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“9वीं क्लास की छात्रा ने लगाए चौंकाने वाले आरोप: 1 साल से मां दे रही ‘इंटिमेसी ट्रेनिंग’!”

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बेंगलुरु का वह सनसनीखेज केस: जब माँ ने बेटी को ‘इंटिमेसी ट्रेनिंग’ के नाम पर किया शोषण?

कभी-कभी खबरें ऐसी होती हैं कि पढ़ते ही दिल दहल जाता है। बेंगलुरु से आया ये मामला उन्हीं में से एक है। सोचिए, 9वीं क्लास की एक मासूम बच्ची… और उस पर ही उसकी अपनी माँ के गंभीर आरोप! छात्रा ने दावा किया है कि पिछले एक साल से उसकी माँ उसे ‘इंटिमेसी ट्रेनिंग’ के नाम पर यौन शोषण कर रही थी। बात तब सामने आई जब इस बच्ची ने हिम्मत करके स्कूल काउंसलर को सब कुछ बता दिया। और फिर? POCSO एक्ट के तहत तुरंत केस दर्ज हो गया।

अब सवाल यह है कि आखिर हुआ क्या था? देखिए, ये कोई साधारण केस नहीं है। छात्रा और उसकी माँ दोनों ही बेंगलुरु के एक नामी प्राइवेट स्कूल से जुड़ी हैं। बच्ची का कहना है कि माँ उसे “सेक्स एजुकेशन” के बहाने गलत हरकतों के लिए उकसा रही थी। वहीं दूसरी तरफ, माँ इन आरोपों को बकवास बता रही हैं। उनका कहना है कि ये सब परिवार के खिलाफ एक साजिश है। पुलिस की जांच से पता चला कि परिवार में पहले से ही काफी तनाव था। सच क्या है? अभी तो जांच ही बताएगी।

मामला इतना गंभीर है कि POCSO कोर्ट ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। बच्ची को सुरक्षा के लिए CWC के पास भेज दिया गया। माँ से पूछताछ जारी है, हालांकि अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई। स्कूल वालों ने भी पूरा सहयोग देने का वादा किया है। साथ ही बच्ची के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था भी की गई है।

इस केस ने सबको हिला कर रख दिया है। स्कूल काउंसलर ने बताया, “जब बच्ची ने मुझे यह बात बताई, मैं सच में सन्न रह गई। हमने तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन को इनफॉर्म कर दिया।” एक अनाम पुलिस अधिकारी ने कहा, “ये बेहद संवेदनशील मामला है, हम निष्पक्ष जांच कर रहे हैं।” वहीं एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सही कहा, “ये घटना हमें याद दिलाती है कि बच्चों के साथ दुर्व्यवहार कहीं भी, किसी के भी हाथों हो सकता है।”

अब सबकी नज़रें जांच पर टिकी हैं। पुलिस मेडिकल रिपोर्ट और फोरेंसिक जांच का इंतज़ार कर रही है। अगर माँ के खिलाफ आरोप साबित होते हैं, तो POCSO के तहत सख्त सजा मिलेगी। ये मामला सिर्फ एक खबर नहीं है – ये हम सबके लिए एक सबक है। बाल सुरक्षा, पेरेंटिंग एजुकेशन और स्कूलों में चाइल्ड सेफ्टी पॉलिसी की अहमियत को ये केस एक बार फिर साबित करता है। सच कहूँ तो, ऐसी घटनाएँ समाज को झकझोर कर रख देती हैं।

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9वीं क्लास की एक छात्रा ने जो आरोप लगाए हैं, वो सच में चौंकाने वाले हैं… पर सवाल यह है कि आखिर हुआ क्या था?

1. भला ये ‘इंटिमेसी ट्रेनिंग’ है क्या बला? और इसे देने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

सुनकर थोड़ा अजीब लगता है न? इंटिमेसी ट्रेनिंग का मतलब, सीधे शब्दों में कहें तो physical और emotional closeness के बारे में सिखाना। लेकिन यहां तो मामला ही कुछ और है। छात्रा का दावा है कि उसकी अपनी माँ उसे पिछले एक साल से ये ‘ट्रेनिंग’ दे रही थी। सुनने में ही गलत लगता है, है न? असल में, ये ट्रेनिंग किस मकसद से दी जा रही थी, ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा। पर इतना तो तय है कि अगर आरोप सही निकले तो ये सिर्फ गलत नहीं, बल्कि कानूनन अपराध है।

2. अब सवाल यह कि कानून इस मामले में क्या करेगा?

देखिए, अगर छात्रा के आरोप सही साबित होते हैं – और यहां ‘अगर’ इसलिए क्योंकि अभी सबूतों की जांच चल रही है – तो माँ के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत केस बन सकता है। साथ ही child abuse के आरोप भी लग सकते हैं। हालांकि, याद रखिए, ये सब होगा तभी जब आरोप पुख्ता होंगे। फिलहाल तो पूरा मामला जांच के दायरे में है।

3. क्या स्कूल वालों या सोशल मीडिया को इसकी भनक तक नहीं थी?

ईमानदारी से कहूं तो ये सबसे हैरान करने वाली बात है। अभी तक ऐसा कुछ नहीं सामने आया कि स्कूल प्रशासन या टीचर्स को इस बारे में कोई जानकारी थी। मामला तो तब खुला जब छात्रा ने किसी भरोसेमंद को अपनी परेशानी बताई। और फिर तो जैसे सोशल मीडिया पर आग लग गई। पर सच तो ये है कि ऐसे मामलों में सोशल मीडिया के चर्चे से ज्यादा ज़रूरी है बच्चे की सुरक्षा।

4. सबसे बड़ा सवाल: आखिर बच्चे की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?

इसका जवाब थोड़ा technical है, पर समझने लायक। ऐसे केस आते ही चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) एक्शन में आ जाती है। अगर माँ के खिलाफ केस बनता है – और फिर से याद दिला दूं कि अभी ये ‘अगर’ की स्टेज पर है – तो बच्चे को या तो किसी भरोसेमंद रिश्तेदार के पास भेजा जा सकता है, या फिर चाइल्ड केयर होम में। पर सच कहूं तो, कागज़ों पर चाहे जो हो जाए, असली सवाल ये है कि क्या कोई भी व्यवस्था एक बच्चे को उसकी माँ से बेहतर सुरक्षा दे सकती है? सोचने वाली बात है…

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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