उपराष्ट्रपति आवास सील? PIB ने फर्जी खबर को झटका देते हुए कहा – “बेबुनियाद बातें!”
अरे भई, सोशल मीडिया पर फिर से एक नई अफवाह ने तूफान मचा दिया है! कुछ लोगों ने दावा किया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के आवास को सील कर दिया गया है। सच बताऊं? जब मैंने पहली बार यह खबर देखी तो खुद हैरान रह गया। लेकिन PIB (प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो) ने तुरंत इस पर पानी फेर दिया। उनका कहना है कि यह पूरी तरह से फर्जी खबर है। अब सवाल यह है कि आखिर ये अफवाहें फैलती कैसे हैं? और क्यों?
पूरा माजरा क्या है?
देखिए, उपराष्ट्रपति का आधिकारिक आवास तो दिल्ली में है ही – यह तो संविधान में ही तय है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से कुछ अजीबोगरीब सोशल मीडिया अकाउंट्स इस बात को लेकर शोर मचा रहे थे कि सरकार ने आवास सील कर दिया है। सच्चाई? एकदम झूठ। असल में तो ये खबरें बिना किसी सबूत के ही viral हो गईं। और तो और, राजनीतिक गलियारों में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। Digital space में तो मानो तूफान आ गया था!
PIB ने क्या किया?
यहां PIB की भूमिका सराहनीय है। उनके फैक्ट-चेक विंग ने तुरंत इस मामले को उठाया और साफ-साफ कह दिया – “यह सब बकवास है!” सरकार ने भी तुरंत कदम उठाते हुए इन अफवाहों को गलत ठहराया।
एक दिलचस्प बात – कुछ जागरूक social media users ने इन फर्जी पोस्ट्स को रिपोर्ट भी किया। और देखते ही देखते प्लेटफॉर्म्स ने इन्हें हटाना शुरू कर दिया। सच कहूं तो यह एक अच्छा उदाहरण है कि आम लोग भी गलत जानकारी के खिलाफ लड़ सकते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी। विपक्ष ने सरकार पर सोशल मीडिया को बेहतर तरीके से मॉनिटर न कर पाने का आरोप लगाया। वहीं आम जनता की प्रतिक्रिया? सीधी और स्पष्ट – ऐसे अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
पर हैरानी की बात यह है कि उपराष्ट्रपति कार्यालय या खुद श्री धनखड़ ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। क्यों? यह तो वक्त ही बताएगा।
अब आगे क्या?
अब तो लगता है सरकार और साइबर सेल इस अफवाह के स्रोत की तलाश करेंगे। IT एक्ट के तहत केस दर्ज होने की भी संभावना है। और हां, PIB शायद नया awareness campaign लॉन्च करे – ताकि लोग फर्जी खबरों से सावधान रहें।
मेरी निजी राय? Digital literacy बढ़ाने की सख्त जरूरत है। वैसे भी, सोशल मीडिया पर viral होने वाली हर चीज पर भरोसा करना ठीक नहीं। हमें official sources से जानकारी की पुष्टि करने की आदत डालनी होगी। सरकार को भी ऐसे मामलों से निपटने के लिए बेहतर सिस्टम बनाना होगा।
अंत में एक बात – अगली बार कोई shocking खबर देखें, तो पहले सोचें, शेयर करने से पहले verify करें। वरना हम सभी अफवाहों के शिकार बन जाएंगे। सच कहूं तो?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com