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“धनखड़ का इस्तीफा! सीनियर मंत्री से तल्ख बातचीत के बाद क्या खुलासा हुआ?”

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धनखड़ का इस्तीफा! क्या सच में सिर्फ ‘स्वास्थ्य कारण’ हैं, या कोई और सच छुपा है?

अरे भई, अब तो राजनीति में मसाला लग गया है! जगदीप धनखड़ ने अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया – वो भी मानसून सेशन के पहले दिन! सोचिए, ये कितनी बड़ी बात है। सरकारी बयान में तो ‘हेल्थ इश्यू’ बताया जा रहा है, लेकिन दिल्ली की गलियों में क्या चर्चा हो रही है? लोग कह रहे हैं कि किसी सीनियर मिनिस्टर से हुई तीखी बहस के बाद ही ये कदम उठाया गया। सच क्या है? पता नहीं, लेकिन इतना तो तय है कि ये मामला गरमा गया है।

असल में बात समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा। धनखड़ साहब तो पहले से ही राजनीति के बड़े खिलाड़ी रहे हैं। पश्चिम बंगाल के गवर्नर रह चुके हैं, फिर 2022 में VP बने। लेकिन पिछले कुछ महीनों से… देखिए न, सरकार से उनका तालमेल बिगड़ता जा रहा था। कुछ मीडिया reports तो यहाँ तक कह रही थीं कि कैबिनेट के किसी बड़े मंत्री से उनकी झड़प हुई थी। और अब ये इस्तीफा? संयोग? शायद नहीं!

और सुनिए, इस्तीफे का कारण ‘हेल्थ प्रॉब्लम्स’ बताया गया है। पर भई, राजनीति में तो हर चीज का मतलब वो नहीं होता जो दिखता है। दिल्ली के अंदरूनी सूत्र तो कह रहे हैं कि ये सरकार से बढ़ते मतभेदों का नतीजा है। विपक्ष ने तो सीधे सवाल खड़े कर दिए हैं – ‘क्या छुपा रहे हो?’ ‘पारदर्शिता कहाँ है?’ सच्चाई जो भी हो, मगर ये मामला गरमा तो रहा है।

अब देखिए दिल्ली की राजनीति का दिलचस्प पहलू। एक तरफ सत्ता पक्ष धनखड़ की तारीफ़ों के पुल बांध रहा है – ‘बड़े सम्मान के साथ इस्तीफा दिया’ वगैरह-वगैरह। वहीं दूसरी ओर… कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने तो सीधे सवाल दाग दिए हैं। Political analysts की एक टीम तो ये तक कह रही है कि ये सरकार और राष्ट्रपति भवन के बीच बढ़ती दूरी का संकेत है। क्या सच में ऐसा है? वक्त ही बताएगा।

तो अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या? अब तो नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। विपक्ष इस मुद्दे को संसद में उठाएगा – ये तो तय है। असल में सवाल ये है कि क्या ये इस्तीफा सरकार और संवैधानिक पदों के बीच की खाई को दिखाता है? दिलचस्प सवाल है, है न?

खैर, एक बात तो साफ है – ये मामला अभी खत्म नहीं हुआ। जैसे-जैसे नए तथ्य सामने आएंगे, तस्वीर और साफ होगी। फिलहाल तो ये घटना न सिर्फ मौजूदा राजनीति को समझने का मौका देती है, बल्कि आने वाले समय के लिए भी संकेत दे रही है। क्या संकेत? वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा!

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धनखड़ ने इस्तीफा क्यों दिया? असल में क्या हुआ?

सुनने में आ रहा है कि एक सीनियर मंत्री के साथ बहुत ही गरमा-गरम बहस हुई। बात इतनी बढ़ गई कि धनखड़ ने बस इस्तीफे का पत्र ही भेज दिया। अब सवाल यह है कि क्या सच में मतभेद इतने गहरे थे? या फिर ये सिर्फ एक तात्कालिक गुस्से का फैसला था?

सरकार के लिए क्या मायने हैं इस इस्तीफे के?

देखा जाए तो अभी तक कोई बड़ा भूचाल नहीं आया है। लेकिन… विपक्ष तो मौके की तलाश में ही रहता है न? और फिर, जब ऐसे बड़े नेता इस्तीफा देते हैं, तो सरकार के अंदरूनी झगड़े भी सामने आने लगते हैं। थोड़ा तो असर तो पड़ेगा ही, है न?

क्या बात हो गई थी जो इतनी तल्खी आ गई?

सूत्र बता रहे हैं कि कुछ नीतिगत मुद्दों को लेकर ही टकराव हुआ। पर सच क्या है? क्या सच में सिर्फ नीतियों की बात थी या फिर कुछ और भी चल रहा था? ऐसे में तो और भी सवाल खड़े होते हैं।

क्या इस्तीफा स्वीकार हो गया? या फिर…

अभी तक तो PMO से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। लेकिन याद है न पिछली बार जब एक मंत्री ने इस्तीफा दिया था? उसे तो वापस ले लिया गया था। क्या इस बार भी ऐसा ही होगा? या फिर ये सच में अंत है? जल्दी ही पता चल जाएगा।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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