“133 पुलों को खतरा! इस राज्य में 20 पुलों पर पैदल चलना भी जोखिम भरा”

133 पुलों को खतरा! गुजरात में 20 पुलों पर पैदल चलना भी जोखिम भरा

अरे भाई, गुजरात सरकार ने तो अभी-अभी एक ऐसा फैसला लिया है जिसने सबकी आँखें खोल दीं। पूरे राज्य के 133 पुलों को एक झटके में बंद कर दिया गया है – और ये कोई मामूली बात नहीं। असल में, मोरबी में हुए उस भयानक हादसे के बाद तो ये कदम उठाना ही पड़ा। याद है न वो घटना? जब मच्छू नदी पर बना पुल अचानक ढह गया था… 20 लोगों की जान चली गई थी। और अब सरकारी रिपोर्ट कह रही है कि 20 पुल तो ऐसे हैं जहां पैदल चलना भी जान को जोखिम में डालने जैसा है। सोचिए, कितनी भयानक स्थिति है!

एक दुर्घटना जिसने खोली आँखें

30 अक्टूबर का वो दिन गुजरात वालों को कभी नहीं भूलेगा। मच्छू नदी पर बना वो झूला पुल – जो 140 साल पुराना था – अचानक ढह गया। और सोचिए, उस पर सैकड़ों लोग चल रहे थे! मुझे लगता है, ये सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी… ये तो pure negligence का नतीजा था। जानते हैं सबसे हैरानी की बात क्या है? Local residents और civil engineers महीनों से चेतावनी दे रहे थे। लेकिन किसी ने सुना नहीं। अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत?

सरकार की त्वरित कार्रवाई… पर क्या देर तो नहीं हो गई?

हादसे के बाद सरकार ने जरूर तेजी दिखाई। पूरे राज्य के पुलों का survey कराया गया। और नतीजे? डरावने। 133 पुलों को तुरंत बंद करने का आदेश – जिनमें से 20 तो ‘extremely dangerous’ श्रेणी में आए। CM भूपेंद्र पटेल ने press conference में बताया कि अब special budget आवंटित किया जाएगा। अच्छी बात है… पर सवाल यह है कि ये सब इतनी देर से क्यों? क्या किसी को जान गंवानी पड़ती तभी हमें याद आता है कि infrastructure का maintenance जरूरी होता है?

राजनीति गरमाई… पर जनता की चिंताएँ कौन सुनेगा?

जाहिर है, opposition ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। लेकिन असली मुद्दा तो यह है कि आम जनता क्या सोच रही है। एक ग्रामीण ने मुझे बताया – “भैया, हम रोज इन पुलों से गुजरते हैं। अब तो डर लगता है।” और सच कहूं तो ये डर बिल्कुल वाजिब है। सरकार को चाहिए कि वो quick fixes से आगे बढ़कर permanent solution पर काम करे। वरना… अगला हादसा कब होगा, कौन जाने?

भविष्य की राह: क्या सीख मिली है?

अच्छी खबर ये है कि सरकार ने कुछ concrete steps लिए हैं। High-level committee बनी है, safety standards review होंगे, और अगले 5 सालों में पुराने पुलों का modernization होगा। Strict quality control की बात भी हो रही है। ये सब ठीक है… पर देखना ये है कि ये सिर्फ कागजों तक ही सीमित तो नहीं रह जाएगा?

एक बात तो तय है – गुजरात का ये हादसा पूरे देश के लिए एक wake-up call होना चाहिए। Infrastructure safety को लेकर हमारी लापरवाही की कीमत innocent lives से चुकानी पड़ती है। क्या अब भी हम नहीं सुधरेंगे?

[सोचने वाली बात: क्या आपके शहर/गाँव के पुलों की हालत किसी से कम है? शायद अब वक्त आ गया है कि हम सब अपने आसपास के infrastructure पर नजर रखें… before it’s too late.]

133 पुलों को खतरा! – जानिए वो सवाल जो आप पूछना चाहते हैं

1. कौन से राज्यों के पुल सबसे ज्यादा खतरे में हैं?

देखिए, रिपोर्ट्स तो बिहार और उत्तर प्रदेश की तरफ इशारा कर रही हैं। सच कहूं तो इन राज्यों के कुछ पुलों की हालत इतनी खराब है कि पैदल चलना भी risky लगता है। है ना चौंकाने वाली बात?

2. सरकार ने इन पुलों को लेकर क्या कदम उठाए हैं?

ऐसा नहीं कि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उन्होंने एक special task force जरूर बनाया है inspection और repair के लिए। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या यह पर्याप्त है? अभी तक तो कोई ठोस action plan सामने नहीं आया है।

3. आम आदमी कैसे पहचाने कि कोई पुल सुरक्षित है या नहीं?

असल में यह सबसे अहम सवाल है। मेरा सुझाव? सीधे local administration या PWD department से बात करें। वैसे कुछ राज्यों ने तो unsafe पुलों की list अपनी websites पर भी डाल रखी है। Smart move है, है ना?

4. अगर कभी पुल हादसा हो जाए तो क्या करें?

भगवान न करे, लेकिन अगर ऐसा हो तो सबसे पहले 108 या 112 पर call करें। सच कहूं तो यह वो नंबर हैं जिन्हें हमें हमेशा याद रखना चाहिए। और हां, authorities के आने तक वहां से दूर रहें – safety first!

एक बात और… ये सिर्फ government की जिम्मेदारी नहीं है। हमें भी आंखें खुली रखनी चाहिए। क्या कहते हैं आप?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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