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“कॉलेज में शर्ट की बटन देखने जैसे टास्क? तुरंत करें ये कदम!”

कॉलेज में शर्ट की बटन गिनवाने जैसी हरकतें? ये माजरा क्या है!

कॉलेज खुलते ही नए बच्चों की एक ही चिंता – “भाई यार, रैगिंग तो नहीं होगी न?” और फिर सोशल मीडिया पर ये वायरल वीडियो… जहां सीनियर्स जूनियर्स को शर्ट की बटन गिनने जैसे बेतुके टास्क दे रहे हैं। हंसी आती है? मुझे तो बिल्कुल नहीं। क्योंकि ये कोई नई बात नहीं, बल्कि रैगिंग की वही पुरानी और घिनौनी परंपरा है जिस पर देश में कानून भी बने हैं। पर सवाल यह है कि क्या सिर्फ कानून बनाने से काम चल जाएगा?

रैगिंग: सीनियरिटी का गलत इस्तेमाल

असल में देखा जाए तो रैगिंग नाम की ये चीज सीनियरिटी के नाम पर एक तरह की धौंस जमाने की कोशिश है। 2009 में UGC ने इसके खिलाफ सख्त नियम बनाए – जुर्माना, निकाला जाना, यहां तक कि जेल भी। लेकिन NCRB के आंकड़े बताते हैं कि हर साल सैकड़ों केस दर्ज होते हैं। और सबसे हैरानी वाली बात? ज्यादातर पीड़ित छात्र शिकायत ही नहीं करते। डर? शर्म? या फिर ये सोचकर कि “अरे यार, ये तो चलता ही रहता है”?

वायरल वीडियो के बाद क्या हुआ?

इस वीडियो ने तो जैसे पूरे मामले को फिर से जिंदा कर दिया। कॉलेज वालों ने तुरंत जांच शुरू की है, UGC ने Anti-Ragging Committees को एक्टिवेट करने के आदेश दिए हैं। और छात्र संगठन? वो तो सड़कों पर उतर आए हैं। पर क्या ये सब काफी है? मेरे ख्याल से नहीं। क्योंकि समस्या की जड़ कहीं और है।

लोग क्या कह रहे हैं?

एक पीड़ित छात्र ने मुझे बताया – “पहले तो मैं चुप रहा, क्योंकि लगा कि बात बिगड़ जाएगी। पर अब हिम्मत करके सब बता दिया।” कॉलेज के प्रिंसिपल साहब का कहना है – “हमारी zero tolerance policy है।” वहीं मनोवैज्ञानिक डॉ. अंजलि की बात सुनिए – “रैगिंग के शिकार बच्चों में confidence की कमी, डिप्रेशन जैसी समस्याएं आम हैं।” सच कहूं तो ये सब सुनकर दिल दहल जाता है।

आगे का रास्ता क्या है?

UGC अब और workshops करवाएगी, सेमिनार होंगे। पर मेरा मानना है कि सिर्फ यही काफी नहीं। जरूरत है मानसिकता बदलने की। सीनियर्स को समझना होगा कि जूनियर्स को टारगेट बनाना कोई कूल बात नहीं। और अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार को और सख्त कानून लाने पड़ेंगे – कुछ राज्य तो इसे cognizable offense बनाने की मांग कर ही रहे हैं।

अंत में एक जरूरी बात

अगर आप या आपका कोई दोस्त रैगिंग का शिकार हो रहा है, तो याद रखिए – चुप रहना कोई समाधान नहीं। तुरंत कॉलेज प्रशासन से बात करें, या फिर राष्ट्रीय रैगिंग हेल्पलाइन (1800-180-5522) पर कॉल करें। क्योंकि जब तक हम खुद आवाज नहीं उठाएंगे, ये सिलसिला थमने वाला नहीं। और हां, एक बात और – शर्ट की बटन गिनने से बेहतर है कि अपने rights गिन लीजिए। सच कहूं तो!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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