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धराली तबाही: बादल फटा या ग्लेशियर टूटा? जानें कैसे जुड़े हैं प्राकृतिक आपदा के तार

धराली तबाही: बादल फटा या ग्लेशियर टूटा? असल में क्या हुआ, समझिए पूरा मामला

मंगलवार की वह सुबह… हर्षिल के लोगों के लिए किसी बुरे सपने जैसी थी। 12,600 फीट की ऊंचाई पर बसा शांत सा धराली गांव अचानक कुदरत के गुस्से का निशाना बन गया। सोचिए, सिर्फ 30-35 सेकंड! इतने ही वक्त में पहाड़ से उतरा मलबे और पानी का सैलाब पूरे कस्बे को निगल गया। खीर गाड़ की वो तस्वीरें देखकर लगा जैसे किसी ने ‘फास्ट फॉरवर्ड’ बटन दबा दिया हो – एक पल में घर, होटल, बाजार… सब मलबे के ढेर में तब्दील। स्थानीय लोगों की आंखों में सवाल था – ‘यार, ये सब हुआ कैसे?’

असल में उत्तरकाशी का ये इलाका अपनी खूबसूरती के लिए तो मशहूर है, लेकिन ये प्रकृति के मिजाज़ को भी बखूबी जानता है। ग्लेशियर और पहाड़ों के बीच बसे इस क्षेत्र में बादल फटने और ग्लेशियर टूटने की घटनाएं नई नहीं हैं। पर ये बात तो वैज्ञानिक सालों से कहते आ रहे हैं न कि climate change की वजह से हिमालय में ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी। लेकिन धराली वाली सुबह ने तो जैसे सबको झकझोर कर रख दिया।

अब सवाल ये है कि आखिर हुआ क्या था? तीन थ्योरी चल रही हैं – बादल फटा, ग्लेशियर टूटा या फिर भूस्खलन हुआ। ऑफिशियली तो अभी कुछ पक्का नहीं, पर नुकसान देखकर लगता है ये कोई मामूली घटना नहीं थी। कुछ लोग अभी भी मिसिंग हैं, कुछ की मौत की पुष्टि हो चुकी है। अच्छी बात ये है कि NDRF, स्थानीय प्रशासन और आर्मी ने मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है।

स्थानीय लोगों पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा हो। एक बुजुर्ग की आवाज़ कांप रही थी जब उन्होंने कहा – “60 साल जिए, ऐसा कुछ नहीं देखा। सब कुछ चंद पलों में खत्म…” वैज्ञानिकों का कहना है कि ये climate change और बेतरतीब construction का नतीजा हो सकता है। सरकार ने मदद का वादा तो किया है, पर सवाल ये है कि क्या ये वादे हमेशा की तरह सिर्फ वादे ही रह जाएंगे?

अब क्या? अगला कदम क्या होगा? वैज्ञानिक जांच करेंगे, रिपोर्ट आएगी, मीटिंग्स होंगी। पर हिमालयी राज्यों में disaster management को लेकर सवाल फिर उठ खड़े हुए हैं। और हां, इसका असर स्थानीय tourism और economy पर भी पड़ेगा – ये तो तय है। धराली की ये त्रासदी बता गई है कि प्रकृति के आगे हमारी ताकत कितनी कमजोर है। अब देखना ये है कि हम इससे सीखेंगे या फिर ‘जैसा चल रहा है, चलने दो’ वाली नीति पर चलते रहेंगे।

धराली तबाही के बारे में वो सारे सवाल जो आप पूछना चाहते थे!

बादल फटा या ग्लेशियर टूटा? अक्सर ये दोनों terms एक साथ इस्तेमाल होते हैं, लेकिन असल में ये बिल्कुल अलग natural disasters हैं। आज हम इन्हीं confusing points को साफ करेंगे। तो चलिए, शुरू करते हैं!

1. बादल फटना और ग्लेशियर टूटने में फर्क क्या है?

देखिए, यहाँ समझने वाली बात ये है – बादल फटना (Cloudburst) एक झटके वाली बारिश है। जैसे कोई बाल्टी उलट दी गई हो! 10-15 मिनट में इतना पानी गिरता है कि नाले नदियाँ बन जाते हैं। वहीं ग्लेशियर टूटना (Glacier Burst)… ये तो जैसे कोई बर्फ का पहाड़ ही अचानक फट जाए। बर्फ, पत्थर, पानी – सब कुछ एक साथ तबाही मचाते हुए नीचे आता है। दोनों ही खतरनाक, पर nature के अलग-अलग रौद्र रूप।

2. क्या ये सब climate change की वजह से हो रहा है? सच्चाई क्या है?

ईमानदारी से कहूँ तो… हाँ, बिल्कुल! पर सवाल ये नहीं कि “क्या” है, सवाल ये है कि “कितना” है। ग्लोबल वार्मिंग से हमारे ग्लेशियर पिघल ही रहे थे, ऊपर से अब बारिश के patterns भी पागल हो गए हैं। 2021 का Chamoli disaster या 2013 की Kedarnath त्रासदी याद कीजिए – ये सब अब more frequent और more intense होते जा रहे हैं। Scary, isn’t it?

3. हम क्या कर सकते हैं? कुछ practical solutions

अब यहाँ मैं थोड़ा straight talk करूँगा। early warning systems तो ज़रूरी हैं ही, पर उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है हमारी common sense। flood-prone areas में घर बनाना बंद करो! government को चाहिए कि environment-friendly policies लागू करे, पर हमें भी तो कुछ करना होगा न? weather alerts पर ध्यान देना, risky zones से दूर रहना… छोटी-छोटी बातें, पर बड़ा फर्क ला सकती हैं।

4. भारत में कौन-सी जगहें सबसे ज़्यादा risk में हैं?

अगर आप Uttarakhand, Himachal या Jammu-Kashmir में रहते हैं, तो ग्लेशियर टूटने का risk तो है ही। वहीं Western Ghats या coastal areas वालों को बादल फटने से सावधान रहना चाहिए। पर याद रखिए – nature unpredictable है। 2013 से पहले किसने सोचा था कि Kedarnath जैसी जगह पर ऐसी तबाही आ सकती है? इसलिए awareness ही सबसे बड़ा बचाव है।

Final thought? हम nature के सामने छोटे हैं, पर smart हो सकते हैं। थोड़ी सी समझदारी, थोड़ी सी तैयारी… और हाँ, इस post को share ज़रूर करें ताकि और लोग भी जागरूक हों!

Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com

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