हेलस्टॉर्म ने डेल्टा के 100 विमानों की धज्जियाँ उड़ा दीं! हार्ट्सफील्ड-जैक्सन एयरपोर्ट पर क्या हुआ था?
अरे भई, गुरुवार की वो रात तो हार्ट्सफील्ड-जैक्सन एयरपोर्ट पर कुछ ऐसा हुआ जैसे किसी ने बॉलीवुड एक्शन सीन शूट कर दिया हो। आसमान से जो ओले गिरे, उन्होंने डेल्टा एयरलाइंस के 100 से ज़्यादा विमानों का हाल बेहाल कर दिया। और तो और, शनिवार तक इसका असर देखने को मिला – सैकड़ों उड़ानें कैंसिल, यात्री परेशान, और एयरलाइन वालों के पसीने छूट गए। सच में, ये वाकई बड़ी मुसीबत थी।
अब सोचिए, ये एयरपोर्ट तो दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक है। रोज़ाना हजारों उड़ानें आती-जाती हैं। लेकिन गुरुवार को अटलांटा में मौसम ने जो रौद्र रूप दिखाया, उसने सबकी नींद उड़ा दी। तेज़ हवाएँ? हाँ। बड़े-बड़े ओले? बिल्कुल। और नतीजा? विमानों के विंडशील्ड टूटे, इंजन खराब, बाहरी बॉडी को नुकसान। डेल्टा वालों के लिए तो जैसे सिर दर्द सा हो गया होगा!
अब डेल्टा क्या करे? उन्होंने तुरंत 100 से ज़्यादा विमानों की जाँच शुरू कर दी। लेकिन इसका मतलब? शुक्रवार और शनिवार को उड़ानों में भारी दिक्कतें। सैकड़ों यात्री फंसे, कुछ तो घंटों इंतज़ार करते रहे। हालांकि एयरलाइन ने वैकल्पिक उड़ानें और मुआवज़े का ऐलान किया, पर क्या वाकई इससे यात्रियों का गुस्सा शांत होगा? शायद नहीं।
डेल्टा का कहना है, “सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है।” सही बात है। लेकिन यात्री पूछ रहे हैं – क्या इस तरह की आपात स्थितियों के लिए पहले से बेहतर प्लानिंग नहीं हो सकती थी? और सच कहूँ तो, मौसम विभाग की चेतावनी तो और डरावनी है – जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसे हेलस्टॉर्म भविष्य में और बढ़ सकते हैं!
तो अब क्या? डेल्टा का कहना है कि जाँच में अभी वक्त लगेगा, लेकिन वो जल्द ही नॉर्मल सर्विस शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। पर सच तो ये है कि इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया – मौसम के आगे हम सब बेबस हैं। एयरलाइंस और एयरपोर्ट्स को अब नई सुरक्षा योजनाएँ बनानी होंगी। वरना… अगली बार यात्रियों का गुस्सा और भी ज़्यादा होगा। है न?
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हेलस्टॉर्म क्या है और यह विमानों के लिए इतना खतरनाक क्यों है?
देखिए, हेलस्टॉर्म कोई आम बारिश नहीं है। यह तो बर्फ के गोलों (hailstones) की बौछार है – और ये गोले कभी-कभी गोल्फ बॉल जितने बड़े भी हो सकते हैं! अब सोचिए, ऐसे में अगर कोई विमान इनकी चपेट में आ जाए तो? उसके wings, engines जैसे नाजुक हिस्सों को तो नुकसान पहुंचना लाजमी है। असल में, यही वजह है कि एविएशन सेक्टर में हेलस्टॉर्म को गंभीरता से लिया जाता है।
Delta ने अचानक 100 विमानों की जांच क्यों शुरू कर दी?
अरे भाई, यह कोई अचानक वाली बात नहीं है। मौसम विभाग ने हेलस्टॉर्म की चेतावनी दी थी न? तो Delta ने FAA के नियमों का पालन करते हुए यह स्टैंडर्ड प्रोसीजर अपनाया। सच कहूं तो यह उनकी जिम्मेदारी भी थी और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का तरीका भी। क्या आप चाहेंगे कि कोई कंपनी सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरते?
हार्ट्सफील्ड-जैक्सन एयरपोर्ट पर क्या हंगामा हुआ?
भई, जब इतने सारे विमानों की एक साथ जांच हो रही हो तो असर तो पड़ेगा ही! कुछ flights तो रद्द हुए, कुछ लेट हुए… और यात्रियों का क्या? वे तो पहले से ही स्ट्रेस में होते हैं। नतीजा? एयरपोर्ट पर भगदड़ जैसा माहौल। लेकिन समझदारी इसी में थी कि जांच पूरी होने दी जाए। सुरक्षा से समझौता तो नहीं कर सकते न?
क्या यात्रियों को कोई मुआवजा मिलेगा?
यहां बात थोड़ी पेचीदा हो जाती है। Delta की पॉलिसी के मुताबिक, अगर flight कैंसिल हो या बहुत ज्यादा डिले हो तो refund या दूसरी flight का ऑप्शन तो मिलता है। पर याद रखिए – यह मौसम की वजह से हुआ है, तो compensation की कोई गारंटी नहीं। मेरा सुझाव? ट्रैवल इंश्योरेंस हमेशा लेकर चलिए। कभी काम आ जाए!
Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com