धराली में बादल फटा, मची तबाही – सेना-एयरफोर्स की मुस्तैदी, लेकिन मौसम बना रहा रुकावट
उत्तराखंड का धराली इलाका आज फिर प्रकृति के कहर का शिकार हुआ है। बादल फटने और भूस्खलन की दोहरी मार ने यहाँ क्या-क्या नहीं बर्बाद कर दिया! घर तो घर, सड़कें तक पानी के सैलाब में बह गईं। और सबसे डरावनी बात? कितने लोग फंसे हुए हैं, इसका अंदाजा भी अभी तक नहीं लग पाया है। पर अच्छी खबर ये कि सेना, एयरफोर्स समेत NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुँच चुकी हैं। लेकिन सच कहूँ तो, ये तो बस शुरुआत है – असली चुनौतियाँ अभी आनी बाकी हैं।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये बादल फटने की घटनाएँ इतनी बार क्यों हो रही हैं? देखिए, पहाड़ों पर बारिश तो हमेशा से होती आई है। पर पिछले कुछ सालों में जिस तरह से जलवायु बदली है और इंसानों ने पहाड़ों को काट-काटकर बस्तियाँ बसाई हैं, उसने तो मानो प्रकृति को गुस्सा दिला दिया है। 2013 की केदारनाथ त्रासदी याद है न? उस वक्त भी ऐसी ही भयानक तस्वीरें देखने को मिली थीं। विशेषज्ञ तो पहले ही चेतावनी दे चुके हैं – अगर हमने संभलकर नहीं चला, तो ये सिलसिला थमने वाला नहीं।
मौजूदा हालात की बात करें तो… हालात बेहद चिंताजनक हैं। सेना के हेलिकॉप्टर तो सुबह से ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने वाले थे, लेकिन ये मौसम! बारिश और कोहरा इतना कि सब ऑपरेशन्स रोकने पड़े। अब तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लापता हैं। पर ये आँकड़े और बढ़ सकते हैं – क्योंकि अभी तक कई दूरदराज के इलाकों तक पहुँच ही नहीं बन पाई है। इंफ्रास्ट्रक्चर? सच कहूँ तो बुरा हाल है। पुल टूटे हुए, सड़कें जहाँ की तहाँ – ऐसे में राहत सामग्री पहुँचाना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है।
इस पूरे हादसे पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी आनी शुरू हो गई हैं। मुख्यमंत्री जी ने दुख जताया है और राहत कार्यों को तुरंत शुरू करने के आदेश दिए हैं। केंद्र सरकार ने भी NDRF की एक्स्ट्रा टीम्स भेजने का ऐलान किया है। पर ग्राउंड लेवल पर? वहाँ स्थानीय लोगों का गुस्सा साफ दिख रहा है। उनका कहना है कि अगर मौसम विभाग ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया होता, तो शायद इतनी बड़ी त्रासदी टाली जा सकती थी। और हाँ, रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
अब आगे क्या? सबसे पहले तो मौसम साफ होने का इंतज़ार। उसके बाद हेलिकॉप्टरों से फंसे हुए लोगों को निकालने की कोशिशें। लॉन्ग टर्म में? सरकार ने अवैध निर्माण रोकने और अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करने की बात तो कही है। पर मौसम विभाग की नई चेतावनी देखिए – अगले 48 घंटे और भारी बारिश का अनुमान! यानी राहत कार्यों पर फिर से ब्रेक लग सकता है। सच कहूँ तो ये एक लाइव सिचुएशन है, जहाँ हर घंटे कुछ न कुछ बदल रहा है। हम आपको नए अपडेट्स देते रहेंगे।
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धराली में बादल फटने से हुई तबाही – सारे जवाब जो आप जानना चाहते हैं
धराली में बादल फटने (Cloudburst) की घटना कब हुई?
देखिए, ये जो धराली वाली घटना हुई ना, ये [तारीख/समय डालें] को हुई। और सच कहूँ तो, जैसे ही ये हादसा हुआ, सबकुछ एक पल में तबाह हो गया। इतनी भयानक स्थिति थी कि सेना और एयरफोर्स को तुरंत राहत अभियान (Relief Operation) शुरू करना पड़ा। कुछ ऐसी हालत थी जैसे कुदरत ने अपना गुस्सा निकाल दिया हो।
इस घटना में कितने लोगों की मौत हुई और कितने लापता हैं?
अभी तक जो खबरें आ रही हैं, उनके मुताबिक [संख्या] लोगों ने अपनी जान गँवा दी है। और सबसे डरावना? अभी भी [संख्या] लोग लापता हैं। ये आँकड़े सुनकर दिल दहल जाता है, है ना? रेस्क्यू ऑपरेशन तो जारी है, लेकिन मुश्किल ये है कि इलाका पहाड़ी है और पहुँचना आसान नहीं।
सेना और एयरफोर्स ने क्या-क्या राहत कार्य किए हैं?
असल में, भारतीय सेना और एयरफोर्स ने NDRF के साथ मिलकर कमाल का काम किया है। हेलिकॉप्टर से लोगों को निकाला जा रहा है – एकदम फिल्मी सीन जैसा लगता है, मगर ये हकीकत है। मेडिकल सहायता पहुँचाने से लेकर खाने-पीने का इंतज़ाम तक, सबकुछ चल रहा है। पर सच बताऊँ? अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।
इस इलाके में मौसम की क्या स्थिति है और आगे क्या उम्मीद की जा सकती है?
मौसम विभाग (IMD) की मानें तो अभी खतरा टला नहीं है। भारी बारिश की चेतावनी अभी भी जारी है। स्थिति ऐसी है जैसे कुदरत एक बार फिर से अपना रौद्र रूप दिखाने वाली हो। लोगों को सावधान रहने को कहा गया है, मगर सवाल ये है कि इन हालात में सावधानी कितनी कारगर होगी? बस, आशा यही है कि जल्द ही सबकुछ सामान्य हो जाए।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com