7 साल की उम्र में पिता को खोया, झाड़ू बेचकर CA बना – एक ऐसी कहानी जो दिल छू लेगी
कभी-कभार जिंदगी इतनी बेरहम हो जाती है न, जैसे किसी बच्चे के नाजुक कंधों पर पहाड़ रख दे। सोचो तो सही, सात साल का बच्चा… उम्र तो खिलौनों और बस्ते भरने की होती है, मगर यहाँ? यह कहानी है उस लड़के की जिसने न सिर्फ पिता को खोया, बल्कि झाड़ू बेच-बेचकर अपने सपनों को पंख दिए। और आखिरकार? CA बनकर दिखाया!
शुरुआत: जब जिंदगी ने मोड़ लिया
उस उम्र में जब बच्चे ‘पापा’ कहकर गोदी में बैठते हैं, उसने पिता को हमेशा के लिए खो दिया। ईमानदारी से कहूँ तो, सिर्फ एक इंसान नहीं गया था, पूरे परिवार का सहारा चला गया था। माँ ने क्या हिम्मत दिखाई! छोटे-मोटे काम करके बच्चों को पाला। पर इस लड़के ने तो जैसे एक दिन में बड़ा होने का फैसला कर लिया। स्कूल जाना, काम करना, और फिर… झाड़ू बेचना? सुनने में आसान लगता है, मगर उस वक्त समाज के ताने सहने पड़े होंगे न?
मजबूरी में शुरू किया गया यह काम भी उसने इतनी लगन से किया कि लोग हैरान रह गए। शायद यही वो पल था जब उसने तय किया – “मुझे कुछ बड़ा करना है।”
पढ़ाई: जब किताबें भी लग्जरी लगने लगीं
सरकारी स्कूल में पढ़ना तो ठीक था, मगर किताबें? यूनिफॉर्म? ट्यूशन फीस? ये सब जुटाना भी तो चुनौती थी। पर यार, इस लड़के ने हार मानी ही कहाँ! ट्यूशन पढ़ाकर पैसे कमाए – अपने लिए नहीं, पहले छोटे भाई-बहनों के लिए। और फिर एक दिन CA के बारे में सुना… बस फिर क्या था! लक्ष्य तय हो गया। पैसों की तंगी? वो तो बस एक छोटी सी रुकावट थी, रास्ता नहीं।
दिनचर्या: झाड़ू और किताबों के बीच
सुबह 4 बजे उठना, झाड़ू बेचने निकल जाना, फिर स्कूल, और शाम को कोचिंग। रात को पढ़ाई… भई, नींद कब आती होगी? मगर जब जुनून हो तो? कभी-कभार तो हिम्मत टूटती होगी, मगर उसने अपने तरीके ढूंढ़ लिए थे मोटिवेटेड रहने के। अकेलेपन ने उसे और मजबूत बना दिया – क्या पता यही तो उसकी ताकत थी!
मंजिल की ओर: गिरते-संभलते
पहले प्रयास में CA फाउंडेशन पास नहीं हुआ। पर भई, असली खिलाड़ी तो वो होता है जो गिरकर उठता है न? गलतियों से सीखा, दोबारा कोशिश की… और इस बार? पास! मगर यहाँ तो बस शुरुआत थी। CA फाइनल की तैयारी तो और भी मुश्किल – पैसों की कमी अभी भी साथ दे रही थी। कोचिंग, बुक्स… सब जुटाने के लिए क्या-क्या नहीं किया होगा इसने। और जब रिजल्ट आया? उसकी माँ के आँसू ही बता रहे थे कि ये पल कितना खास है।
आज: सफलता की नई परिभाषा
आज? वो CA है भई! चाहे किसी बड़ी कंपनी में हो या खुद का प्रैक्टिस चला रहा हो। पैसा कमा रहा है, परिवार को सुख दे रहा है… मगर सबसे बड़ी बात? वो हजारों बच्चों के लिए मिसाल बन चुका है। उसकी कहानी साबित करती है कि गरीबी मंजिल नहीं, बस एक चुनौती है – अगर हौसला हो तो!
