ex cji chandrachud supreme court notice after 8 months 20250706052805268022

“CJI पद से रिटायर हुए 8 महीने बाद भी नहीं किया यह काम! सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस”

CJI रिटायर हुए 8 महीने बाद भी घर नहीं मिला? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को घेरा!

अजीब सी बात है ना? भारत के पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ जैसे बड़े न्यायाधीश को रिटायरमेंट के बाद भी सरकारी घर नहीं मिल पाया। और ये कोई छोटा-मोटा मामला नहीं है, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है! कोर्ट ने केंद्र सरकार और DDA को नोटिस जारी करके सवालों के घेरे में ले लिया है। सोचिए, CJI पद छोड़े 8 महीने बीत गए, लेकिन नियम के मुताबिक मिलने वाला स्पेशल रेजिडेंस अभी तक नहीं मिला। ये सिर्फ एक आवंटन का मामला नहीं, बल्कि न्यायपालिका और सरकार के बीच खींचतान का सवाल बन गया है।

आखिर क्यों फंसा है ये मामला?

देखिए, नियम तो साफ है। CJI और दूसरे वरिष्ठ जजों को रिटायरमेंट के बाद सरकारी घर मिलता है – सुरक्षा भी, इज्जत भी। पर यहां? चंद्रचूड़ साहब नवंबर 2022 में रिटायर हुए, और आज तक… खैर, आप समझ ही रहे हैं। इतनी देरी पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई, और अब तो बात बन गई है।

कोर्ट का गुस्सा: “ये कैसा रवैया?”

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और DDA को जमकर लताड़ लगाई है। सीधा सवाल पूछा – “CJI जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार?” याचिकाकर्ता का तो यहां तक कहना है कि ये नियमों की धज्जियां उड़ाने जैसा है। कोर्ट ने मामला गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया है। अब देखना है कि सरकार क्या जवाब देती है।

कानूनी गलियारों में हड़कंप

इस मामले ने दिल्ली के कानूनी और राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। एक तरफ तो याचिकाकर्ता का कहना है कि “ये न्यायपालिका की आजादी पर सवाल है”, वहीं दूसरी ओर कानूनी एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसे वरिष्ठ लोगों को सम्मान देना सिस्टम की जिम्मेदारी है। पर हैरानी की बात ये कि अभी तक सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। क्यों भई? डर है क्या?

आगे क्या होगा?

असल में ये केस एक ट्रेंड सेट कर सकता है। अगर सरकार ने जल्दी कोई एक्शन नहीं लिया, तो कोर्ट और सख्त हो सकता है। कुछ विश्लेषक तो यहां तक कह रहे हैं कि ये न्यायपालिका और सरकार के बीच नए टकराव की शुरुआत हो सकती है। अगले कुछ हफ्ते बेहद अहम होने वाले हैं।

सच कहूं तो, ये सिर्फ एक घर का मामला नहीं रहा। ये तो हमारे सिस्टम की कसौटी है – क्या हम अपने संस्थानों का सम्मान करना जानते हैं? अब सबकी नजरें कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं। देखते हैं, न्याय किसके हक में होता है!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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