दिल्ली में कांवड़ियों का ज़बरदस्त स्वागत! 374 शिविरों को हरी झंडी… पर क्या ये काफी है?
शनिवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बड़ा फैसला लिया – कांवड़ यात्रा के लिए 374 शिविरों को मंजूरी दे दी। असल में, ये फैसला कोई एकदम से नहीं लिया गया। उच्चस्तरीय बैठक में घंटों चर्चा हुई, जहां सिर्फ एक ही सवाल था: “कैसे करें लाखों कांवड़ियों का ख्याल?” अब इन शिविरों में सब कुछ मिलेगा – खाना-पीना, मेडिकल सुविधाएं, आराम की जगह… बिल्कुल वैसे ही जैसे लंबी यात्रा में पड़ाव होता है।
अरे भई, कांवड़ यात्रा तो सावन की रौनक है न! गंगाजल लेकर पैदल चलना, शिवजी पर जल चढ़ाना… ये तो हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। और दिल्ली? दिल्ली तो इस यात्रा का मुख्य पिट-स्टॉप बन चुका है। पिछले कुछ सालों में देखा जाए तो सरकार ने शिविरों की संख्या और सुविधाएं दोनों बढ़ाई हैं। पर सच कहूं तो… जितने श्रद्धालु आते हैं, उनके मुकाबले ये शायद अभी भी कम ही हैं।
इस बार क्या खास है? तो सुनिए – पिछले साल से 50 ज्यादा शिविर! यानी अब टोटल 374। इनमें मुफ्त खाना, साफ पानी, फर्स्ट-ऐड और सुरक्षा का पूरा इंतजाम होगा। पर यहीं पर एक बड़ा सवाल: क्या सिर्फ शिविर बना देना काफी है? दिल्ली सरकार ने ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए भी गाइडलाइन्स जारी की हैं… वरना भगदड़ तो होनी ही है। पुलिस वालों को भी अलर्ट रहने को कहा गया है। मजे की बात ये कि अब तक का सबसे बड़ा अरेंजमेंट है ये!
अब लोग क्या कह रहे हैं? मुख्यमंत्री जी तो बोल ही चुकी हैं – “हमारी प्राथमिकता कांवड़ियों की सुविधा है।” एक यात्री ने खुश होकर कहा – “पिछले साल भी अच्छा था, इस बार और बेहतर होगा।” लेकिन… हमेशा एक ‘लेकिन’ तो होता ही है न? कुछ पर्यावरणविद् चिंता जता रहे हैं कि प्लास्टिक कचरा बढ़ेगा। सच्चाई ये है कि उनकी बात में दम भी है। क्या सरकार इस पर भी ध्यान देगी?
अगले कुछ दिनों में देखना दिलचस्प होगा। पुलिस और प्रशासन पूरी तैयारी में है। अगर ये प्लान सफल रहा, तो अगले साल और शिविर बन सकते हैं। पर्यावरण की बात भी शायद गंभीरता से ली जाए। एक तरफ तो ये सरकार की बड़ी पहल है… पर दूसरी तरफ, जब तक सब कुछ सही से इम्प्लीमेंट नहीं होता, तब तक कुछ कहना जल्दबाजी होगी। आपको क्या लगता है – क्या ये कदम काफी है?
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दिल्ली में कांवड़ यात्रा: आपके सवाल, हमारे जवाब (FAQs)
1. इस बार दिल्ली में कितने कांवड़ शिविर लगेंगे?
देखिए, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बार 374 शिविरों को हरी झंडी दे दी है। यानी पिछले साल के मुकाबले थोड़ा ज्यादा। अच्छी बात ये है कि इनमें कांवड़ियों की हर जरूरत का ख्याल रखा गया है – सुरक्षा से लेकर बेसिक सुविधाओं तक।
2. शिविरों में मिलने वाली सुविधाएं क्या-क्या हैं?
असल में, ये शिविर एक छोटे से ‘होम स्टे’ जैसे हैं। पीने का साफ पानी? है। मेडिकल एमरजेंसी के लिए डॉक्टर? वो भी। रुकने की जगह और भोजन की व्यवस्था? वो तो बनता ही है। सरकार ने कहा है कि सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।
3. क्या इस बार भी COVID-19 के नियम लागू होंगे?
सच कहूं तो अभी तक स्थिति साफ नहीं है। हां, सरकार ने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे प्रोटोकॉल्स का जिक्र जरूर किया है। लेकिन ये कितना सख्ती से लागू होगा, ये तो समय ही बताएगा। आप सावधानी बरतें, यही बेहतर होगा।
4. क्या कांवड़ यात्रा में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा?
अभी तक तो कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। पर मेरे एक दोस्त ने बताया कि कुछ प्रमुख शिविरों में रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू हो सकती है। बेहतर यही होगा कि आप अपने इलाके के प्रशासनिक अधिकारियों से एक बार पूछ लें। कहीं ऐसा न हो कि आखिरी समय में कोई दिक्कत आ जाए!
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com