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वैश्विक जनसंख्या गिरावट पर दो अर्थशास्त्रियों की चौंकाने वाली दलील – कैपिटल अकाउंट

जनसंख्या घट रही है… और यह अच्छी खबर नहीं हो सकती? दो अर्थशास्त्रियों का चौंकाने वाला नजरिया

सुनने में अजीब लगता है ना? हमेशा तो हमने सुना है कि जनसंख्या बढ़ना बुरी बात है। लेकिन हाल में दो बड़े अर्थशास्त्रियों ने एक ऐसा तर्क रखा है जो इसी सोच को चुनौती देता है। उनकी रिसर्च, जो “कैपिटल अकाउंट” में छपी है, कहती है कि जनसंख्या घटना पर्यावरण के लिए अच्छा होने की बजाय हमारी अर्थव्यवस्था को धराशायी कर सकता है। है ना मजेदार बात? वो भी तब जबकि पिछले कितने सालों से हमें यही बताया जा रहा था कि ज्यादा लोग मतलब कम संसाधन और बढ़ता प्रदूषण।

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। fertility rate के आंकड़े देखें तो कहानी समझ आती है। UN के मुताबिक, 2050 तक ज्यादातर विकसित देशों की जनसंख्या या तो रुक जाएगी या गिरने लगेगी। पर्यावरणविदों को यह सुनकर शायद खुशी हो, लेकिन ये अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि यह ट्रेंड हमारे लिए नई मुसीबतें लेकर आएगा। सोचिए – कम लोग मतलब कम कामगार, और कामगार कम तो economic growth कैसे होगी? बात तो सही लगती है।

अब डेटा की बात करें तो ये आंकड़े और भी चौंकाने वाले हैं। जनसंख्या घटने का मतलब सिर्फ workforce कम होना नहीं है। असल मुश्किल तो तब आएगी जब pension system और healthcare services पर दबाव बढ़ेगा। क्यों? क्योंकि बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी और कमाऊ लोग कम होंगे। जापान और इटली में तो यह हालत पहले से ही दिख रही है – वहां economic stagnation साफ नजर आ रहा है। एक तरह से ये देश हमारे भविष्य का आईना हैं।

इस स्टडी ने experts के बीच नई बहस छेड़ दी है। कुछ economists का कहना है कि हमें population control की बजाय human resources को ज्यादा productive बनाने पर ध्यान देना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ, environmentalists इससे सहमत नहीं। उनका तो यही मानना है कि धरती को बचाने का एकमात्र रास्ता कम जनसंख्या ही है। और देखिए मजा – इस बहस के बीच चीन जैसे देश पहले ही fertility rate बढ़ाने के लिए नई policies लागू कर चुके हैं। कुछ तो गंभीरता है इस मामले में!

अगले 50 सालों की बात करें तो यह जनसंख्या गिरावट हमारी पूरी global economy का नक्शा ही बदल सकती है। हल? बेहतर education, ज्यादा employment opportunities, और उच्च जीवन स्तर। पर सवाल यह है कि क्या हम population और environment के बीच सही बैलेंस बना पाएंगे? यह बहस अभी नई-नई शुरू हुई है, और इसका फैसला हमारे आने वाले कल को तय करेगा।

आखिर में, यह स्टडी हमें एक अलग नजरिया देती है। सच पूछो तो, क्या जनसंख्या वृद्धि वाकई कोई समस्या है? या फिर हमें सही policies और innovation के जरिए इससे निपटना सीखना चाहिए? वक्त के साथ यह सवाल और भी जरूरी होता जाएगा। क्या आपको नहीं लगता?

अरे भाई, जनसंख्या गिरावट और प्रजनन दरों का मुद्दा सुनने में जितना साधारण लगता है, असल में ये हमारी पूरी अर्थव्यवस्था की धारा बदल सकता है। दो अर्थशास्त्रियों ने तो ऐसी बात कही है कि सुनकर ही दिमाग चकरा जाए! सोचिए, Human Capital पर इसका क्या असर पड़ेगा? मतलब, काम करने वाले हाथ कम, बूढ़े ज्यादा – तो फिर growth का पहिया कैसे चलेगा?

अब आप सोच रहे होंगे – यार ये सब तो बड़ी बातें हैं, हमारे रोजमर्रा की जिंदगी से क्या वास्ता? लेकिन असल में वास्ता बहुत गहरा है। जैसे कि pension का सिस्टम, healthcare की सुविधाएं, यहां तक कि आपके बच्चों की पढ़ाई तक पर असर पड़ेगा। है न हैरान कर देने वाली बात?

अगर आपको ये टॉपिक और गहराई से समझना है, तो Capital Account की ये डिस्कशन जरूर देखिए। और हां, अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करिएगा – क्योंकि ये सिर्फ एक आर्टिकल नहीं, बल्कि हम सबका भविष्य है। Social Media पर तो बहस चल ही रही है, आप भी ज्वाइन कीजिए!

एकदम मस्त टॉपिक है, सच कहूं तो। क्या आपको नहीं लगता?

Source: Dow Jones – Social Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com

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