“कर्नाटक में कांग्रेस की डूबती नैया: क्या हाईकमान संभाल पाएगा बागडोर?”

कर्नाटक में कांग्रेस की डूबती नैया: क्या हाईकमान संभाल पाएगा बागडोर?

अरे भाई, कर्नाटक की राजनीति तो इन दिनों ठीक वैसी ही है जैसे गर्मियों में बिना AC की मारुति 800 – हर कोई पसीने-पसीने में है! और सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस को हो रही है। मल्लिकार्जुन खड़गे का हालिया बयान तो ऐसा लगा जैसे किसी ने चींटी के बिल में लाठी घुसा दी हो। सीधे हाईकमान को टारगेट कर दिया। अब सवाल ये है कि दिल्ली वाले बड़े नेता इस आग को बुझा पाएंगे या फिर ये चिंगारी दावानल बन जाएगी?

एक पुरानी कहानी का नया अध्याय…या फिर रिपीट टेलीकास्ट?

देखिए, कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात तो है नहीं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब – हर जगह यही कहानी। अब कर्नाटक में भी वही झगड़े। मजे की बात ये कि बीजेपी वाले तो मौके की नजाकत समझते हैं – वो बार-बार पूछ रहे हैं “कांग्रेस का असली मुखिया कौन?” सच कहूं तो ये सवाल कांग्रेस के लिए उस तरह का है जैसे परीक्षा हॉल में वो सवाल जिसका जवाब आपको याद होता ही नहीं!

हालिया घटनाक्रम: जब तनाव बढ़ा तो बयानबाजी भी बढ़ी

पिछले हफ्ते की बात है – खड़गे साहब ने तो जैसे बम फोड़ दिया। कह दिया कि “हाईकमान को कर्नाटक के मुद्दों को गंभीरता से लेना चाहिए।” उधर कुछ MLA तो सीधे CM सिद्धारमैया पर निशाना साधने लगे। और बीजेपी वाले? वो तो मौके का फायदा उठा रहे हैं। बसवराज बोम्मई का तो कहना ही क्या – उन्होंने तीर चलाते हुए कहा “कांग्रेस में नेतृत्व ही नहीं है।” सच्चाई ये है कि जब दुश्मन आपकी कमजोरी पकड़ ले, तो फिर…

राजनीतिक गलियारों में क्या चल रहा है?

अब इस पूरे मामले पर अलग-अलर लोग अलग-अलग बातें कर रहे हैं। राहुल गांधी जी कह रहे हैं “पार्टी एकजुट है” – पर सवाल ये है कि क्या वाकई है? बीजेपी वाले तो मजाक उड़ा रहे हैं – “कांग्रेस को खुद नहीं पता कि उनका लीडर कौन है!” राजनीति के जानकारों की मानें तो अगर ये झगड़ा जल्द नहीं सुलझा, तो 2024 में कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है। बिल्कुल वैसे ही जैसे टी20 मैच में पहले 10 ओवर में ही 5 विकेट गिर जाएं!

आगे क्या? कुछ तो होगा!

अब असली मुद्दा ये है कि अगला कदम क्या होगा? एक्सपर्ट्स की राय है कि दिल्ली वालों को तुरंत कुछ करना होगा। नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है। और अगर कांग्रेस के नेता एक नहीं हुए तो…समझदार को इशारा काफी है। बीजेपी तो MLA खरीदने का मौका ढूंढ़ ही रही होगी। और सबसे बड़ी बात – 2024 से पहले ये विवाद पार्टी की इमेज के लिए अच्छा नहीं। जैसे बड़े मैच से पहले टीम में फूट पड़ जाए!

आखिर में बस इतना कि कर्नाटक का ये संकट सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं। ये तो पूरी पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़ा कर देता है। अब बस ये देखना है कि कांग्रेस हाईकमान इस बार सही कार्ड खेल पाता है या फिर इतिहास खुद को दोहराता है। क्योंकि राजनीति में, जैसा कि हम सभी जानते हैं, इतिहास अक्सर खुद को दोहराता है। है न?

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कर्नाटक में कांग्रेस की हालत देखकर तो लगता है जैसे नाव डूबने ही वाली है। अब सवाल यह है कि हाईकमान इसको कैसे संभालेगा? मेरी राय में, उन्हें सिर्फ एकजुटता नहीं, बल्कि चालाकी से काम लेना होगा – वो भी जल्दी। हालांकि, अभी भी मौका है। सही रणनीति और थोड़ी सी luck… तो पार्टी इस मुश्किल घड़ी से निकल सकती है।

और हां, अगर आपको राजनीति के इन पेंचों में दिलचस्पी है, तो हमारे Blog को ज़रूर follow करें। क्योंकि यहां बातें सीधी-सीधी होती हैं, बिना किसी फिल्टर के। सच कहूं तो!

कर्नाटक में कांग्रेस की डूबती नैया: क्या वाकई बच पाएगी पार्टी?

अरे भाई, कर्नाटक की राजनीति तो इन दिनों गर्मा गई है ना? कांग्रेस वालों का बुरा हाल… लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? चलिए, बिना पॉलिटिकल जार्गन के सीधे-सीधे बात करते हैं।

1. भईया, कांग्रेस का यह हाल क्यों?

सुनो, असल में तो तीन बड़ी वजहें हैं। पहली – पार्टी के अंदर ही लोग एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। दूसरी – नेतृत्व कमजोर दिख रहा है, कोई एक strong face नहीं। और तीसरी – BJP ने तो जैसे पूरी planning कर रखी है। ऊपर से कुछ MLA तो पलटी मारकर चले गए… बिल्कुल धोखा दे गए!

2. दिल्ली वाले बचा पाएंगे क्या?

ईमानदारी से कहूं तो… अभी तक तो कुछ खास नहीं दिख रहा। दिल्ली के बड़े नेता बस statements दे रहे हैं, कोई ठोस action नहीं। पर अगर जल्दी सुधारे, local leaders को साथ लें, तो शायद game बदल सकता है। मगर time कम है भाई!

3. क्या अब कांग्रेस का सूरज डूब गया?

अभी के हालात देखकर तो लगता है बहुत मुश्किल है। पर याद रखो, राजनीति में कभी कुछ पक्का नहीं होता। 2018 में किसने सोचा था कि…? अगर अपनी गलतियां सुधार लीं, जनता का भरोसा जीत लिया, तो कहना मुश्किल है। पर हां, आसान नहीं होगा – यह तय है।

4. सबसे बड़ी टेंशन क्या है?

देखो, मुख्य दिक्कत तो यही है कि एक तरफ BJP का पूरा मशीनरी है, दूसरी तरफ JD(S) वाले भी मैदान में हैं। और सबसे बड़ी बात – खुद अपने ही लोग एकजुट नहीं हैं! बिना unity के तो यह लड़ाई और भी मुश्किल हो जाती है। सच कहूं तो, टीम वर्क की बहुत जरूरत है।

तो क्या सोचते हो? क्या कांग्रेस इस बार संभल पाएगी, या फिर…? कमेंट में बताओ!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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