सिनसिनाटी पुलिस प्रमुख पर बवाल: क्या ये ‘रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन’ का मामला है?
अमेरिकी पुलिस विभागों में नस्लीय न्याय की बहस फिर से गरमा गई है। और इस बार, सिनसिनाटी पुलिस के चार वरिष्ठ अधिकारी अपनी ही प्रमुख – टेरेसा थीट्ज (Teresa Theetge) पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। है ना दिलचस्प? पर सवाल ये है कि क्या ये सच में भेदभाव है या फिर Diversity & Inclusion की नीतियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है?
मामला कुछ यूं है – ये अधिकारी दावा कर रहे हैं कि प्रमुख थीट्ज (जो खुद एक अफ्रीकी-अमेरिकी महिला हैं) ने जानबूझकर श्वेत अधिकारियों को पदोन्नति से वंचित रखा। और यहां सबसे चौंकाने वाली बात? उनका ये कहना कि विभाग में एक तरह का ‘कोटा सिस्टम’ चल रहा है। मतलब साफ है – नस्ल के आधार पर फैसले लिए जा रहे हैं। पर क्या सच में ऐसा है? या फिर ये सिर्फ नाराज़ अधिकारियों का रोना है?
असल में देखा जाए तो ये मामला उतना साधारण नहीं है। एक तरफ तो Diversity & Inclusion की बात हो रही है, जो कि बिल्कुल जायज़ है। लेकिन दूसरी तरफ, आरोप ये कि योग्यता की जगह नस्ल को तरजीह दी जा रही है। और यहां सबसे मजेदार बात? पुलिस विभाग अभी तक चुप्पी साधे हुए है। क्या ये चुप्पी गुनाह की गवाही तो नहीं?
ईमानदारी से कहूं तो, इस पूरे मामले में दोनों पक्षों के तर्क सुनने लायक हैं:
- आरोप लगाने वाले अधिकारियों का कहना: “हमारे साथ सिस्टमैटिक भेदभाव हुआ।”
- समुदाय के कुछ लोगों की राय: “विविधता ज़रूरी है, पर योग्यता के आधार पर।”
तो अब सवाल ये उठता है – आगे क्या? ये केस सिर्फ सिनसिनाटी तक सीमित नहीं रहने वाला। अगर आरोप साबित होते हैं, तो पूरे अमेरिका के पुलिस विभागों की नीतियों पर सवाल उठेंगे। और अगर नहीं? तो फिर Diversity & Inclusion की नीतियों को लेकर नई बहस छिड़ जाएगी।
एक बात तो तय है – अब सबकी नज़रें इस केस के अगले पड़ाव पर टिकी हैं। क्योंकि चाहे जो भी फैसला आए, इसका असर बहुत दूर तक जाने वाला है। सच कहूं तो, ये मामला उतना ही जटिल है जितना कि अमेरिका में नस्लीय न्याय की पूरी बहस। और देखना ये है कि आखिरकार न्याय किसके पक्ष में होता है।
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Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com