“फडणवीस का ऑफर – ‘उद्धवजी, इधर आ जाइए’, राज ठाकरे की चुप्पी से गठबंधन पर सनसनी!”

फडणवीस का ऑफर – ‘उद्धवजी, इधर आ जाइए’… और राज ठाकरे की चुप्पी ने क्यों बढ़ा दी है सियासी गर्मी?

अरे भई, महाराष्ट्र की राजनीति में तो मानो बिजली गिर गई! मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में जो बयान दिया, वो सचमुच बम की तरह फटा है। उन्होंने उद्धव ठाकरे को सीधे संबोधित करते हुए कहा – “2029 तक हमारा विपक्ष में जाने का कोई scope नहीं, आप इस तरफ आने का सोच सकते हैं।” सुनकर लगा जैसे कोई चुपचाप पड़ी आग में घी डाल दिया गया हो। और सबसे मजेदार बात? राज ठाकरे जो आमतौर पर ऐसे मौकों पर तुरंत रिएक्ट करते हैं, इस बार बिल्कुल चुप्पी साधे हुए हैं। क्या ये सिर्फ एक coincidence है या कोई बड़ा game चल रहा है?

पीछे का सच: जब टूटा था शिवसेना-BJP का पुराना रिश्ता

इसे समझने के लिए हमें 2019 में जाना पड़ेगा। याद है न वो वक्त जब शिवसेना (तब अजीत पवार वाला गुट) और BJP का गठबंधन अचानक धराशायी हो गया था? उसके बाद से तो महाराष्ट्र की राजनीति में तनाव का माहौल बना हुआ है। फिर 2022 में शिवसेना के दो टुकड़े हो गए – एक उद्धव के साथ, दूसरा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में BJP के सहारे सत्ता में आया। और राज ठाकरे? वो तो पहले शिवसेना पर जमकर बरसते थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों से जैसे गायब से हो गए हैं। क्या ये सब जुड़ा हुआ है? शायद!

फडणवीस का बयान: सच्ची पेशकश या सिर्फ चाल?

अब यहाँ दिलचस्प बात ये है कि फडणवीस का ये बयान कोई casual comment नहीं लगता। लगता तो यही है कि ये उद्धव को सत्ता पक्ष में आने का सीधा invitation है। पर सच क्या है? क्या BJP वाकई उद्धव को अपने साथ लाना चाहती है? और राज ठाकरे की चुप्पी… ये सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात है। BJP के कुछ नेताओं का कहना है कि ये “strategic move” है, वहीं शिवसेना (उद्धव गुट) वालों ने इसे “मीडिया डिस्ट्रैक्शन” बताया है। ईमानदारी से कहूँ तो, ये सब बहुत confusing है!

क्या कह रहे हैं दूसरे नेता?

इस पूरे मामले पर अलग-अलग दलों की प्रतिक्रियाएँ आई हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) के एक नेता ने तो जैसे आग ही लगा दी – “ये सिर्फ मीडिया का ध्यान भटकाने की कोशिश है। हम विपक्ष में मजबूती से खड़े हैं।” वहीं BJP के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “फडणवीस जी ने सही कहा – उद्धव जी चाहें तो development में योगदान दे सकते हैं।” लेकिन राज ठाकरे? वो तो जैसे गायब ही हो गए हैं। ये उनके लिए बिल्कुल unusual behavior है। क्या कोई बड़ी घोषणा की तैयारी चल रही है?

आगे क्या? 2024 की तैयारियों पर असर?

अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या होगा? क्या उद्धव वाकई इस offer पर serious विचार करेंगे? और राज ठाकरे की चुप्पी… क्या ये MNS के BJP या शिंदे गुट के करीब जाने का signal है? ये सारे सवाल इसलिए important हैं क्योंकि 2024 के Lok Sabha elections की तैयारियाँ तो शुरू हो ही चुकी हैं। महाराष्ट्र की 48 सीटें… यहाँ का political equation क्या होगा? देखना दिलचस्प होगा!

एक बात तो तय है – फडणवीस के इस बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। खासकर तब जब विपक्ष बुरी तरह बंटा हुआ है। अगले कुछ दिनों में कुछ और साफ होगा, लेकिन अभी तो ये पूरा मामला एक रहस्य ही बना हुआ है। आपको क्या लगता है – कौन किसके साथ जाएगा? कमेंट में बताइएगा जरूर!

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फडणवीस का ऑफर और राज ठाकरे की चुप्पी – क्या है पूरा माजरा?

1. फडणवीस ने उद्धव को दिया क्या ऑफर? और क्यों?

देखिए, फडणवीस ने सीधे-सीधे उद्धव ठाकरे को BJP के साथ जुड़ने का ऑफर दिया है। वो भी कैसे? बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में – “उद्धवजी, इधर आ जाइए!” अब सवाल यह है कि यह ऑफर सिर्फ राजनीतिक शतरंज की चाल है या फिर महाराष्ट्र की सियासत में कोई नया मोड़ लाने की कोशिश? असल में, अगर यह डील हो जाती है तो गेम बदल सकता है। पूरा।

2. राज ठाकरे चुप क्यों? क्या कोई मास्टरप्लान है?

अरे भई, यह सबसे दिलचस्प बात है न! राज ठाकरे, जो हमेशा अपनी राय रखने के लिए मशहूर हैं, अचानक रेडियो साइलेंस मोड पर क्यों? कुछ लोग कह रहे हैं कि वो अपनी अगली चाल सोच रहे हैं। कुछ का तो यहां तक कहना है कि MNS के लिए कुछ बड़ा प्लान चल रहा है। पर सच क्या है? शायद वक्त ही बताएगा। एक बात तो तय है – राज की चुप्पी उनके विरोधियों को परेशान जरूर कर रही है!

3. क्या सच में उद्धव BJP के साथ हाथ मिलाएंगे?

ईमानदारी से कहूं तो… मुश्किल लगता है। जरा सोचिए, शिवसेना और BJP का इतिहास रहा है – कभी दोस्त, कभी दुश्मन। अभी तक तो कुछ क्लियर नहीं हुआ, लेकिन राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो यह संभावना बहुत कम है। हालांकि, राजनीति में कुछ भी हो सकता है। है न?

4. अगर हो गया गठबंधन तो क्या होगा असर?

अगर (बड़ा अगर!) यह डील हो जाती है तो… वाह! महाराष्ट्र की राजनीति का पूरा नक्शा बदल सकता है। NCP और Congress के लिए तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी। MNS जैसी पार्टियों को भी अपनी रणनीति फिर से बनानी पड़ेगी। एक तरफ तो यह BJP के लिए बड़ी जीत होगी, लेकिन दूसरी तरफ… क्या शिवसेना के वोटर्स इसे स्वीकार कर पाएंगे? यही सबसे बड़ा सवाल है।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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