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डेनमार्क ने AI डीपफेक्स से निपटने के लिए नागरिकों को उनकी छवि और आवाज़ पर कॉपीराइट दिया

डेनमार्क ने AI Deepfakes का हल निकाला: अब आपकी आवाज़ और तस्वीर पर सिर्फ आपका हक!

क्या आपने कभी सोचा है कि कोई आपकी आवाज़ या चेहरे का इस्तेमाल करके कुछ भी बना दे जो आपने किया ही नहीं? डरावना लगता है ना? डेनमार्क ने इसी डर का हल निकाल लिया है। गुरुवार को उनकी संसद ने एक ऐसा कानून पास किया जो शायद पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन जाए। अब वहाँ के नागरिकों की image और voice पर खुद उनका Copyright होगा। मतलब, बिना इजाज़त आपका AI द्वारा बनाया गया कोई भी Deepfake बनाना गैरकानूनी होगा। और सही समय पर आया ये कदम, क्योंकि डिजिटल दुनिया में पहचान की चोरी तो जैसे रोज़ का खेल बन गया है।

समस्या कितनी बड़ी है? सुनकर हैरान रह जाएंगे

असल में देखा जाए तो AI तकनीक जितनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है, उतनी ही तेज़ी से इसका गलत इस्तेमाल भी बढ़ रहा है। पिछले दो-तीन साल में Deepfakes ने क्या-क्या नहीं किया – fake news फैलाई, scams किए, और तो और अश्लील वीडियोज़ तक बनाए। है ना शर्म की बात? पर मुश्किल ये है कि हमारे मौजूदा Copyright कानून इन सबके लिए तैयार ही नहीं थे। वो तो बस किताबें, गाने, पेंटिंग्स जैसी चीज़ों को protect करते हैं। आपके चेहरे या आवाज़ पर कोई हक नहीं देते। डेनमार्क ने अब इसी खामी को दूर करने की कोशिश की है।

क्या-क्या बदलेगा? जानिए पूरी डिटेल

तो अब सवाल यह है कि इस नए कानून में आखिर है क्या? सबसे बड़ी बात – अगर कोई company आपकी image या voice का commercial use करना चाहे, तो उसे आपसे सीधे permission लेनी होगी। हालांकि, थोड़ी छूट भी दी गई है। जैसे news, कला, education या research के मामलों में कुछ relaxation है। पर ध्यान रहे, नियम तोड़ने वालों को भारी भरकम जुर्माना भरना पड़ सकता है। और ये सिर्फ AI companies ही नहीं, social media platforms और advertising agencies को भी सीधे प्रभावित करेगा। एक तरह से डिजिटल दुनिया का नया नियम बन गया है ये!

किसको पसंद आया, किसको नहीं? मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

ईमानदारी से कहूं तो हर नए कानून की तरह इसे लेकर भी opinions divide हैं। डेनमार्क के Digital Affairs मंत्री जी तो बिल्कुल खुश हैं – उन्होंने इसे “डिजिटल युग में व्यक्तिगत अधिकारों की जीत” बताया है। civil rights organizations भी तालियाँ बजा रही हैं, इसे यूरोप के लिए role model बता रही हैं। लेकिन दूसरी तरफ tech companies का कहना है कि ऐसे strict rules से innovation पर ब्रेक लग सकता है। सच कहूं तो दोनों पक्षों की बात में दम है। पर क्या सुरक्षा और innovation के बीच balance नहीं हो सकता?

आगे क्या? सिर्फ डेनमार्क की बात नहीं है ये

असल में ये कोई छोटी-मोटी policy change नहीं है। देखा जाए तो डेनमार्क शायद पहला domino है जो पूरे European Union में बदलाव ला सकता है। experts का मानना है कि इससे न सिर्फ online fraud कम होगा, बल्कि लोगों को अपनी digital identity के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। सच तो ये है कि जैसे-जैसे AI powerful हो रहा है, वैसे-वैसे हमें इसके dark side से बचने के नए तरीके भी ढूंढने होंगे। और डेनमार्क ने शायद पहला कदम उठा दिया है।

एक तरफ तो हम physical और digital दुनिया के बीच के फर्क को मिटाते जा रहे हैं, वहीं डेनमार्क ने एक स्पष्ट संदेश दिया है – आपकी डिजिटल पहचान पर सिर्फ आपका अधिकार है। ये नीति न सिर्फ डेनमार्क के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए AI ethics पर बहस को नई दिशा दे सकती है। क्या भारत को भी ऐसे ही कदम उठाने चाहिए? सोचने वाली बात है…

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डेनमार्क और AI डीपफेक्स: जानिए पूरी कहानी

डेनमार्क ने AI डीपफेक्स के खिलाफ क्या किया?

सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन डेनमार्क ने एक बेहद दिलचस्प कदम उठाया है। अब वहां के लोगों को अपनी image और voice पर पूरा कॉपीराइट मिलेगा। मतलब साफ है – बिना पूछे कोई आपकी तस्वीर या आवाज़ AI में इस्तेमाल नहीं कर सकता। स्मार्ट मूव है, है न?

यह नया कानून असल में काम कैसे करेगा?

देखिए, इसे ऐसे समझिए… अगर कोई शख्स बिना इजाज़त आपकी आवाज़ या इमेज से डीपफेक बनाता है, तो अब आप उस पर केस कर सकते हैं। एक तरफ तो यह privacy को मजबूत करता है, लेकिन दूसरी तरफ सवाल यह है कि इसे लागू करना कितना आसान होगा?

क्या यह सिर्फ डेनमार्क तक ही सीमित रहेगा?

अभी के लिए हां। पर यहां की सरकार ने जैसे ही यह कदम उठाया, पूरी दुनिया की नजरें इस पर टिक गई हैं। अगर यहां यह प्लान कामयाब रहा, तो भारत समेत कई देश इसे फॉलो कर सकते हैं। क्योंकि डीपफेक की समस्या तो वैश्विक है न!

AI डीपफेक्स से खुद को कैसे बचाएं?

ईमानदारी से कहूं तो पूरी तरह बच पाना मुश्किल है। लेकिन कुछ स्मार्ट टिप्स:
– सोशल मीडिया पर हर चीज पोस्ट करने से बचें (हां, वो सेल्फी भी!)
– फोटोज पर watermark जरूर लगाएं
– कुछ शक हो तो तुरंत रिपोर्ट करें

एकदम बेसिक बातें, पर यही काम आती हैं। सच कहूं तो टेक्नोलॉजी के इस दौर में थोड़ा सतर्क रहना ही पड़ता है।

Source: NY Post – World News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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