपना-अपना राग अलाप रहा

इस मुद्दे पर सभी दलों ने अपनी-अपनी राय रखी। BJP वालों ने तो सीधे सरकार को कोसा – “लापरवाही साफ दिख रही है। केंद्र मदद करेगा।” वहीं JDU वालों ने चिराग पर ही निशाना साधा – “ये सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। सरकार कार्रवाई करेगी।” मजे की बात यह है कि दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी रोटी सेक रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक तो यहां तक कह रहे हैं कि शायद यह नीतीश सरकार पर दबाव बनाने की BJP की नई चाल है। पर क्या यह सच में काम करेगी? यह तो वक्त ही बताएगा।

अब आगे क्या? 2025 की तैयारी शुरू?

इस मुलाकात ने बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। देखना यह है कि क्या नीतीश सरकार इस चुनौती का जवाब दे पाएगी? क्योंकि विपक्ष तो मौके की ताक में ही बैठा है। अगर BJP और उसके सहयोगी मिलकर कोई बड़ा कदम उठाते हैं… तो बिहार की सियासी तस्वीर ही बदल सकती है। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि यह सब 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारी का हिस्सा हो सकता है। समय बताएगा।

आखिर में: चिराग और नड्डा की यह मुलाकात सिर्फ एक मीटिंग नहीं थी… यह तो जैसे बिहार की राजनीति में नया अध्याय लिखने की शुरुआत है। अब बस इंतजार है इसके अगले पन्नों का।

चिराग पासवान और नड्डा की मुलाकात – जानिए पूरा माजरा!

1. चिराग पासवान ने अचानक नड्डा से मिलने क्यों पहुंचे?

देखिए, चिराग पासवान का BJP प्रमुख जगत प्रकाश नड्डा से मिलना कोई सामान्य बात नहीं है। असल में, बातचीत में बिहार की राजनीति तो शामिल थी ही, साथ ही नीतीश सरकार पर लॉ एंड ऑर्डर को लेकर जमकर चर्चा हुई। और हां, ये मीटिंग क्या BJP और LJP के बीच कुछ नया होने वाला है? शायद। पर अभी तो बस इतना ही कहा जा सकता है।

2. क्या सच में बिहार में लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ा हुआ है?

सच कहूं तो हाल के कुछ वाकयातों ने तो यही साबित किया है। विपक्ष तो लगातार इस पर हमला कर रहा है, और अब चिराग पासवान भी इस मुद्दे पर बोलते नजर आए। पर सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ राजनीति है या फिर वाकई हालात चिंताजनक हैं? जमीन पर स्थिति देखकर ही पता चलेगा।

3. क्या चिराग अब BJP में शामिल होने वाले हैं? सच-सच बताइए!

अरे भई, अभी तक तो कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया है। लेकिन राजनीति की दुनिया में कोई भी मीटिंग बिना मतलब के नहीं होती, है न? कई एक्सपर्ट्स की राय है कि ये मुलाकात कुछ बड़े फैसले की ओर इशारा कर सकती है। पर याद रखिए, दिल्ली अभी दूर है!

4. ये मुलाकात बिहार की सियासत को कैसे बदल सकती है?

देखा जाए तो ये एक छोटी सी मीटिंग बड़े भूचाल का संकेत दे रही है। अगर चिराग सच में BJP में शामिल हो गए, तो समीकरण बदलने में देर नहीं लगेगी। NDA के लिए तो ये बड़ी बात होगी ही, वहीं महागठबंधन वालों के लिए सिरदर्द बन सकता है। पर अभी से कुछ कहना… वो तो जल्दबाजी होगी, है न?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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