“धराली में कुदरत का कहर: सड़कें बहीं, लोग डरे-सहमे, अपनों का इंतज़ार… एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट!”

धराली में कुदरत का कहर: जब पहाड़ों ने आँख दिखाई तो क्या हाल हुआ? एक्सक्लूसिव रिपोर्ट!

अभी कल की ही बात है जब उत्तराखंड का धराली इलाका शांत और खूबसूरत नज़ारों से भरा था। लेकिन आज? सच कहूँ तो यहाँ का मंज़र किसी हॉलीवुड डिज़ास्टर मूवी जैसा लग रहा है। गंगोत्री हाईवे के कई हिस्से तो जैसे गायब ही हो गए – बारिश और भूस्खलन ने मिलकर क्या तबाही मचाई है! सड़कें गईं, पुल टूटे, और कई गाँव अब दुनिया से कट चुके हैं। असल में देखा जाए तो लोग अपने ही घरों में फँसे हुए हैं, बस rescue teams के आने का इंतज़ार कर रहे हैं।

पहाड़ों का गुस्सा: ये हालात क्यों बने?

देखिए, धराली तो हमेशा से नाज़ुक इलाका रहा है। पर इस बार? बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए! गंगनानी का वो मज़बूत पुल जिस पर हमें इतना भरोसा था, पानी में बह गया। और तो और, नेताला-भटवारी रोड अब दलदल में तब्दील हो चुका है। स्थानीय लोग तो कह रहे हैं – “पहले ऐसा कभी नहीं देखा!” विशेषज्ञों की मानें तो climate change की वजह से अब ये सब ‘न्यू नॉर्मल’ बन चुका है। सच कहूँ तो डर लगता है कि आगे क्या होगा?

धराली का असली हाल: ज़मीनी सच्चाई

मैं आपको बताता हूँ स्थिति कितनी गंभीर है। गंगोत्री हाईवे पर तो जगह-जगह सड़कें ही गायब हो गई हैं। communication network? बिल्कुल ठप! लोग अपनों से बात तक नहीं कर पा रहे – कल्पना कीजिए उनकी मनोदशा क्या होगी। rescue operations की बात करें तो वो भी बेहद मुश्किल हो रही है। एक बुज़ुर्ग महिला ने रोते हुए बताया, “बेटा, हमारे पास खाने को दो रोटी भी नहीं बची…” सुनकर दिल दहल जाता है।

NDRF की टीमें जी-जान से जुटी हैं, लेकिन प्रकृति के आगे इंसानी कोशिशें कितनी कम हैं! एक अधिकारी ने मुझसे कहा भी – “हम कर क्या सकते हैं? पहाड़ जब गिरने लगे तो…” उनकी आँखों में हार की वही भावना थी जो 2013 की आपदा के समय देखी थी।

आगे का रास्ता: उम्मीद की किरण?

तो अब सवाल यह है कि क्या होगा आगे? प्रशासन helicopter rescue की बात कर रहा है, पर मौसम साथ देगा क्या? BRO को तो अभी से सड़कों की मरम्मत में लग जाना चाहिए। long-term solution? वो तो बहुत दूर की बात लगती है अभी।

लेकिन सबसे डरावनी खबर तो ये है कि मौसम विभाग ने अगले दो दिन और बारिश की चेतावनी दे दी है। ईमानदारी से कहूँ तो स्थिति और खराब हो सकती है। ये आपदा हमें फिर से याद दिला रही है कि प्रकृति के आगे हम कितने बौने हैं। धराली वालों के लिए इस वक्त हमारी दुआएँ ही सहारा हैं। क्या आप भी उनके लिए प्रार्थना करेंगे?

धराली प्राकृतिक आपदा: सच्चाई, सवाल और समाधान

1. धराली में आखिर हुआ क्या था? सच्चाई जानकर दंग रह जाएंगे!

देखिए, धराली की कहानी सिर्फ बारिश की नहीं है। एक तरफ तो मानसून का रौद्र रूप था, दूसरी तरफ हमारी तैयारियों की कमी। flash floods ने ऐसा तांडव किया कि सड़कें बह गईं जैसे कागज की नावें। घर? वो तो बस खिलौने की तरह बह गए। और लोगों को evacuate करने की जो मशक्कत हुई, उसकी कहानी अभी भी कई लोगों की आँखें नम कर देगी।

2. Rescue operations: क्या हाल है और क्या चुनौतियाँ हैं?

अब NDRF और स्थानीय टीमें जो कर रही हैं, वो सच में सराहनीय है। लेकिन सच ये भी है कि हालात अभी भी पूरी तरह काबू में नहीं हैं। कई लोगों को बचा लिया गया है – ये अच्छी खबर है। पर जिनके परिजन अभी भी missing हैं, उनके लिए हर पल एक साल जैसा लग रहा होगा। Volunteers की मदद तो जैसे रामबाण साबित हो रही है।

3. क्या ये disaster रोका जा सकता था? एक कड़वा सच

ईमानदारी से कहूँ तो, पूरी तरह तो नहीं। मगर हाँ, नुकसान कम किया जा सकता था। Experts की बात मानें तो drainage system की हालत तो पहले से ही खराब थी। early warning systems? वो तो जैसे थे ही नहीं। disaster management planning की बात करें तो… छोड़िए, क्या कहें! पर इतनी heavy rainfall के आगे शायद हम कितने भी तैयार होते, कुछ नुकसान तो होना ही था।

4. मदद करना चाहते हैं? ये हैं practical तरीके

अगर आपका दिल कर रहा है मदद का, तो सबसे पहले verified NGOs को चुनें। सरकारी relief funds में donate करना भी अच्छा विकल्प है। पर ध्यान रहे – food, water और medicines जैसी essential supplies की जरूरत सबसे ज्यादा है। और हाँ, social media पर सही जानकारी share करके भी आप बड़ा योगदान दे सकते हैं। बस fake news से बचें – वो तो आफत है!

Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com

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