दिल्ली में AI कैमरा और ऑटोमैटिक हूटर का कमाल: पेट्रोल पंप पर 15 साल पुरानी मर्सिडीज हुई सीज!
आज दिल्ली के एक पेट्रोल पंप पर क्या हुआ, सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे! एक शानदार Mercedes कार को ईंधन भरने से रोक दिया गया – और वजह? बस इतनी कि वो 15 साल पुरानी थी। अब आप सोच रहे होंगे, भई ये तो कोई नई बात नहीं। लेकिन असल माजरा कुछ और ही है। यहां technology ने कमाल कर दिया। AI-powered cameras और automatic hooter system ने मिलकर ये कारनामा किया। देखा जाए तो ये दिल्ली सरकार के उस नए नियम का पहला बड़ा टेस्ट केस था जो 1 जुलाई से लागू हुआ है।
पर्यावरण बचाने की कोशिश या जनता पर ज़ुल्म?
असल में बात ये है कि दिल्ली की हवा… वो तो आप जानते ही हैं कितनी खराब हो चुकी है। सरकार का दावा है कि 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल और 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहन प्रदूषण फैलाने के मामले में सबसे आगे हैं। पर सवाल ये उठता है – क्या सिर्फ उम्र देखकर फैसला करना सही है? मेरा एक दोस्त तो कहता है, “भाई मेरी 2008 की Honda City आज भी नई-सी चलती है!”
वैसे technology वाला पार्ट काफी दिलचस्प है। पेट्रोल पंपों पर लगे ये AI cameras वाहनों के registration details को झट से scan कर लेते हैं। और अगर गाड़ी ‘ओवरएज’ निकली तो तुरंत hooter बज उठता है। एक तरह से तो ये सिस्टम काफी स्मार्ट है… लेकिन क्या ये थोड़ा ज्यादा सख्त नहीं हो गया?
आज की घटना: जब मर्सिडीज को लगा झटका
कल सुबह का मजेदार वाकया सुनिए। एक बिल्कुल चमचमाती Mercedes पेट्रोल पंप पर आई। लेकिन जैसे ही AI camera ने उसका नंबर पकड़ा – भईय्या! 15 साल पुरानी निकली। तुरंत हूटर बज उठा और स्टाफ ने ईंधन देने से मना कर दिया। मालिक का क्या हाल हुआ होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं। ईमानदारी से कहूं तो मुझे भी उस पर तरस आया।
अब तो दिल्ली के सारे पेट्रोल पंपों पर निगरानी और तेज कर दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि ये कोई छोटी-मोटी घटना नहीं बल्कि एक साफ संदेश है। लेकिन सच पूछो तो ये पूरा मामला काफी विवादास्पद है न?
लोग क्या कह रहे हैं?
दिल्ली सरकार के environment minister तो बिल्कुल खुश हैं। उनका कहना है, “ये दिल्ली की हवा साफ करने की दिशा में बड़ा कदम है।” ठीक है, मान लेते हैं। लेकिन Mercedes के मालिक की बात भी तो सुनिए – “मेरी कार की कंडीशन बिल्कुल नई जैसी है! सिर्फ उम्र देखकर रिजेक्ट करना कहां का इंसाफ है?” सच कहूं तो उनकी बात में भी दम लगता है।
आम लोगों की राय भी बंटी हुई है। कुछ कह रहे हैं कि पर्यावरण के लिए ये जरूरी कदम है। वहीं दूसरे लोगों का मानना है कि सरकार को पुरानी गाड़ियों के बदले बेहतर स्क्रैप पॉलिसी देनी चाहिए। मेरा ख्याल है कि दोनों पक्षों की बात में सच्चाई है।
आगे की राह
अब सरकार ने साफ कर दिया है कि नियम तोड़ने वाले पेट्रोल पंपों पर कार्रवाई होगी। साथ ही पुरानी गाड़ियों के मालिकों के लिए स्क्रैप पॉलिसी का विकल्प भी है। पर सच पूछो तो मुश्किल ये है कि नई गाड़ी खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं।
एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि अगर ये पॉलिसी ठीक से लागू हो तो हवा साफ हो सकती है। लेकिन उन्होंने सही सुझाव दिया है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को भी बेहतर बनाना होगा। वरना आम आदमी पर ही बोझ पड़ेगा।
अंत में बस इतना कहूंगा – technology का ये इस्तेमाल वाकई कमाल का है। लेकिन क्या ये जरूरत से ज्यादा सख्त नहीं हो गया? आपकी क्या राय है? कमेंट में जरूर बताइएगा। और हां, अगर आपकी भी कोई पुरानी गाड़ी है तो… समझदारी तो यही है कि नए नियमों के बारे में जान लीजिए!
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com