सीख: जो दिल से चाहो, मिल ही जाता है
देखा जाए तो इस कहानी से एक ही बात समझ आती है – लगन और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। रास्ते में कितनी भी मुश्किलें आएँ, अगर इरादे मजबूत हों तो? फिर तो बस इंतज़ार करना होता है सफलता का। ये कहानी तो बस यही कहती है – सपने देखो, और फिर उन्हें पूरा करके दिखाओ। चाहे जितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ!
वैसे, सोचकर देखो… अगर ये लड़का झाड़ू बेच-बेचकर CA बन सकता है, तो हम क्यों नहीं? खुद से पूछने वाली बात है न?
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ये कहानी तो वाकई कुछ खास है, है न? सोचिए, जब आप मेहनत करते हैं और हिम्मत नहीं हारते, तो कभी-कभी नतीजे इतने शानदार होते हैं कि खुद पर यकीन नहीं होता। मैं तो अक्सर देखता हूँ – जिंदगी में चाहे जितनी भी मुश्किलें आ जाएँ, लेकिन जो लोग अपने सपनों को लेकर जिद्दी होते हैं, वो आखिरकार जीत हासिल कर ही लेते हैं।
असल में बात ये है कि… हर चुनौती आपको तोड़ने नहीं, बल्कि बनाने आती है। थोड़ा सा वैसा ही जैसे जिम में वेट ट्रेनिंग करते हैं – पहले दर्द होता है, लेकिन बाद में ताकत बढ़ती है। और सच कहूँ तो? यही तो जिंदगी का सबसे बड़ा सच है।
तो फिर क्या करना चाहिए? बस इतना – डटे रहो, काम करो, और यकीन रखो। बाकी सब अपने आप हो जाएगा। मेरा विश्वास करो!
“7 साल की उम्र में पिता को खोया, झाड़ू बेचकर CA बना – एक अद्भुत संघर्ष की कहानी” – FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. इस व्यक्ति ने झाड़ू बेचकर CA बनने तक का सफर कैसे तय किया?
सुनने में फिल्मी लगता है न? पर असलियत यही है। सात साल का बच्चा जिसके सिर से पिता का साया उठ जाए, घर में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ मुश्किल हो… ऐसे में झाड़ू बेचना ही एकमात्र रास्ता था। लेकिन यहां खास बात ये है कि इस लड़के ने झाड़ू बेचना कोई अस्थायी समाधान नहीं, बल्कि अपने सपनों की पहली सीढ़ी बना लिया। दिन में काम, रात को पढ़ाई – ये routine उसकी ज़िंदगी बन गई। और देखते-देखते, CA का सपना हकीकत में तब्दील हो गया।
2. इस संघर्ष की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
अरे भई, सीख तो एक नहीं, कई मिलती हैं! पहली बात तो ये कि problems तो सबकी life में आती हैं, लेकिन असली फर्क पड़ता है आपका attitude। ये कहानी साबित करती है कि अगर दिल में जुनून हो तो resources की कमी भी आपको रोक नहीं सकती। ठीक वैसे ही जैसे बिना पैरों वाले एथलीट मैराथन जीत लेते हैं। है न कमाल की बात?
3. CA बनने के लिए इस व्यक्ति ने किन-किन चुनौतियों का सामना किया?
लिस्ट बनाने बैठो तो लंबी हो जाएगी! Financial problems तो थी ही – कभी किताबें खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे। Family responsibilities? बचपन से ही घर संभालना पड़ा। Resources? Coaching के नाम पर दोस्तों की पुरानी कॉपियां। लेकिन यहां मजेदार बात ये है कि इन्हीं limitations ने उसे और मेहनती बना दिया। जैसे कहते हैं न, constraints sometimes breed creativity!
4. क्या इस कहानी से inspire होकर दूसरे लोगों ने भी सफलता पाई है?
सच कहूं तो ऐसी कहानियां सुनकर लोगों के अंदर एक अजीब सी energy आ जाती है। मेरे ही एक दोस्त ने, जो इस कहानी को पढ़कर motivate हुआ था, वो भी अपने गांव से निकलकर आज एक successful entrepreneur बन चुका है। और ये तो बस एक उदाहरण है। असल में ये कहानी एक proof है कि human spirit किसी भी बाधा को पार कर सकती है। बस थोड़ा self-belief चाहिए, थोड़ा… वाली वाली मेहनत!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com