दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला: क्या 56 मेंटर्स पिछड़े बच्चों की किस्मत बदल पाएंगे?
देखिए, दिल्ली सरकार ने शिक्षा को लेकर एक दिलचस्प कदम उठाया है। और मुझे लगता है यह सही दिशा में एक अच्छी शुरुआत हो सकती है। बात यह है कि सरकार ने 56 ऐसे सरकारी स्कूलों को चिन्हित किया है जहां 9वीं और 11वीं के बच्चों का पास प्रतिशत 45% से भी नीचे है। अब यहां वरिष्ठ अधिकारियों को मेंटर बनाकर भेजा जाएगा। सोचिए, जिन बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत आ रही है, उन्हें सीधे टॉप लेवल के अधिकारियों का मार्गदर्शन मिलेगा!
असल में पिछले कुछ सालों से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर काफी फोकस है। पर एक आंतरिक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया – 56 स्कूलों का प्रदर्शन बेहद खराब। और अब? अब यह पहली बार हो रहा है कि उच्च अधिकारी सीधे स्कूलों में जाकर टीचर्स और स्टूडेंट्स दोनों को गाइड करेंगे। क्या यह काम करेगा? शायद। पर कोशिश तो की जा रही है न!
इस पूरे प्रोग्राम की खास बात यह है कि यह कोई ऊपर-ऊपर की पहल नहीं है। शिक्षा निदेशालय के अधिकारी रेगुलरली इन स्कूलों का दौरा करेंगे, टीचर्स के साथ बैठेंगे, और सुधार के लिए ठोस कदम उठाएंगे। लक्ष्य? 2024-25 तक इन स्कूलों के रिजल्ट्स में कम से कम 15-20% का सुधार लाना। मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री का कहना है, “यह स्कीम कमजोर बच्चों को सही दिशा देगी।” और एक स्कूल प्रिंसिपल तो बिल्कुल उत्साहित हैं – “अधिकारियों का एक्सपीरियंस सच में काम आएगा।” पर कुछ एक्सपर्ट्स की चिंता भी समझ आती है – यह सिर्फ शुरुआत है, लंबे समय तक चलना चाहिए। सच कहूं तो मेरा भी यही मानना है।
अगर यह एक्सपेरिमेंट काम कर गया तो? फिर तो गेम चेंजर हो सकता है! दिल्ली के बाद अन्य राज्य भी ऐसी ही योजनाएं ला सकते हैं। और जिन स्कूलों की इमेज अभी खराब है, वो भी सुधर सकते हैं। पर एक बात याद रखिए – overnight results की उम्मीद न करें। शिक्षा में सुधार धीरे-धीरे ही आते हैं।
आखिर में बस इतना कहूंगा – यह पहल एक अच्छी शुरुआत है। बच्चों का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा, टीचर्स को सपोर्ट मिलेगा। बस इसे political मुद्दा न बनाया जाए। क्योंकि शिक्षा सबसे बड़ा investment है जो हम अपने भविष्य में कर सकते हैं। है न?
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दिल्ली सरकार का यह फैसला सच में काबिले-तारीफ है! कमजोर छात्रों को आगे बढ़ाने की बात हो, तो ऐसे कदम बेहद ज़रूरी हो जाते हैं। सोचिए, 56 मेंटर्स की टीम सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि बच्चों के आत्मविश्वास को भी संभालेंगी। और यही तो चाहिए न?
असल में, quality education हर बच्चे का हक है – चाहे वो किसी भी background से हो। यह पहल उसी दिशा में एक मजबूत कोशिश है। मगर सवाल ये है कि क्या सिर्फ मेंटर्स भर से काम चल जाएगा? शायद नहीं। लेकिन शुरुआत तो अच्छी है!
और हाँ, ऐसे ही छोटे-छोटे प्रयास मिलकर ही देश का भविष्य बदल सकते हैं। बस, इमानदारी से काम करने की ज़रूरत है। वरना… आप समझ ही गए होंगे!
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दिल्ली सरकार का मेंटरशिप प्रोग्राम: जानिए सबकुछ, बिना किसी झंझट के!
1. मेंटरशिप प्रोग्राम? ये चीज़ है क्या भाई?
देखिए, दिल्ली सरकार ने एक बेहतरीन पहल की है – 56 मेंटर्स की एक टीम बनाई है जो बच्चों की पढ़ाई में मदद करेगी। असल में बात ये है कि कुछ बच्चे पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं न? तो उन्हें एक्स्ट्रा सपोर्ट देने के लिए ये प्रोग्राम शुरू किया गया है। थोड़ा वैसा ही जैसे क्रिकेट में कोच खिलाड़ियों को स्पेशल ट्रेनिंग देते हैं!
2. किस-किस के लिए है ये सुविधा? मेरा भाई भी जॉइन कर सकता है क्या?
अरे भई, सीधी सी बात है – जो बच्चे क्लास में थोड़ा कमजोर हैं, जिन्हें एक्स्ट्रा मदद चाहिए, बस उन्हीं के लिए है ये प्रोग्राम। लेकिन ध्यान रहे, सिर्फ दिल्ली सरकार के स्कूलों के स्टूडेंट्स ही इसमें भाग ले सकते हैं। वैसे, आपके भाई को अगर मदद चाहिए तो उसके टीचर से बात कर सकते हैं।
3. मेंटर्स? ये लोग आते कहाँ से हैं?
यहाँ दिल्ली सरकार ने कोई लापरवाही नहीं की है। मेंटर्स को बड़े ही सोच-समझकर चुना गया है। इनमें कुछ तो बहुत एक्सपीरियंस्ड टीचर्स हैं, कुछ एजुकेशन फील्ड के एक्सपर्ट्स हैं, और कुछ काउंसलर्स भी हैं। मतलब, बच्चों को सही में क्वालिटी गाइडेंस मिलेगी। सच कहूँ तो मुझे तो खुद ऐसा मेंटर चाहिए था स्कूल टाइम में!
4. सबसे जरूरी सवाल – पैसे लगेंगे क्या?
हँसते-हँसते बता दूँ – एक पैसा नहीं! ये पूरा का पूरा प्रोग्राम फ्री है। दिल्ली सरकार ने खुद इसकी फंडिंग की है। तो अगर कोई कहे कि ‘इसमें पैसे देने होंगे’, तो समझ जाना कि वो गलत जानकारी दे रहा है। बिल्कुल फ्री, बिल्कुल असली।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com