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दादा भाई नौरोजी: भारत के पहले सपूत जिन्होंने ब्रिटिश संसद में बैठकर आजादी की नींव रखी

दादाभाई नौरोजी: वो शख्स जिसने ब्रिटिश संसद में घुसकर अंग्रेजों को हिला दिया!

आजादी के 75 साल पूरे होने पर जब हम तिरंगा झंडा फहराते हैं, क्या कभी सोचा है कि इसकी नींव किसने रखी? असल में, ये कहानी शुरू होती है दादाभाई नौरोजी से – जिन्हें ‘Grand Old Man of India‘ कहा जाता था। सच कहूं तो, ये वो अनोखे भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश संसद (House of Commons) में जाकर अंग्रेजों के दिलों में दहशत पैदा कर दी! चलिए, आज इन्हीं के बारे में बात करते हैं।

जब एक पारसी लड़के ने इतिहास बदल दिया

4 सितंबर 1825। मुंबई। एक साधारण पारसी परिवार में जन्मे इस बच्चे को कौन जानता था कि ये एक दिन अंग्रेजों की नींद उड़ा देगा? एल्फिंस्टन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही इस लड़के ने गणित में ऐसा धमाल मचाया कि प्रोफेसर बन गए। लेकिन यहीं से शुरू हुआ असली खेल – क्योंकि दादाभाई सिर्फ गणित के ही नहीं, बल्कि राजनीति के भी मास्टर थे। है न मजेदार बात?

ब्रिटिश संसद में धमाल: जब एक भारतीय ने अंग्रेजों को चुनौती दी

साल 1892। कल्पना कीजिए – ब्रिटिश संसद में एक भारतीय! Liberal Party के टिकट पर MP बनने वाले पहले भारतीय। लेकिन सबसे जबरदस्त बात? उनकी ‘Drain Theory’! एकदम सटीक गणित की तरह, उन्होंने साबित किया कि कैसे अंग्रेज भारत का खून चूस रहे हैं। ऐसा लगा जैसे कोई अचानक मंच पर आकर सच्चाई का पर्दाफाश कर दे। सच में, ये वो पल था जब भारतीय आजादी की लड़ाई ने अंतरराष्ट्रीय रूप ले लिया।

आज भी क्यों याद किए जाते हैं दादाभाई?

असल में देखा जाए तो, आज के दौर में दादाभाई और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं। कभी डाक टिकटों पर, तो कभी यूनिवर्सिटी के सेमिनारों में – उनका नाम हर जगह गूंजता है। हाल ही में तो #GrandOldManOfIndia ट्रेंड कर गया था। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर आम युवाओं तक – सभी उनके कदमों को सलाम करते नजर आए। क्या आप जानते हैं कि लंदन में भी उन पर नई किताबें आ रही हैं?

आगे का रास्ता: क्या कर सकते हैं हम?

सच पूछो तो, स्कूलों में इनके बारे में और पढ़ाया जाना चाहिए। क्यों न हम उनके नाम पर कोई नया स्कॉलरशिप शुरू करें? या फिर भारत-ब्रिटेन के बीच दादाभाई फेलोशिप? एक तरफ तो हमें उनकी विरासत को संजोना है, दूसरी तरफ उसे आगे बढ़ाना भी है। क्या आपको नहीं लगता कि ये सही समय है?

अंत में एक सवाल…

दादाभाई नौरोजी ने साबित किया कि एक व्यक्ति भी इतिहास बदल सकता है। आज के दौर में, जब हम ‘वोकल फॉर लोकल’ की बात करते हैं, क्या हम उनके सपनों का भारत बना पा रहे हैं? शायद यही सोचने का वक्त है। आखिर, जैसे उन्होंने कहा था – “सच्ची देशभक्ति वही है जो सिर्फ बातें नहीं, बल्कि काम करे।” सच में।

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दादा भाई नौरोजी, जिन्हें हम ‘भारत का ग्रैंड ओल्ड मैन’ भी कहते हैं, सिर्फ़ एक नेता नहीं थे। सोचिए, एक भारतीय जिसने British Parliament में हमारी आवाज़ उठाई – वो भी तब, जब हम गुलाम थे! कितनी हिम्मत की बात है न? लेकिन उनका योगदान सिर्फ़ यहीं तक सीमित नहीं था। असल में, उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई की नींव ही डाल दी थी।

आज जब हम उनके बारे में पढ़ते हैं, तो सिर्फ़ इतिहास नहीं सीखते। यह समझ आती है कि न्याय के लिए लड़ना क्यों ज़रूरी है। वैसे, सच कहूँ तो – यह कोई किताबी बात नहीं। जैसे आप अपने घर में अन्याय नहीं सहेंगे, वैसे ही देश के लिए भी… है न? और शायद यही वजह है कि दादा भाई को याद करना सिर्फ़ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी भी है। थोड़ी सी। लेकिन अहम।

एक बात और। क्या आप जानते हैं कि वो पहले भारतीय थे जिन्होंने ‘ड्रेन ऑफ़ वेल्थ’ थ्योरी दी? अंग्रेज़ों ने हमारा कितना नुकसान किया, इसका हिसाब लगाया। सच में। गज़ब का आदमी था!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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