Site icon surkhiya.com

“सरकार डोनाल्ड ट्रंप को जवाब दे या भारत में मैकडोनाल्ड्स बंद करे? दीपेंद्र हुड्डा का बड़ा बयान!”

सरकार डोनाल्ड ट्रंप को जवाब दे या मैकडोनाल्ड्स बंद करे? दीपेंद्र हुड्डा का विवादास्पद बयान

अरे भाई, भारतीय राजनीति में मज़ा तब आता है जब कोई नेता ऐसा बयान दे दे जिससे सबकी चाय की प्याली में तूफ़ान आ जाए! कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा ने ठीक यही किया है। संसद में उन्होंने एक ऐसा बोल दिया जिसने सरकार और विपक्ष दोनों को ही चौंका दिया। असल में बात ये है कि उन्होंने केंद्र सरकार से कहा – “या तो ट्रंप साहब के बयानों का जवाब दो, वरना भारत में मैकडोनाल्ड्स का शटर गिरा दो!” और बस…फिर क्या था, सोशल मीडिया से लेकर संसद तक सब हंगामा हो गया।

मामले की जड़ में क्या है?

देखिए, पूरी कहानी शुरू होती है डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान से जब उन्होंने कश्मीर मसले पर अपनी ‘मध्यस्थता’ की पेशकश कर दी। अब भारत सरकार तो पहले ही साफ कर चुकी है कि कश्मीर हमारा अंदरूनी मसला है – बाहर वालों को इसमें दखल देने का कोई हक नहीं। लेकिन हुड्डा साहब ने इस मौके को सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल कर लिया। उनका लॉजिक सीधा है – अगर अमेरिका हमारे मामलों में नाक घुसेड़ेगा, तो हमें भी पूरा हक है कि उनके बिजनेस इंटरेस्ट्स पर सवाल खड़े करें। थोड़ा टिट-फॉर-टैट वाला केस है न?

संसद में गूंजा हुड्डा का बयान

संसद में हुड्डा जी का ये स्टेटमेंट सुनकर तो सबके होश उड़ गए! उन्होंने जोरदार अंदाज में कहा, “सरकार या तो ट्रंप को जवाब दे या भारत में मैकडोनाल्ड्स बंद करवाए।” अब ये सुनते ही सदन में क्या हंगामा हुआ होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं। सच कहूं तो ये बयान संसद से निकलकर सोशल मीडिया पर ऐसा वायरल हुआ कि #McDonaldVsTrump ट्रेंड करने लगा। लोगों के बीच भी ये मुद्दा गरमा गया – कुछ इसे देशभक्ति बता रहे हैं, तो कुछ इसे ओवररिएक्शन।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

अब नेताओं की प्रतिक्रियाएं देखिए – एकदम मिली-जुली! भाजपा वालों ने तो हुड्डा जी पर ही चढ़ाई कर दी। उनका कहना है कि ये “बिल्कुल अतार्किक और भावुक” बयान है, और मैकडोनाल्ड्स जैसे ग्लोबल ब्रांड को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। वहीं कांग्रेस के कुछ नेताओं ने हुड्डा का पक्ष लिया। जनता की राय? वो तो दो हिस्सों में बंट गई है – कुछ कह रहे हैं “शाबाश!”, तो कुछ कह रहे हैं “ये क्या पागलपन है?”

आगे की रणनीति क्या होगी?

अभी तक तो सरकार की तरफ से कोई ऑफिशियल जवाब नहीं आया है। लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि विदेश मंत्रालय जल्द ही ट्रंप के बयानों पर अपना स्टैंड क्लियर कर सकता है। संसद में ये मुद्दा और गरमा सकता है, खासकर जब विपक्ष सरकार पर अमेरिका के सामने नरमी दिखाने का आरोप लगाएगा। कुछ एक्सपर्ट्स तो ये भी कह रहे हैं कि इससे भारत-अमेरिका ट्रेड रिलेशन्स पर नई बहस छिड़ सकती है। MNCs की भूमिका पर भी सवाल उठ सकते हैं।

अंत में बस इतना कि हुड्डा जी का ये बयान कोई साधारण राजनीतिक बयान नहीं है। ये तो उस बड़ी बहस की शुरुआत है जो हमारी विदेश नीति और आर्थिक आजादी के बीच के तालमेल पर सवाल उठाती है। अब देखना ये है कि सरकार इस चुनौती को कैसे हैंडल करती है। क्या वो अपना रुख और स्पष्ट करेगी? या फिर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल देगी? वक्त ही बताएगा!

यह भी पढ़ें:

“सरकार डोनाल्ड ट्रंप को जवाब दे या मैकडोनाल्ड्स बंद करे?” – अब ये सवाल सबकी जुबान पर है!

1. दीपेंद्र हुड्डा ने यह बयान दिया ही क्यों?

देखिए, ये कोई साधारण बयान नहीं है। दीपेंद्र हुड्डा ने जानबूझकर भारत-अमेरिका relations और हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में घुसे global brands को निशाने पर लिया है। असल में, ये एक तरह का political चुनौती है – या तो ट्रंप साहब को जवाब दो, वरना हमारे यहाँ के मैकडोनाल्ड्स outlets को बंद करवाओ। थोड़ा अजीब लगता है न? पर राजनीति में ऐसे statements तो चलते रहते हैं।

2. क्या सच में भारत में मैकडोनाल्ड्स बंद हो सकता है?

अरे भई, सच बताऊँ? ऐसा होने के chances बिल्कुल न के बराबर हैं। सोचिए – मैकडोनाल्ड्स सिर्फ बर्गर नहीं बेचता, ये तो लाखों लोगों की रोजी-रोटी है! और ऊपर से, हम भारतीयों को मैकडोनाल्ड्स के चिकन मैगी और एलो टिक्की बर्गर से कितना प्यार है, यह तो सब जानते हैं। Official तौर पर अभी तो कुछ हुआ नहीं है, और होगा भी नहीं ऐसा मेरा मानना है।

3. ये सब बकवास भारत-अमेरिका रिश्तों को कैसे प्रभावित करेगा?

सुनिए, राजनीति में ऐसे statements आते-जाते रहते हैं। हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच relations इतने मजबूत हैं कि एक-दो बयानों से कुछ नहीं बिगड़ने वाला। Economic partnership, defense deals – ये सब इससे कहीं बड़े मुद्दे हैं। पर सच कहूँ तो, media में कुछ दिन चर्चा जरूर होगी!

4. ये सिर्फ दिखावा है या कोई असली मांग?

ईमानदारी से? 99% symbolic है। मैकडोनाल्ड्स को ban करना… हँसी आती है सोचकर! पर एक बात सही है – इसने foreign companies के हमारे economy में role पर बहस जरूर छेड़ दी है। क्या हमें वाकई हर चीज में विदेशी brands चाहिए? ये सवाल तो उठना ही चाहिए। लेकिन practical solution? वो अलग बात है।

क्या आपको लगता है ऐसे statements का कोई मतलब है? कमेंट में बताइएगा जरूर!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version