धर्मस्थल दफन मामला: SIT की जांच शुरू, क्या अब सच सामने आएगा?
देखिए न, कर्नाटक का यह धर्मस्थल मामला कितना गंभीर होता जा रहा है। SIT ने आखिरकार 1998 से 2014 के बीच हुए कथित गुप्त दफनों की जांच शुरू कर दी है। सच कहूं तो, यह केस पहले से ही राज्य में तनाव पैदा कर रहा था – खासकर तब से जब एक व्हिसलब्लोअर ने इन अवैध दफनों के बारे में ऐसे-ऐसे खुलासे किए जिन्हें सुनकर रूह कांप जाए। अब सवाल यही है कि क्या यह जांच वाकई कुछ ऐसा सामने लाएगी जो राज्य की राजनीति को हिलाकर रख दे?
पूरा मामला क्या है? एक धार्मिक स्थल का काला इतिहास?
धर्मस्थला… नाम सुनते ही दिमाग में आता है शांति, भक्ति और पवित्रता। लेकिन अफसोस, अब यही जगह एक ऐसे काले राज़ का केंद्र बन गई है जिस पर यकीन करना मुश्किल है। व्हिसलब्लोअर के मुताबिक तो यहाँ 16 सालों तक लाशों को चुपचाप दफनाया जाता रहा! और हमारे प्रशासन को पता तक नहीं चला? सच में हैरानी होती है।
अब जांचकर्ताओं को लग रहा है कि ये सब कुछ अवैध गतिविधियों, हत्या या फिर साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़ा हो सकता है। सबसे हैरान करने वाली बात? पहले भी कई लोगों ने शिकायतें की थीं, मगर किसी ने कान नहीं दिया। ऐसा लगता है जैसे सिस्टम ही फेल हो गया था। अब देखते हैं SIT क्या करती है।
जांच कहाँ पहुँची? क्या मिलेंगे पुख्ता सबूत?
SIT ने तो जैसे रफ्तार पकड़ ली है। व्हिसलब्लोअर से लेकर संदिग्ध लोगों तक – सबकी पूछताछ चल रही है। फॉरेंसिक टीम भी तैयार है। मजे की बात यह कि कुछ स्थानीय लोग अब आगे आ रहे हैं। डर के मारे पहले चुप रहे, लेकिन अब बोल रहे हैं। पर सवाल यह है कि क्या इन गवाहियों और फॉरेंसिक रिपोर्ट से कुछ ठोस निकलेगा?
सरकार तो मामले को लेकर गंभीर दिख रही है। लेकिन हम भारतीय जानते हैं न – कई बार यह ‘गंभीरता’ सिर्फ दिखावा होती है। असली परीक्षा तो अब है, जब सच सामने आना शुरू होगा।
राजनीति गरमाई: कौन किसके पाले में?
अरे भई, ऐसे मामले में राजनीति तो होगी ही! विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है, CBI जांच की मांग कर रहा है। वहीं स्थानीय लोग डरे हुए हैं – अफवाहों का बाजार गर्म है। कुछ तो सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं।
धार्मिक नेता शांति की बात कर रहे हैं (जो स्वाभाविक भी है)। और मानवाधिकार वाले? वे तो पारदर्शी जांच चाहते हैं। पर सवाल यह है कि क्या वाकई यह जांच निष्पक्ष होगी? या फिर दबावों में दब जाएगी?
आगे क्या? क्या आएगा भूचाल?
अगले कुछ हफ्ते बेहद अहम होने वाले हैं। SIT की जांच, फॉरेंसिक रिपोर्ट… अगर सबूत मिले तो? फिर तो कई बड़े नाम घिर सकते हैं। राजनीति का पूरा समीकरण बदल सकता है।
प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है – शायद दंगों का डर है। पर असली सवाल तो यह है कि क्या यह जांच सच में न्याय दिला पाएगी? या फिर हमेशा की तरह यह भी फाइलों में दफन हो जाएगी?
आखिर में: सच कहूं तो यह मामला उन rare केसों में से है जो समाज की नब्ज पर हाथ रख देते हैं। अगर SIT ईमानदारी से काम करे, तो शायद कुछ सच सामने आए। नहीं तो… वैसे भी हम भारतीयों को ऐसे मामलों की आदत सी हो गई है न?
Source: Hindustan Times – India News | Secondary News Source: Pulsivic.com