फैशन स्टार्टअप वाले का बड़ा घोटाला: $300M का हेराफेरी केस, पर जमानत सिर्फ $1M में!
अरे भई, फैशन इंडस्ट्री का ये नया स्कैंडल तो किसी बॉलीवुड ड्रामे से कम नहीं! एक मशहूर स्टार्टअप के फाउंडर पर 300 मिलियन डॉलर (यानी लगभग 2500 करोड़!) की धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। लेकिन यहाँ ट्विस्ट ये है कि अदालत ने इतने बड़े आरोपों के बावजूद उन्हें महज 1 मिलियन डॉलर (8.3 करोड़ रुपये) की जमानत पर छोड़ दिया। सच में? अब आप ही बताइए, क्या ये सिस्टम में कोई खामी नहीं दिखती? ये केस तो पूरे स्टार्टअप वर्ल्ड को हिलाकर रख देगा, ये तय मानिए।
कैसे गिरा ये ‘लक्ज़री’ स्टार्टअप?
कहानी शुरू होती है 2018 से, जब ये luxury fashion tech कंपनी बनी थी। शुरुआती दिनों में तो ये नए-नए investors को अपने ‘ग्रोथ स्टोरी’ से ब्लाइंड कर रही थी। VC फंडिंग की बारिश हो गई – पर अब पता चला है ये सब झूठे financial reports और फर्जी projections की बुनियाद पर खड़ा था। सच कहूँ तो, ये वाला स्कैंडल ‘Wolf of Wall Street’ की रीमेक लग रहा है!
छह महीने से कर्मचारियों की शिकायतें चल रही थीं – salary देरी से मिल रही थी, investors को जवाब नहीं मिल रहा था। जब जांच शुरू हुई तो पता चला कंपनी का तो पूरा revenue ही फर्जी था! यूज़र बेस के आँकड़े? बिल्कुल हवाई। है न मज़ेदार?
कोर्ट ने क्या किया?
अदालत ने केस को गंभीरता से लिया है – धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, कॉर्पोरेट फ्रॉड जैसे आरोप लगे हैं। हाँ, जमानत मिल गई, पर शर्तें बड़ी सख्त हैं: पासपोर्ट जब्त, हफ्ते में पुलिस को रिपोर्टिंग। मतलब साफ है – भागने का कोई चांस नहीं।
कंपनी की तो लगभग मौत हो चुकी है। फंडिंग फ्रीज, टॉप लेवल के लोगों ने इस्तीफे दे दिए। एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि अब इसका बच पाना मुश्किल है। सच कहूँ तो, इतने बड़े घोटाले के बाद कौन इन्वेस्ट करेगा भला?
इंडस्ट्री की क्या राय?
इन्वेस्टर्स कम्युनिटी तो झटके से उबर नहीं पा रही। एक बड़े इन्वेस्टर ने तो सीधे कहा – “हमें धोखा हुआ है।” लीगल एक्सपर्ट्स इसे स्टार्टअप गवर्नेंस के लिए वेक-अप कॉल मान रहे हैं। पर सवाल ये है कि क्या सच में कुछ बदलेगा? या ये फिर से ‘बिजनेस ऐज़ यूजुअल’ हो जाएगा?
फाउंडर के वकील का कहना है कि उनका क्लाइंट निर्दोष है। पर कोर्ट के सामने जो सबूत आए हैं, उनके मुताबिक तो केस काफी स्ट्रॉन्ग लग रहा है। अब देखना ये है कि आगे क्या होता है।
अब क्या होगा?
अगली हियरिंग अगले महीने है। कई इन्वेस्टर्स ग्रुप में केस करने की तैयारी में हैं। इंडस्ट्री वाले कह रहे हैं कि अब ड्यू डिलिजेंस और सख्त होगी। पर असल सवाल ये है कि क्या सच में सिस्टम में बदलाव आएगा? या फिर ये एक और ‘लेसन लर्न्ड’ वाली केस स्टडी बनकर रह जाएगी?
एक बात तो तय है – ये स्कैंडल सिर्फ फैशन टेक सेक्टर तक सीमित नहीं रहेगा। पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम पर इसका असर दिखेगा। ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी की ये बहस अब और तेज होगी। पर क्या कोई सबक सीखेगा? वक्त ही बताएगा!
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Source: Livemint – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com