हिमाचल के मंडी में बादल फटने से तबाही! गाड़ियां बहीं, घरों को भारी नुकसान, सड़कें तबाह

हिमाचल का मंडी फिर प्रकृति के आगे बेबस: बादल फटा, गाड़ियां नदी बन गईं, और घरों का हाल…

अभी कुछ दिन पहले ही तो मंडी के लोग मौसम का मजा ले रहे थे, और बुधवार को प्रकृति ने ऐसा करवट बदली कि सबकुछ तबाह। सच कहूं तो हिमाचल के इस इलाके को तो अब ‘प्राकृतिक आपदाओं का प्लेग्राउंड’ कहो तो गलत नहीं होगा। बादल फटा, नाले उफान पर आ गए, और देखते ही देखते सड़कें नदियां बन गईं। कई गाड़ियां तो बह गईं जैसे खिलौने हों – है न हैरान कर देने वाली बात?

ये कोई पहली बार नहीं है। मंडी वालों को तो अब शायद आदत सी हो गई है। पहाड़ी इलाका है, यहां बारिश में क्या-क्या हो जाए कौन जाने! लेकिन असल में सवाल यह है कि पिछले 10 साल में ये घटनाएं इतनी बार क्यों होने लगी हैं? 2018, फिर 2020, और अब 2023 – हर बार जान-माल का नुकसान। विशेषज्ञ कहते हैं climate change की वजह से ऐसा हो रहा है, पर क्या हम सच में कुछ सीख रहे हैं?

इस बार सबसे ज्यादा मार पड़ी है करसोग और सुंदरनगर पर। ग्रामीणों के मुताबिक पानी ने घरों में घुसपैठ कर दी। कल्पना कीजिए – आप शाम को चाय पी रहे हों, और अगले ही पल आपका सामान पानी में तैर रहा हो! NDRF की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं, लेकिन 12 लोग अभी भी लापता हैं। हालांकि अच्छी बात यह है कि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। भगवान करे सब सही सलामत मिल जाएं।

मुख्यमंत्री सुक्खू जी ने Twitter पर दुख जताया है। सरकारी बयान तो हर बार की तरह आया – “हम प्रभावितों के साथ हैं”। पर स्थानीय लोग पूछ रहे हैं – infrastructure का क्या? नालों की सफाई नहीं हुई, नदियों में गाद जमा थी, ये सब तो पहले से ही दिख रहा था। मौसम विभाग ने फिर से alert जारी कर दिया है – अगले 24 घंटे और मुसीबत ला सकते हैं।

अभी तो सिर्फ राहत कार्य चल रहा है – food packets बांटे जा रहे हैं, दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं। पर सवाल यह है कि कब तक? हर बार यही कहानी – आपदा आएगी, तबाही मचाएगी, फिर हम राहत कार्य शुरू करेंगे। नई policy बनाने की बात हो रही है, early warning system को मजबूत करने की। पर क्या ये सब सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगा? अगली बार फिर जब प्रकृति कहर बरपाएगी, तब तक क्या हम तैयार होंगे? सच पूछो तो… शक है।

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मंडी में बादल फटा और मच गई तबाही – आपके सभी सवालों के जवाब यहां

मंडी में बादल फटने (Cloudburst) की घटना कब हुई?

देखिए, ये जो हादसा हुआ ना, ये [तारीख/समय] को हुआ। और भईया, क्या हालात पैदा हो गए! गाड़ियां तो जैसे खिलौने की तरह बह गईं, घरों की क्या दशा हुई… सड़कें? भूल ही जाइए। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया हो।

बादल फटने से कितना नुकसान हुआ है?

अभी तक जो खबरें आ रही हैं, उनके मुताबिक [संख्या] घर तो बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। गाड़ियों का क्या हाल है? [संख्या] से ज्यादा वाहन पानी के साथ बह गए। और सड़कें? हालत ये है कि कई जगहों पर तो पता ही नहीं चलता कि सड़क थी भी या नहीं! असल में पूरा आकलन तो अभी चल ही रहा है।

क्या rescue operations चल रहे हैं?

हां भई हां! स्थानीय प्रशासन और NDRF की टीमें जान की बाजी लगाकर काम कर रही हैं। लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। पर ये कोई आसान काम नहीं है, आप समझ सकते हैं। मुश्किल हालात में भी वो लगातार मदद पहुंचा रहे हैं। सच में, सलाम है इनकी हिम्मत को!

मंडी जाने वाले लोगों के लिए क्या सलाह है?

सुनिए, अगर आपकी मंडी जाने की कोई जरूरी यात्रा नहीं है, तो फिलहाल टाल दीजिए। हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं। कई सड़कें अभी भी बंद हैं। अगर बहुत जरूरी हो तो local administration से संपर्क करके ही निकलें। सुरक्षा पहले, यात्रा बाद में – यही सही रवैया होगा।

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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