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दिल्ली कोर्ट ने मोसर बेयर, रतुल पुरी और 11 अन्य के खिलाफ PMLA मामला खारिज किया

दिल्ली कोर्ट का बड़ा फैसला: मोसर बेयर और रतुल पुरी के खिलाफ PMLA केस खारिज!

क्या आपको याद है वो बड़ा मामला जिसमें ₹1,100 करोड़ से ज्यादा के बैंक फ्रॉड के आरोप थे? तो खबर ये है कि दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने आखिरकार इस पूरे PMLA केस को ही खारिज कर दिया है। और वजह? असल में सीबीआई का भ्रष्टाचार वाला केस, जिस पर ये पूरी ED की कार्रवाई टिकी हुई थी, वो ही खत्म हो चुका है। कोर्ट ने साफ कहा – जब मूल अपराध (predicate offence) ही नहीं बचा, तो PMLA के तहत केस कैसे चलेगा? बिल्कुल सही बात है, है न?

पूरा मामला क्या था?

मोसर बेयर, जो सोलर और स्टोरेज डिवाइस बनाती है, उस पर आरोप था कि उसने बैंकों को झांसे में रखकर भारी-भरकम लोन ले लिया। और रतुल पुरी? वो तो कांग्रेस के बड़े नेता कमल नाथ के भतीजे हैं – सोचिए उन पर क्या-क्या आरोप लगे थे! 2019 में सीबीआई ने केस दर्ज किया, ED ने PMLA के तहत छापे मारे… मगर अब पता चला कि सीबीआई को कोई ठोस सबूत ही नहीं मिला। तो जब मूल केस ही गिर गया, तो ED का PMLA केस कैसे टिकता?

कोर्ट ने क्या कहा?

जज सुशांत चांगोत्रा ने बिल्कुल सीधी-सादी बात कही: “PMLA में केस तभी चल सकता है जब predicate offence साबित हो।” सीधा सा नियम है। ED ने भले ही गंभीर आरोप लगाए हों कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेज बनाए और पैसों का गलत इस्तेमाल किया, लेकिन जब मूल केस ही नहीं बचा तो बाकी सब कुछ ढह गया। एक तरह से देखें तो ये तकनीकी आधार पर खारिज हुआ है।

किसको क्या मिला?

रतुल पुरी की टीम तो मानो जैसे ईद का चांद देख लिया! उनके वकीलों ने इसे “सच्चे न्याय की जीत” बताया है। ED की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है, लेकिन सुना है कि वे हाई कोर्ट जा सकते हैं। कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि ये फैसला भविष्य के PMLA मामलों के लिए एक अहम उदाहरण बन सकता है। सच कहूं तो ये केस कानून की पुस्तकों में जरूर जाएगा।

अब आगे क्या?

अब ED के पास दो ही रास्ते हैं – या तो हाई कोर्ट में अपील करें, या फिर मामला यहीं समाप्त। अगर ED अपील करती है तो ये कानूनी लड़ाई और लंबी खिंच सकती है। वहीं बैंकों की बात करें तो उनका ₹1,100 करोड़ तो डूबा ही है – देखना ये है कि वे अब क्या कदम उठाते हैं। एक बात तो तय है – ये मामला अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।

दिल्ली कोर्ट का PMLA मामला खारिज – क्या यह सच में ‘नो इविडेंस’ का मामला है?

1. मोसर बेयर, रतुल पुरी का केस खारिज – क्या ED वाकई इतनी कमजोर थी?

देखिए, दिल्ली कोर्ट ने यह फैसला सुनाया तो है… लेकिन सवाल यह है कि क्या ED वाकई इतनी बेअसर हो चुकी है? कोर्ट ने साफ कहा – PMLA के तहत जरूरी सबूत ही नहीं मिले। यानी ED के पास जो कुछ था, वह केस बनाने के लिए काफी नहीं था। ईमानदारी से कहूं तो, यह ED के लिए बड़ा झटका है। सच कहूं? एक तरफ तो PMLA के सख्त कानून हैं, दूसरी तरफ ED के पास सबूत ही नहीं। अजीब स्थिति है!

2. 13 आरोपी, पर सब बरी – क्या यह केस शुरू से ही कमजोर था?

मोसर बेयर, रतुल पुरी समेत 13 लोग! इतने सारे आरोपी, पर एक भी चार्ज साबित नहीं हो पाया। है न मजेदार? इन पर money laundering और financial fraud के आरोप थे, लेकिन ED की पूरी कोशिश के बावजूद… कुछ नहीं। क्या यह केस शुरू से ही पानी-पानी था? या फिर ED ने जल्दबाजी में केस दर्ज कर लिया? सवाल तो उठते हैं।

3. ED अब क्या करेगी? Higher court में appeal की गुंजाइश कितनी?

तो अब सवाल यह है कि ED के पास क्या विकल्प बचे हैं? हां तकनीकी रूप से वह Delhi High Court में appeal कर सकती है। लेकिन सच पूछो तो… जब lower court ने साफ-साफ कह दिया कि सबूत ही नहीं हैं, तो higher court में क्या हासिल होगा? हालांकि, ED अक्सर ऐसे फैसलों को चुनौती देती आई है। पर इस बार? मुश्किल लगता है।

4. Image का खेल – क्या यह फैसला मोसर बेयर के लिए वरदान साबित होगा?

कानूनी तौर पर तो यह इनकी बड़ी जीत है। लेकिन असल दुनिया में? Short-term तो media इसे लेकर खूब हल्ला मचाएगी। ‘ED फेल’, ‘आरोपी बरी’ जैसे हेडलाइन्स तो बनेंगे ही। पर long-term में? अगर आप मुझसे पूछें तो… यह फैसला इनकी credibility को बढ़ा सकता है। क्योंकि अंततः कोर्ट ने तो साफ कह दिया – सबूत ही नहीं थे। एकदम साफ-साफ। लेकिन यह भी सच है कि public memory बहुत छोटी होती है। कल को नया स्कैंडल आया और यह केस भूला दिया जाएगा।

Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com

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