कांस्टेबल से प्रोफेसर तक: जब एक औरत ने साबित किया कि “ना” का कोई मतलब नहीं होता!
अरे भई, कभी सोचा है कि दिन भर की थकाऊ ड्यूटी के बाद कोई रात में कैसे पढ़ाई कर सकता है? मैं तो सिर्फ सोने के बारे में सोचता हूँ! लेकिन भारती यादव ने साबित कर दिया कि अगर जुनून हो तो 24 घंटे भी कम पड़ जाते हैं। ये कहानी है नरही थाने की एक साधारण सी कांस्टेबल की, जिसने UGC-NET क्लियर करके असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर इतिहास रच दिया। और हाँ, ये कोई फिल्मी कहानी नहीं – असली ज़िंदगी का वो ड्रामा है जिसमें हीरोइन खुद अपनी किस्मत लिखती है!
वो रातें जब थाने की ड्यूटी के बाद क्लासरूम चमकता था
सच कहूँ तो भारती का सफर उन लाखों भारतीय लड़कियों जैसा ही था जिनके सपने आर्थिक तंगी की भेंट चढ़ जाते हैं। 2021 में पुलिस कांस्टेबल बनीं, मगर दिल तो शिक्षक बनने का करता था। पर यहाँ वाली बात समझिए – उन्होंने समझौता किया, लेकिन हार नहीं मानी। दिन में यूनिफॉर्म पहनकर कानून का पालन करवाना, और रात को खुद किताबों के सामने सर खपाना… ये कोई आसान बात नहीं है भाई! मैं तो दो घंटे ऑनलाइन क्लास लेते ही थक जाता हूँ।
जब मेहनत ने बदल दी तकदीर
और फिर वो दिन आया – UGC-NET का रिजल्ट! सोचिए उस पल का जब एक पुलिसकर्मी के हाथ में प्रोफेसरशिप का ऑफर लेटर हो। पूर्वांचल यूनिवर्सिटी, जौनपुर ने जो मौका दिया, वो सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि उस जुनून की जीत थी जिसे भारती ने कभी मरने नहीं दिया। अब पुलिस विभाग से लेकर शिक्षा जगत तक सब उन्हें सलाम कर रहे हैं। सच में, कभी-कभी लगता है कि ये देश अभी भी उन लोगों से भरा पड़ा है जो सिस्टम को गलत साबित कर देते हैं!
सोशल मीडिया पर तूफान: “हमारी नई सुपरवुमन!”
जब ये खबर वायरल हुई तो ट्विटर पर क्या बवाल मचा! एक यूजर ने तो बिल्कुल सही लिखा – “ये नहीं, तो क्या प्रेरणा है?” पुलिस विभाग वाले तो जैसे फख्र से फूले नहीं समा रहे। एक DSP साहब ने तो मजाक में कह दिया – “अब हमारे कांस्टेबल भी NET जीतेंगे तो हम क्या करेंगे?” वहीं यूनिवर्सिटी वालों की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं – ऐसा टीचर मिला जिसने ज़िंदगी की सबसे बड़ी परीक्षा पहले ही पास कर ली है!
आगे का सफर: अब क्लासरूम में बदलाव की बात
अब भारती मैडम बन चुकी हैं, लेकिन उनका मिशन अभी पूरा नहीं हुआ। वो कहती हैं कि अब उन्हें उन बच्चों को पढ़ाना है जिनकी कहानी कभी उन जैसी थी। और सच कहूँ तो यही तो असली शिक्षा है न? सिर्फ डिग्री देना नहीं, बल्कि सपने देखना सिखाना। शायद अब पुलिस और शिक्षा विभाग मिलकर ऐसे और कर्मचारियों को आगे बढ़ने का मौका देंगे। वैसे भी, जब एक भारती यादव कर सकती हैं, तो बाकी क्यों नहीं?
तो क्या सीख मिली? ये कहानी सिर्फ करियर बदलने की नहीं, बल्कि उस मानसिकता को तोड़ने की है जो हमें बताती है कि “तुम नहीं कर सकते”। भारती ने साबित किया कि अगर आपके पास वजह मजबूत है, तो बहाने कमज़ोर पड़ जाते हैं। और हाँ, अगली बार जब आप रात को पढ़ने से कतराएं, तो याद कर लीजिएगा – कहीं नरही में एक कांस्टेबल शायद उस वक्त भी किताबें पलट रही होगी!
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1. ये किसकी कहानी है और ये इतनी viral क्यों हो रही है?
देखिए, ये कहानी है एक ऐसे जांबाज़ की जिसने पुलिस की वर्दी पहनकर भी किताबों से नाता नहीं तोड़ा। सच कहूं तो, ये सिर्फ़ करियर बदलने की कहानी नहीं, बल्कि जुनून की मिसाल है। क्यों प्रेरणादायक है? क्योंकि यहां कोई shortcut नहीं, बस पसीना और जिद है।
2. भईया, ड्यूटी के साथ पढ़ाई का टाइम मैनेजमेंट कैसे किया होगा?
अरे, सुनिए! ये कोई रॉकेट साइंस तो नहीं था, लेकिन आसान भी बिल्कुल नहीं। रात की शिफ्ट के बाद थककर चूर हो जाने के बाद भी दो-तीन घंटे की नींद काटकर पढ़ना… छुट्टी के दिन तो लाइब्रेरी ही दूसरा घर बन गया था। है न कमाल की बात? टाइम नहीं मिलता, वो तो बहानेबाज़ों की फिलॉसफी है!
3. आजकल के युवाओं को इससे क्या सीख मिल सकती है?
सीख? बिल्कुल मिलती है! पहली बात तो ये कि ‘बहुत busy’ होना अक्सर एक मिथ है। दूसरा – अगर दिल में जुनून हो तो 24 घंटे भी कम पड़ते हैं। मगर सच्चाई ये है कि हर कोई ऐसा नहीं कर पाएगा… और यही तो इस कहानी को खास बनाता है।
4. UGC-NET जैसी परीक्षाएं पास करने में कितना वक्त लगा?
देखा जाए तो ये कोई overnight success की कहानी नहीं। NET की तैयारी, फिर इंटरव्यू… पूरा सफर 5-6 साल में पूरा हुआ। पर याद रखिए, ये वो साल थे जब हर रात उनकी किताबों पर पुलिस स्टेशल की लाइट पड़ती थी। क्या बात है न?
एक बात और – असफलताएं? ज़रूर आई होंगी। लेकिन वो detail में नहीं जाते। शायद इसलिए कि सफल लोग अपने struggle पर ज़्यादा बात नहीं करते। सीख लो, आगे बढ़ो!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com