ECI का बड़ा फैसला: अब वोटर लिस्ट में बदलाव के लिए राजनीतिक दलों की मंजूरी ज़रूरी!
सुनकर थोड़ा अजीब लगता है न? भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने एक ऐसा फैसला किया है जो सीधे-सीधे हमारे वोटिंग के अधिकारों को छूता है। अब से वोटर लिस्ट में कोई भी बदलाव करने के लिए राजनीतिक दलों की मोहर लगनी ज़रूरी होगी। यानी अगर आपको अपना पता बदलवाना है या नाम सुधारना है, तो अब सीधे ECI के पास नहीं, बल्कि किसी पार्टी के दफ्तर का चक्कर लगाना पड़ेगा। सच कहूँ तो, ये फैसला एक तरफ तो पारदर्शिता लाने की कोशिश लगता है, लेकिन दूसरी तरफ ये सवाल भी खड़ा करता है – क्या ये हमारे अधिकारों पर डाका तो नहीं?
आखिर क्यों लिया गया ये फैसला?
देखिए, पहले का सिस्टम तो बिल्कुल आसान था। कोई भी आम आदमी online फॉर्म भरकर या फिर बूथ लेवल ऑफिसर से मिलकर अपनी डिटेल्स अपडेट करवा सकता था। मगर यही तो दिक्कत थी! पिछले कुछ सालों में ऐसे कितने ही केस सामने आए जहाँ बोगस वोटर बनाए गए, असली नाम गायब किए गए। एक तरह से वोटर लिस्ट की साख ही डगमगा गई थी।
ECI ने इससे पहले भी कुछ कदम उठाए थे – जैसे आधार को वोटर ID से जोड़ना, डुप्लीकेट एंट्रीज हटाना। लेकिन ये नया कदम… ये तो बिल्कुल अलग लेवल का है। थोड़ा कड़वा लगता है, पर शायद ज़रूरी भी है। क्या पता?
नए नियमों की खास बातें
तो अब सिस्टम कैसा होगा? तीन बड़े बदलाव ध्यान देने वाले हैं:
1. अब सिर्फ रजिस्टर्ड पॉलिटिकल पार्टीज़ ही बड़े बदलावों के लिए रिक्वेस्ट भेज सकेंगी
2. आप और मैं सीधे अपना नाम या पता नहीं बदलवा सकते – पहले किसी पार्टी को मनाना होगा!
3. शुरुआत में ये सिर्फ कुछ राज्यों में टेस्ट के तौर पर लागू होगा
असल में, ECI का मानना है कि इससे फर्जीवाड़ा कम होगा। लेकिन सच्चाई ये भी है कि अब आम आदमी को एक और परेशानी का सामना करना पड़ेगा। क्या ये सही है? शायद वक्त ही बताएगा।
राजनीति गरमाई – किसने क्या कहा?
जैसा कि होना ही था, इस फैसले पर सियासत गरमा गई है। सरकार की तरफ से तो ये कहा जा रहा है कि ये चुनावी सुधारों की दिशा में बढ़ाया गया सही कदम है। चुनाव मंत्री जी तो यहाँ तक कह गए कि “इससे वोटर लिस्ट की पवित्रता बचेगी।”
लेकिन विपक्ष? वो तो मानो आग बबूला हो गया! कुछ नेताओं ने तो इसे “लोकतंत्र की हत्या” तक बता डाला। और सुनिए, कुछ NGOs भी चिंता जता रहे हैं कि अब पार्टियाँ अपने चहेतों को लिस्ट में डलवाएँगी और दूसरों के नाम कटवाएँगी। बात में दम तो है, है न?
आगे क्या होगा?
अब देखना ये है कि ये नया नियम काम करता है या नहीं। एक तरफ तो पार्टियों पर ज़िम्मेदारी बढ़ गई है – उन्हें अब और ज़्यादा ईमानदारी से काम करना होगा। वहीं कुछ एक्सपर्ट्स की राय है कि ये मामला कोर्ट तक जा सकता है, क्योंकि ये हमारे बेसिक राइट्स को टच करता है।
सच पूछो तो, ये एक दिलचस्प प्रयोग है। क्या ये चुनावी व्यवस्था को बेहतर बनाएगा? या फिर ये एक ऐसा कदम साबित होगा जिस पर लोकतंत्र के सिद्धांतों पर सवाल उठेंगे? वक्त के पास जवाब है… हमारे पास तो सिर्फ सवाल हैं!
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अरे भाई, चुनाव आयोग ने तो इस बार वोटर लिस्ट को लेकर एक बड़ा फैसला ले लिया है। सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन असल में ये सिस्टम को और भी टाइट करने की कोशिश है। तो चलिए, बिना समय गंवाए समझते हैं पूरा माजरा…
1. क्या बदल गया है वोटर लिस्ट के नियमों में?
देखिए न, पहले तो वोटर लिस्ट में सुधार (revision) एक रेगुलर प्रोसेस था। लेकिन अब ECI ने नया गेम रूल बना दिया है – अब ये काम सिर्फ राजनीतिक दलों (political parties) की शिकायत या रिक्वेस्ट पर ही होगा। मतलब? अब आप सीधे चुनाव आयोग को अपना नाम जोड़ने-हटाने के लिए नहीं कह सकते। थोड़ा कंट्रोल्ड सिस्टम, समझ रहे हैं न?
2. आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?
असल में यहां दो तरह के लोग हैं – एक वो जिन्हें पता ही नहीं कि उनका नाम लिस्ट में है या नहीं (हां, ऐसे बहुत लोग हैं!), और दूसरे वो जिन्हें अपनी डिटेल्स में गलती मिलती है। अब इन दोनों को ही अपनी लोकल पार्टी वालों के पास भागना पड़ेगा। थोड़ा घुमावदार रास्ता हो गया न? लेकिन शायद इससे fake entries रुकेंगी।
3. क्या ये नियम हर जगह लागू होगा?
सुन लीजिए – ये पूरे भारत के लिए है, चाहे दिल्ली की बात हो या तमिलनाडु की। लोकसभा हो या विधानसभा, हर चुनाव में अब यही नियम चलेगा। एक तरह से स्टैंडर्ड प्रोसेस बना दिया गया है। अच्छा है या बुरा? वक्त बताएगा!
4. पार्टियां कैसे करेंगी रिक्वेस्ट?
अब ये मजेदार हिस्सा है। पार्टियों को ECI के बनाए फॉर्मेट में ही अप्लाई करना होगा – वोटर का डिटेल, क्या बदलाव चाहिए, और सबूत के तौर पर डॉक्यूमेंट्स। फिर आयोग वेरिफाई करेगा। सीधा सा मतलब – अब कोई भी बिना प्रूफ के नाम नहीं घुसा पाएगा। पर क्या पार्टियां इमानदारी से काम करेंगी? ये तो… खैर, ये अलग सवाल है!
तो ये थी पूरी स्टोरी। क्या सोचते हैं आप इस नए नियम के बारे में? कमेंट में जरूर बताइएगा! और हां, अपना नाम वोटर लिस्ट में चेक करना न भूलें – चाहे प्रोसेस थोड़ा लंबा हो गया हो। 😉
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com