राजस्थान में छप्परफाड़ बारिश: क्या ये जलवायु परिवर्तन का असर है या सिर्फ एक दुर्भाग्य?
अरे भाई, राजस्थान में तो इस बार मानसून ने सचमुच जमकर तबाही मचाई है! जून के आखिरी हफ्ते से शुरू हुई ये बारिश जुलाई के पहले हफ्ते में ही पूरे राज्य को लगभग डुबो देने पर आमादा है। सोचो जरा – जो राज्य साल के 11 महीने पानी के लिए तरसता रहता है, वहां अचानक बाढ़ का ये हाल? असल में, ये स्थिति इतनी अप्रत्याशित है कि प्रशासन से लेकर आम आदमी तक सब हैरान हैं। कई इलाकों में तो बांधों से पानी छलकने लगा है, और शहरों की हालत? वहां तो waterlogging ने रोजमर्रा की जिंदगी को पूरी तरह ठप कर दिया है।
मौसम का ये उलटफेर क्या बताता है?
देखिए, राजस्थान के मौसम की बात ही अलग है – एकदम अनिश्चित। लेकिन इस बार? ये तो कुछ ज्यादा ही हो गया। मानसून समय से पहले आया और साथ लाया इतना पानी कि मौसम वालों की भी आंखें फटी की फटी रह गईं। पिछले दो दिनों में जयपुर, उदयपुर जैसे शहरों में 300mm से ज्यादा बारिश! है न हैरानी की बात? और सबसे बड़ी विडंबना ये कि पिछले साल इसी वक्त तो लोग टैंकरों से पानी पी रहे थे!
हालांकि मौसम विभाग ने alert जरूर दिया था, पर असलियत उनके अनुमानों से कहीं ज्यादा भयावह निकली। पांच बड़े बांध तो खतरे के निशान को पार कर चुके हैं, और नतीजा? निचले इलाकों में अचानक बाढ़ जैसे हालात। क्या ये जलवायु परिवर्तन का असर है? सवाल तो उठना ही चाहिए।
आम जनता पर क्या बीती, सुनिए
इस प्राकृतिक आपदा ने तो लोगों की जिंदगी को पूरी तरह से उलट-पुलट कर रख दिया है। सौ से ज्यादा गांवों में बिजली गुल, पीने का पानी नदारद। सड़कें? वो तो जैसे नदी बन चुकी हैं। कई परिवारों को तो रातोंरात अपना घर छोड़कर भागना पड़ा। एक स्थानीय व्यक्ति की बात सुनिए: “40 साल से यहां रह रहा हूं, पर इतनी तेज बारिश कभी नहीं देखी। सच कहूं तो डर लग रहा है कि आगे क्या होगा।”
NDRF की 10 टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हैं। सेना भी मदद के लिए तैयार खड़ी है। राज्य सरकार ने emergency हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और relief camps में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। पर क्या ये काफी है?
प्रशासन और विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
मुख्यमंत्री जी का कहना है कि “हरसंभव मदद की जा रही है।” सेना से मदद मांगी गई है और सभी जिला प्रशासन अलर्ट पर है। लेकिन विशेषज्ञों की राय कुछ और ही कहती है। एक senior meteorologist ने मुझे बताया, “ये जलवायु परिवर्तन का सीधा असर हो सकता है। आने वाले दिनों में और भारी बारिश की संभावना है।” सच कहूं तो, पिछले कुछ सालों से ये पैटर्न साफ दिख रहा है – सूखाग्रस्त इलाकों में अचानक मूसलाधार बारिश।
आगे की राह क्या है?
मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है। यानी हालात और बिगड़ सकते हैं। राहत शिविरों की संख्या बढ़ाई जाएगी। पर सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्या हमारी जल प्रबंधन व्यवस्था इतनी कमजोर है? experts साफ कह रहे हैं – बांधों और जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करना होगा। वरना आगे और बुरे दिन देखने को मिल सकते हैं।
और किसान भाइयों की बात करें तो… उनके लिए तो ये आफत सबसे ज्यादा मुसीबत लेकर आई है। खड़ी फसलें बर्बाद, मेहनत पर पानी फिर गया। कृषि विभाग नुकसान का आकलन कर रहा है, शायद जल्द ही कोई पैकेज आए। पर सच तो ये है कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में राजस्थान जैसे राज्यों को अपनी disaster management policies पर गंभीरता से सोचना होगा। वरना… अगली बार शायद हम इतने भाग्यशाली न हों।
यह भी पढ़ें:
राजस्थान में छप्परफाड़ बारिश – जानिए सबकुछ, वो भी आसान भाषा में!
1. छप्परफाड़ बारिश? ये नाम ही कितना डरावना है ना?
असल में नाम से ही समझ आता है – जब बारिश इतनी तेज़ हो कि छप्पर (छत) तक फटने लगें! ये कोई मामूली बारिश नहीं, बल्कि एकदम ज़ोरदार मूसलाधार बरसात होती है। अचानक से आती है और देखते ही देखते पूरे इलाके को पानी में डुबो देती है। सच कहूं तो, ये उतनी ही खतरनाक हो सकती है जितनी कि कोई छोटा सा flood.
2. राजस्थान के किन-किन हिस्सों को झेलनी पड़ी इसकी मार?
देखिए, पूरा राजस्थान तो नहीं, लेकिन जोधपुर, बाड़मेर जैसे इलाके तो जैसे डूब ही गए। जैसलमेर और बीकानेर की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं। कई जगहों पर तो सड़कें ही नहीं दिख रहीं – सिर्फ पानी-ही-पानी! Waterlogging की समस्या तो जगह-जगह देखने को मिल रही है।
3. सरकार ने क्या किया? क्या कोई मदद मिल रही है लोगों को?
तो सुनिए, सरकार ने NDRF की टीमें तैनात कर दी हैं। स्थानीय authorities भी पूरी तरह alert हैं। Relief camps बनाए गए हैं जहां लोगों को खाना, पीने का साफ पानी और ज़रूरी दवाइयां मुहैया कराई जा रही हैं। हालांकि, कुछ दूरदराज के इलाकों में मदद पहुंचने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
4. आप और हम क्या कर सकते हैं? कुछ ज़रूरी सावधानियां
सबसे पहले तो – घर से बेवजह निकलने से बचें। अगर बारिश में फंस ही जाएं, तो बिजली के खंभों और तारों से दूर रहें। Official updates का ध्यान रखें – किसी अफवाह पर कान न दें। और हां, emergency contacts को अपने phone में save ज़रूर कर लें। ये छोटी-छोटी बातें बड़ी मुसीबत से बचा सकती हैं। सच कहूं तो!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com