उड़न गिलहरी का कमाल: 60 मीटर तक उड़ने वाला ये जानवर देखा है कभी?
अरे भाई, राजस्थान के प्रतापगढ़ में सीतामाता अभयारण्य से एक ऐसी खबर आई है जो सुनकर आपकी आँखें फटी की फटी रह जाएंगी! यहाँ उड़न गिलहरियों (Flying Squirrels) की तादाद अचानक बढ़ गई है। और हमारे वन्यजीव प्रेमियों के लिए तो ये खबर किसी जीत से कम नहीं। सच बताऊँ? ये छोटे-मोटे दिखने वाले जीव दिन में तो कहीं छुपे रहते हैं, लेकिन रात होते ही… वाह! क्या नज़ारा पेश करते हैं। सोचो तो – एक गिलहरी जो 60 मीटर तक हवा में उड़ सकती है! बिल्कुल सुपरहीरो वाली बात।
सीतामाता अभयारण्य: जहाँ प्रकृति ने खोले हैं अपने खजाने
असल में बात समझने के लिए पहले इस जंगल की अहमियत जान लीजिए। राजस्थान का ये इलाका तो जैसे जीव-जंतुओं का स्वर्ग है। और इन उड़न गिलहरियों (Petaurista philippensis) का यहाँ मिलना तो जैसे चेरी ऑन द केक वाली बात हो गई। ये अपने शरीर के साइड में लगे ‘पैराशूट’ (Patagium) की मदद से हवा में कैसे ग्लाइड करती हैं, ये देखने लायक होता है। सच कहूँ तो पहले तो हमारे देश में ये प्रजाति लगभग लुप्त होने के कगार पर थी। लेकिन अब…? अब स्थिति बदल रही है। और यही तो खुशी की बात है!
संरक्षण की मेहनत रंग लाई
वन विभाग की हालिया रिपोर्ट कहती है कि पिछले 5 सालों में इनकी संख्या में 20% का इजाफा हुआ है। और इसके पीछे दो मुख्य वजहें हैं – पहली तो महुआ के पेड़ों को बचाने की कोशिश, जो इन गिलहरियों का घर होते हैं। दूसरा, camera trapping जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल। मजे की बात ये है कि रात के अँधेरे में जब ये उड़ान भरती हैं, तो उन पर पूरा कंट्रोल रखती हैं। क्या प्रकृति का करिश्मा है न?
लोग क्या कह रहे हैं?
वन्यजीव एक्सपर्ट डॉ. राजेश वर्मा का कहना है, “ये साबित करता है कि अगर ईमानदारी से कोशिश की जाए तो प्रकृति को बचाया जा सकता है।” वहीं स्थानीय एक्टिविस्ट सुमन मीणा का उत्साह देखने लायक है – “रात में इन्हें उड़ते देखना ऐसा लगता है जैसे कोई जादू हो रहा हो!” और पर्यटक? वो तो इस अनुभव को ‘मैजिकल’ बता रहे हैं। सच में, एक बार देखने लायक नज़ारा है।
आगे की राह
अब वन विभाग ने कुछ नए प्लान बनाए हैं। महुआ के पेड़ों की अवैध कटाई पर सख्त नजर रखी जाएगी। साथ ही night safari की भी योजना है, ताकि लोग इन्हें देख तो सकें, लेकिन इनके रहन-सहन में दखल न दें। एक तरफ ecotourism को बढ़ावा मिलेगा, दूसरी तरफ लोगों में जागरूकता भी आएगी। दोनों हाथों में लड्डू वाली बात!
सीतामाता की ये उड़न गिलहरियाँ सिर्फ राजस्थान ही नहीं, पूरे देश के लिए गर्व की बात हैं। ये हमें याद दिलाती हैं कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलना ही असली समझदारी है। वरना… अरे भई, इन नन्हे जीवों से सीख लीजिए – जो बिना शोर मचाए, बस अपना काम करते रहते हैं। और कमाल दिखा देते हैं!
अरे वाह, तो अब आप भी उड़न गिलहरी (Flying Squirrel) के दीवाने हो गए न? सच में, ये छोटा सा जानवर कितना कमाल का है! सोचो, 60 मीटर तक हवा में ग्लाइड करना… ये कोई मामूली बात थोड़ी है! प्रकृति ने इसे ऐसे बनाया है कि देखते ही मन में सवाल उठता है – भई, ये सब चल कैसे रहा है?
असल में, ये उन चुनिंदा जीवों में से है जो देखने वाले को हैरान कर देते हैं। तो अगली बार जब आप किसी जंगल या पार्क में जाएं, ज़रा ऊपर भी नज़र घुमाइएगा। कौन जाने, ये छोटा सा उड़ने वाला चमत्कार कहीं पेड़ों के बीच छुपा बैठा हो!
और हां, सच-सच बताइए – कभी नज़र पड़ी है आपको इन पर? अगर हां, तो Comment में अपना अनुभव ज़रूर शेयर करें। वरना… अगली बार की तलाश में जुट जाइए!
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उड़न गिलहरी: जानिए इस अनोखे जीव के बारे में कुछ मज़ेदार बातें!
क्या सच में उड़ती है ये गिलहरी? या फिर…?
देखिए न, नाम तो ‘उड़न गिलहरी’ है, लेकिन असल में ये उड़ती नहीं। है न मजेदार बात? असल में ये ग्लाइडिंग करती हैं – मतलब हवा में फिसलती हैं। अब सोच रहे होंगे कैसे? तो इनके शरीर के साइड में एक पतली सी झिल्ली (Patagium) होती है, जैसे पैराशूट! इसे फैलाकर ये एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक आराम से पहुँच जाती हैं। बिल्कुल नेचर का अपना सुपरहीरो!
60 मीटर तक? सच में?
हाँ भई हाँ! आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन Japanese Giant Flying Squirrel जैसी प्रजातियाँ तो 60 मीटर (यानी लगभग 2 क्रिकेट पिचों जितना!) तक ग्लाइड कर सकती हैं। अब ये इस बात पर निर्भर करता है कि पेड़ कितना ऊँचा है और उनका मूड कैसा है। सच कहूँ तो, ये देखना किसी मिनी एयर शो जैसा होगा!
भारत में कहाँ मिलेंगी ये नन्ही उड़ाके?
अगर आप इन्हें स्पॉट करना चाहते हैं (जो कि आसान नहीं, वैसे), तो हिमालय के जंगलों या पूर्वोत्तर – खासकर अरुणाचल और मेघालय – में नज़र आ सकती हैं। दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में भी। पर एक बात याद रखिए, ये नाइट ऑउल्स की तरह रात को ही एक्टिव होती हैं। तो टॉर्च लेकर निकलने के लिए तैयार रहिए!
पेट के तौर पर रख सकते हैं? सोचिए मत!
अरे भाई, ये कोई हम्सटर या गिनी पिग तो है नहीं! ये जंगली जानवर हैं, और ईमानदारी से कहूँ तो इन्हें पालतू बनाने का ख्याल भी मत लाइए। कानूनी तौर पर तो गलत है ही, साथ ही ये अपने नैचुरल हैबिटैट में ही खुश रहती हैं। वैसे भी, कल्पना कीजिए – रात को आपकी छत पर ये ग्लाइड करने लगे तो? एकदम ज़बरदस्त! सच में।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com