झारखंड का रामगढ़ फिर बाढ़ की चपेट में! क्या तैयार हैं हम?
अभी कुछ दिन पहले ही तो मौसम ने झारखंड के रामगढ़ जिले को थोड़ी राहत दी थी, लेकिन लगता है प्रकृति को कुछ और ही मंजूर है। नलकरी और दामोदर नदियाँ फिर से उफान पर हैं – और इस बार स्थिति वाकई गंभीर लग रही है। असल में, पतरातू बांध का पानी भी खतरे के लेवल को पार कर चुका है। आप सोच रहे होंगे – ये कितना बड़ा मसला है? तो समझिए, जब बांध के गेट खुलते हैं, तो निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत शुरू हो जाती है। प्रशासन ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी है – नदी किनारे से दूर रहो, जानवरों को सुरक्षित जगह ले जाओ। पर सवाल यह है कि क्या ये सावधानियां काफी हैं?
2019 की त्रासदी फिर दोहराएगी इतिहास?
देखिए, रामगढ़ को बाढ़ का अनुभव नया नहीं है। हर साल मानसून में यहाँ नदियाँ सुल्तान बन जाती हैं। लेकिन इस बार? हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं। पिछले 48 घंटे की लगातार बारिश ने नलकरी और दामोदर को इतना भर दिया है कि पतरातू बांध भी अब खतरे की घंटी बजा रहा है। 2019 की यादें ताजा हो गई हैं – जब बाढ़ ने पूरे गाँवों को निगल लिया था। क्या इस बार भी वही दृश्य दोहराया जाएगा? ईमानदारी से कहूँ तो, संकेत अच्छे नहीं हैं।
प्रशासन की चिंता, नदियों का गुस्सा
तो अब क्या हो रहा है? सबसे बड़ी खबर ये कि पतरातू बांध का लेवल 1,080 फीट को पार कर गया है – यानी खतरे का निशान! अधिकारियों के पास अब कोई चॉइस नहीं बचा – बांध के गेट खुलने वाले हैं। और ये मत सोचिए कि ये कोई छोटी सी बात है। जब ये गेट खुलते हैं, तो निचले इलाकों में पानी का कहर छोड़ देते हैं। रामगढ़ प्रशासन ने NDRF को अलर्ट कर दिया है, राहत शिविर तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन सड़कों पर पानी भर चुका है – यातायात ठप। एक तरफ तो प्रशासन पूरी तैयारी दिखा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ स्थानीय लोगों की चिंताएँ बढ़ती जा रही हैं।
गाँव वालों की बेचैनी – क्या बच पाएगी उनकी मेहनत?
आप जानते हैं सबसे दर्दनाक क्या है? जिन किसानों ने महीनों मेहनत कर फसल उगाई है, वो अब अपनी आँखों के सामने डूबते देख रहे हैं। कई परिवार तो पहले ही सुरक्षित जगहों की तरफ निकल चुके हैं। जिला अधिकारी का कहना है – “अफवाहों से बचें, हमारे निर्देशों का पालन करें।” पर सच तो ये है कि मौसम विभाग ने अगले दो दिन और बारिश की चेतावनी दी है। मतलब साफ है – स्थिति और बिगड़ सकती है। एकदम डरावना। सच में।
आगे क्या? सबकी निगाहें बांध पर
अब सबसे बड़ा सवाल – क्या होगा जब बांध के गेट खुलेंगे? जवाब सीधा है – और गाँवों में पानी घुस सकता है। NDRF की टीमें मौके पर पहुँच रही हैं, लेकिन असली चुनौती तो ये है कि लोगों और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा। जान-माल का नुकसान कम से कम हो, यही सबकी कोशिश है। पर क्या ये पर्याप्त होगा? वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो बस इतना ही – सावधान रहिए, सुरक्षित रहिए। क्योंकि प्रकृति के सामने हम सब बस छोटे से इंसान हैं।
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झारखंड का रामगढ़ इन दिनों बाढ़ की मार झेल रहा है, और हालात बेहद गंभीर हैं। नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है – यह देखकर स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ना तो लाज़मी है। अब सवाल यह है कि इस स्थिति में क्या करें? सबसे पहले तो, स्थानीय लोगों को अलर्ट रहने की ज़रूरत है। जी हाँ, प्रशासन की गाइडलाइन्स को फॉलो करना उतना ही ज़रूरी है जितना कि मुसीबत के वक्त हेलमेट पहनना।
एक तरफ तो स्थिति पर नज़र रखना ज़रूरी है, वहीं दूसरी ओर Online अपडेट्स से जुड़े रहना भी उतना ही अहम है। असल में, इस वक्त सुरक्षा और आपसी सहयोग ही वो मंत्र है जो इस संकट से निपटने में मदद करेगा। सच कहूँ तो, ऐसे हालात में एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है।
Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com